Three Idiots से मिला आइडिया तो बना डाली तनाव नापने की मशीन, अबतक 50 लोगों पर परीक्षण
फर्रुखाबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीयनियरिंग छात्र असित तिवारी ने स्ट्रेस लेवल इंडीकेटर मशीन तैयार की है। इसका अबतक पचास लोगों पर परीक्षण किया जा चुका है और अटल टिकरिंग लैब में भी परखा गया है। अब आइआइटी में जांच की तैयारी है।
फर्रुखाबाद, धीरज अग्निहोत्री। ये इंजीनियर लोग बड़े चालाक होते हैं...ऐसी कोई मशीन ही नहीं बनाई जिससे पता चल सके कि दिमाग पर कितना प्रेशर है। फिल्म थ्री इडियट्स में इंजीनियरिंग छात्र जॉय लोबो (अली फजल) की खुदकुशी के बाद फुंगसुक वांगड़ू (आमिर खान) का ये डायलॉग तो आपको याद ही होगा। इस एक डायलॉग ने इलेक्ट्रिकल इंजीयनियरिंग छात्र असित तिवारी को ऐसा झकझोरा कि उन्होंने दिमाग का तनाव नापने की मशीन बना डाली। उनके बनाए स्ट्रेस लेवल इंडीकेटर पर अंगुली रखने के कुछ पलों में ही मानसिक तनाव का पता चल जाता है। अबतक 50 लोगों पर परीक्षण के साथ अटल टिकरिंग लैब में भी मशीन को परखा गया है।
अधिवक्ता के बेटे ने किया कमाल
नौकरी की चिंता, पढ़ाई की फिक्र। परिवार की सेहत की उलझन, सबका नतीजा तनाव लेकिन आपके मानसिक तनाव को कोई नहीं समझ सकता क्योंकि अब तक इसे मापने का कोई पैमाना नहीं था। फर्रुखाबाद के मोहल्ला दिल्ली ख्याली कूंचा निवासी अधिवक्ता सुनीलदत्त तिवारी के पुत्र राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज कन्नौज में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग अंतिम वर्ष के छात्र असित बताते हैं कि फिल्म थ्री इडियट्स के इस डायलॉग ने सोचने को मजबूर किया तो लगा कि वाकई डायबिटीज से लेकर बुखार तक को नापा जा सकता है लेकिन कोई ऐसा पैमाना नहीं है जो मानसिक तनाव को बताए। यही सोचकर स्ट्रेस लेवल इंडीकेटर मशीन बनाने में जुट गए। इसमें उन्होंने अटल टिकरिंग लैब कानपुर के संस्थापक व जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कालेज के भौतिकी के शिक्षक कौस्तुभ ओमर की मदद ली। शिक्षक कहते हैं कि अगर समय पर पता चल जाए तो लोगों को अवसाद में जाने से रोका जा सकता है।
इंडीकेटर का रंग बताता स्थिति
स्ट्रेस लेवल इंडीकेटर में रेड, ग्रीन व कलरफुल एलईडी लाइट्स लगी हैं। इंडीकेटर के सेंसर पर अंगुली रखी जाती है। इंडीकेटर में लाल बत्ती खतरे का इशारा करती है। बीप के साथ रेड एलईडी जलती है तो यह हाई डिप्रेशन में जाने का संकेत है। ग्रीन लाइट मानसिक तनाव कम होने की जानकारी देती है। वहीं, कलरफुल लाइट्स स्थिति सामान्य होने की जानकारी देती है। इसके ऊपर इमोजी भी लगाए गए हैं जो लाइट के अनुरूप यानी रेड में उदास, ग्रीन में सोच में पडऩे वाला और कलरफुल लाइट में खुश रहने वाला दिखाता है।
ऐसे पता चलता तनाव का स्तर
स्ट्रेस लेवल इंडीकेटर को त्वचा (स्किन) के संपर्क में लाकर त्वचा पर दबाव डाला जाता है। इसके बाद डिवाइस के सेंसर पर अंगूठा रखते ही वह तनाव की गणना होती है। तनाव जितना अधिक होगा, उतना रजिस्टेंस (शरीर में करंट के विरोध करने की क्षमता) कम हो जाएगा। तनाव व रजिस्टेंस को एक-दूसरे का पूरक बनाया गया है। यानी एक घटेगा तो दूसरा बढ़ेगा। यदि रजिस्टेंस कम है तो तनाव अधिक है।
परीक्षण के लिए भेजा आइआइटी
शिक्षक कौस्तुभ ओमर ने बताया कि असित के प्रोजेक्ट को अटल टिकरिंग लैब में परखा गया है। इसमें अभी कुछ संशोधन की जरूरत है लेकिन इसे परीक्षण के लिए वीडियो के साथ ई-मेल आइआइटी को भेजा है। वहां से प्रमाणित होने के बाद इसे आम जन के लिए बाजार में लाना आसान होगा। इसके जरिए चिकित्सक ज्यादा बेहतर ढंग से तनाव का स्तर पता कर सकेंगे।
एक हजार रुपये की लागत
यह उपकरण बनाने में एक हजार रुपये खर्च आया। सॢकट बोर्ड को बॉक्स में लगाकर उसमें एलईडी, रजिस्टेंस, कैपेसिटर, आइसी, पोटेंसियो मीटर, इंटीग्रेटेड सॢकट समेत 50 से ज्यादा उपकरण लगे हैं।
ये रहे अनुभव
1- करीब 2 माह पहले स्ट्रेस लेवल इंडीकेटर पर अंगूठा रखा तो रेड लाइट जलने लगी। उस वक्त एग्जाम का प्रेशर था, इसलिए थोड़ा टेंशन में था। इंडीकेटर ने उस प्रेशर को बखूबी भांपा। इसके बाद मैं तनावमुक्त होने की कोशिश करने लगा। -करुणव वर्मा, निवासी फीरोजाबाद, बीटेक छात्र
2- डेढ़ माह पहले असित के घर निमंत्रण देने गया तो वहां इस उपकरण पर तनाव मापा। उसमें कलरफुल लाइट जलने लगी। दो लोग और आए, जिन्होंने अंगूठा रखा तो रेड लाइट जली। उन्होंने बताया कि डाक्टर के यहां से आ रहे हैं, ब्लडप्रेशर बढ़ा है। -संदीप कुमार, निवासी गढ़ी नवाब न्यामत खां फर्रुखाबाद
-अभी तो हम लोग चेहरे, दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर से ही तनाव का आकलन करते थे लेकिन ये मशीन तो अंगूठा रखने मात्र से मानसिक स्थिति बता रही है। ये बेहतर है। इस संबंध में छात्र से बात करेंगे ताकि चिकित्सा क्षेत्र में कैसे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। -डा. आरती लालचंदानी, पूर्व प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर
-मानसिक तनाव का सीधा संबंध न्यूरो से होता है लेकिन त्वचा के संपर्क में आने के बाद यह उपकरण मानसिक तनाव बता रहा है। ऐसे में ये बेहतर काम करेगा। इसके जरिए लोगों को अवसाद में जाने से पहले ही रोका जा सकेगा। -डॉ. राजकुमार, पूर्व कुलपति उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई, इटावा