कानपुर विकास प्राधिकरण में घालमेल और खेल का सिलसिला, पीएम आवास और कंप्यूटर खरीद में धांधली

केडीए में पीएम आवास योजना में खेल किया जा रहा है कर्मचारियों के रिश्तेदार ग्राहक को फंसा रहे हैं। आवास दिलाने के नाम पर 20 से 25 हजार रुपये लेकर परेशान किया जा रहा है। वहीं कंप्यूटर की खरीद में भी घालमेल सामने आया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 10:57 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 10:57 AM (IST)
कानपुर विकास प्राधिकरण में घालमेल और खेल का सिलसिला, पीएम आवास और कंप्यूटर खरीद में धांधली
केडीए में कर्मियों के रिश्तेदार ग्राहक फंसा रहे हैं।

कानपुर, जेएनएन। केडीए में ही प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ खेल हो रहा है तो कंप्यूटर खरीद के नाम पर घालमेल सामने आ रहा है। केडीए कर्मचारियों के रिश्तेदार ग्राहक फंसा रहे हैं। प्राधिकरण में बैठने के कारण लोग इनके झांसे में फंस जाते हैं। केडीए की हर मंजिल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिनके माध्यम से इन ब्रोकरों को पकड़ा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर फर्जी रजिस्ट्री और डीजल घोटाले के बाद केडीए में कंप्यूटर खरीद के नाम पर घोटाला सामने आया है। पता चला है कि अफसरों ने कंप्यूटर विभाग में सामग्री खरीदे बिना ही पांच लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान कर दिया। मंडलायुक्त ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। हैरानी की बात ये है कि घोटाले से जुड़ी फाइल भी गायब कर दी गई है। इससे तमाम अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि घोटाले में लिप्त अधिकारी-कर्मचारी ने ही फाइल इधर से उधर की है।

प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। गरीबों को सस्ते मकान दिलाने की योजना में केडीए कर्मचारियों के रिश्तेदार छेद कर रहे हैं। ये रिश्तेदार सुबह से शाम तक बैठे रहते हैं। ये गरीबों को पीएम आवास दिलाने के बहाने 20 से 25 हजार रुपये वसूल लेते हैं। इसमें एक कर्मचारी का साला भी है। एक महिला भी ब्रोकर का काम करती है। कर्मचारी नेता बचाऊ ङ्क्षसह और प्रदीप पांडेय ने बताया कि इससे प्राधिकरण की बदनामी हो रही है। बिना काम के रोज आने वाले बाहरी लोगों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया जाए। पीएम आवास योजना का काम देख रहे अधिशासी अभियंता आशु मित्तल ने बताया कि ऐसा है तो इसकी जांच करा रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।

केडीए में कंप्यूटर खरीद के नाम पर घालमेल

अधिवक्ता मनोज सिंह ने मंडलायुक्त और केडीए अध्यक्ष डा राजशेखर को केडीए में कंप्यूटर सामग्री आपूर्ति के लिए मेसर्स सिमरन कंप्यूटर्स द्वारा कैलेंडर वर्ष 2009-10 में साफ्टवेयर आटोकैड के पांच बिल प्रस्तुत किए हैं। आरोप है कि इन बिलों का भुगतान हुआ है, लेकिन सामग्री की आपूर्ति नहीं की गई है। इसी तरह सॉफ्टवेयर के भी बिल है, जिनका भुगतान तो हुआ, लेकिन असल में ये खरीदे ही नहीं गए। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मंडलायुक्त ने केडीए उपाध्यक्ष को 11 जून को जांच के आदेश दिए है। इसके बाद से सक्रिय रैकेट में खलबली मची है। कंप्यूटर विभाग के प्रभारी आरआरपी सिंह ने बताया कि इस मामले से जुड़ी फाइल ढूंढी जा रही है। फाइल की लोकेशन बताने वाला संबंधित रजिस्टर मिल गया है। फाइल मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

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