Big Corruption In UP: फतेहपुर में 13 लाख के घपले में दो VDO निलंबित, प्रधान और दोषियों से होगी वसूली

Big Corruption In UP पट्टी शाह गांव में राज्य वित्त और मनरेगा से विकास कार्य कराए थे। इन विकास कार्यों को मानक व गुणवत्ता के साथ पूरा नहीं किया गया। 10 कार्य ऐसे थे जो पूर्ण भी नहीं थे और पैसा निकल चुका था।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 08:10 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 08:10 PM (IST)
Big Corruption In UP: फतेहपुर में 13 लाख के घपले में दो VDO निलंबित, प्रधान और दोषियों से होगी वसूली
फतेहपुर में भ्रष्टाचार के मामले से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

फतेहपुर, जेएनएन। Big Corruption In UP हथगाम ब्लाक के पट्टी शाह गांव के विकास कार्यों में 13 लाख रुपये के घपले पर डीएम अपूर्वा दुबे ने दो वीडीओ (ग्राम विकास अधिकारी) को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई प्रयागराज की तकनीकी मूल्यांकन समिति  (टीएसी) की जांच को आधार बनाते हुए की गई है। इसी मामले में शामिल ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) प्रखंड के जेई के निलंबन की संस्तुति निदेशक आरईएस को भेजी गई  है जबकि तकनीकी सहायक (टीए) के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश उपायुक्त मनरेगा को दिया है। 

घपले में दोषी पाई गईं तत्कालीन ग्राम प्रधान तकसीन फात्मा व सचिवों पर मुकदमा अक्टूबर में दर्ज हुआ था। अब इस घपले की कार्यावधि में पंचायत सचिव का जिम्मा संभाल रहे वीडीओ विद्या भूषण और संतोष कुमार को निलंबित किया गया है। जांच में आरईएस के जेई अखिलेश यादव को भी दोषी मानते हुए निलंबन की संस्तुति की गई है। साथ ही टीए शिवओम के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। डीएम ने घपले की राशि की रिकवरी कराकर सरकारी खजाने में जमा कराने का आदेश दिया है। जिला पंचायतराज अधिकारी अजय आनंद सरोज ने बताया कि घपले की आधी राशि ग्राम प्रधान और शेष आधी राशि दोषी कर्मचारियों से वसूली जाएगी।

यह है मामला: पट्टी शाह गांव में राज्य वित्त और मनरेगा से विकास कार्य कराए थे। इन विकास कार्यों को मानक व गुणवत्ता के साथ पूरा नहीं किया गया। 10 कार्य ऐसे थे, जो पूर्ण भी नहीं थे और पैसा निकल चुका था। सितंबर में राज्यमंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी सिंह ने यहां के घपले की शिकायत सीएम से करते हुए जांच की मांग की थी। सीएम के निर्देश पर प्रयागराज की टीएसी ने जांच कर करीब 300 पन्नों की रिपोर्ट पंचायत राज विभाग को सौंपी थी। 

कार्रवाई करने में लग गए आठ माह: टीएसी जांच भले ही अक्टूबर 2020 में पूरी हो गई थी, लेकिन विभाग को कार्रवाई करने में करीब आठ माह का समय लग गया। इस बीच कर्मचारियों की भूमिका को लेकर तीन-तीन बार जांचें हुईं। 

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