कानपुर: LLR अस्पताल के शौचालय में जन्मा शिशु, टायलेट सीट में फंसने से तोड़ा दम, डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप

शिवराजपुर निवासी मोबिन की 30 वर्षीय पत्नी हसीन बानो गर्भवती थी। तेज बुखार और प्लेटलेट्स काउंट कम होने पर उसे एलएलआर इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। आरोप है कि इस दौरान प्रसव पीड़ा होने पर डाक्टर नर्सिंग स्टाफ ने उसे नहीं देखा जिसके बाद शौचालय में प्रसव हो गया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 07:50 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 07:50 PM (IST)
कानपुर: LLR अस्पताल के शौचालय में जन्मा शिशु, टायलेट सीट में फंसने से तोड़ा दम, डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप
एलएलआर अस्पताल (हैलट) में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है।

कानपुर, जेएनएन। बेहद शर्मनाक...। गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कालेज के लाला लाजपत राय (एलएलआर) अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती पर न डाक्टर पसीजे, न नर्सिंग स्टाफ। शौचालय गई तो वहीं प्रसव हो गया। नवजात का सिर टायलेट सीट के छेद में फंस गया। जब तक उसे निकाला गया, वह दम तोड़ चुका था। वह जन्म लेने के बाद एलएलआर अस्पताल में कार्यप्रणाली पर सवाल छोड़ते हुए दुनिया छोड़ गया। उस एलएलआर पर जो कानपुर व आसपास के कई जिलों के लिए चिकित्सकीय सेवा का सबसे बड़ा केंद्र है, जहां 24 घंटे डाक्टरों और कर्मचारियों की मौजूदगी रहती है। प्रसूता गंभीर स्थिति में भर्ती है। मेडिकल कालेज के प्राचार्य ने जांच के लिए कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं। 

शिवराजपुर ब्लाक के कंठीपुर निवासी मोबीन की 30 वर्षीय गर्भवती पत्नी हसीन बानो बुधवार रात 8.30 बजे अस्पताल की इमरजेंसी में आई थीं। वह डेंगू के लक्षण पर मेडिसिन के डा. विशाल गुप्ता की देखरेख में रात 10.30 बजे वार्ड सात के बेड 40 पर भर्ती थीं। पति ने बताया कि रात 12.30 बजे प्रसव पीड़ा होने पर वहां मौजूद डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाते रहे। मदद के बजाय दो टूक जवाब मिला-यह मेरा काम नहीं है, चुपचाप बैठो। दर्द से बेहाल हसीन शौचालय गईं, जहां प्रसव होने पर नवजात फिसलकर टायलेट सीट में चला गया। सिर सीट के छेद में फंसने पर स्वजन ने पहले पैर पकड़ कर निकालने का प्रयास किया। इस बीच, उनकी महिला रिश्तेदार भागकर इमरजेंसी गईं और पूरी बात बताई। इमरजेंसी मेडिकल अफसर (ईएमओ) पुलिस को लेकर वहां आए। उन्होंने भी निकालने का प्रयास किया। डेढ़ घंटे बाद टायलेट सीट तोड़कर नवजात को निकाल सके, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। 

इनका ये है कहना : 

गर्भवती को स्वजन पहले जच्चा-बच्चा अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग लेकर गए थे। वहां से डेंगू के लक्षण बताकर इमरजेंसी और फिर मेडिसिन विभाग के वार्ड भेज दिया गया। शौचालय में प्रसव व नवजात की मौत का मामला गंभीर है। पूरे प्रकरण की जांच के लिए कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं। दोषी चाहे डाक्टर या कर्मचारी हो उसे सजा जरूर मिलेगी। यह भी देखेंगे कि गंभीर स्थिति पर भी जच्चा-बच्चा अस्पताल में उसे क्यों नहीं भर्ती किया गया।  -प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।

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