खोदाई में निकली तिजोरी को बुलडोजर भी नहीं तोड़ पाया, अंदर खजाना होने का रहस्य बरकरार

कानपुर देहात के रूरा कस्बे के बनीपारा महाराज गांव में पुराने मकान के ध्वस्तीकरण के दौरान खोदाई में तिजोरी निकली है। उसका वजन तीन से चार क्विंटल के आसपास होने से अंदर खजाना होने को लेकर संभावना जताई जा रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 02:52 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 05:23 PM (IST)
खोदाई में निकली तिजोरी को बुलडोजर भी नहीं तोड़ पाया, अंदर खजाना होने का रहस्य बरकरार
कानपुर देहात में तिजोरी मिलने पर लोगों की भीड़ लग गई।

कानपुर, जेएनएन। कुछ दिन पहले मंधना में खोदाई के दौरान प्राचीन तिजोरी निकले से खजाना मिलने को लेकर कौतूहल बन गया था, वहीं अब कानपुर देहात के रूरा में पुराने मकान की खोदाई में तिजोरी मिलने से चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कई क्विंटल वजन वाली इस तिजोरी को बुलडोजर से तोड़ने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली है। तिजोरी के अंदर प्राचीन खजाना होने की चचाओं ने जोर पकड़ लिया है और उसे देखने के लिए आसपास के गांवों से लाेग पहुंच रहे हैं।

कानपुर देहात के रूरा कस्बे के पास बनीपारा महाराज निवासी शंकर दयाल त्रिपाठी उर्फ छोटे मुन्नू अपने पुराने मकान की खोदाई कराकर नया निर्माण करा रहे हैं। बुधवार की शाम मकान की खोदाई कराते समय अचानक कुछ लोहे का बक्सा जैसा नजर आया। खोदाई कराने पर कई साल पुरानी तिजोरी बाहर आई तो खजाना मिलने की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। दो-तीन मजदूर उसे एक जगह से हिला तक नहीं पाए। इसपर बुलडोज मंगाकर उसे बाहर निकाला गया।

तिजोरी मिलने की जानकारी होते ही आसपास के गांवों से लोगों की भीड़ पहुंचने लगी और तिजोरी कौतूहल का विषय बन गई। इस दौरान मुन्नू ने बुलडोजर से तिजोरी को तुड़वाने का प्रयास किया लेकिन उसे तोड़ा नहीं जा सका। लोगों की मानें तो तीन-चार क्विंटल का वजन होने के चलते तिजोरी के अंदर खजाना होने की प्रबल संभावना बनी है। शंकरदयाल ने बताया कि उनका मकान करीब पचास साल से भी ज्यादा पुराना है। वहीं तहसीलदार डेरापुर लाल सिंह का कहना है तिजोरी मिलने की जानकारी हुई, माकले की पड़ताल कराई जाएगी।

एक माह पहले मंधना में मिली थी तिजोरी

करीब एक माह पहले कानपुर के मंधना क्षेत्र में जीटी चौड़ीकरण के लिए दुकानें गिराने के दौरान खोदाई में तिजोरी निकली थी। दुकान और मकान मालिक ने खजाना हाेने की संभावना पर अपना दावा तिजोरी पर रखा था। तहसीलदार ने तिजोरी को थाने के मालखाने में रखवा दिया था, जो आज तक खोली नहीं जा सकी है। दोनों दावेदारों में किसी से पुख्ता सबूत नहीं मिलने से अभी साबित नहीं हुआ है कि तिजोरी किसकी है।

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