कानपुर में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी एक योजना, बिटिया की शादी के 10 साल बाद बन गए अनुदान के पात्र

कानपुर सदर तहसील के लेखपालों के फर्जीवाड़े पर एसडीएम की मुहर तक लगा दी गई। सदर तहसील में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं जिसकी बानगी मात्र में शादी अनुदान के फजीवाड़े सामने आ रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 10:52 AM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 10:52 AM (IST)
कानपुर में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी एक योजना, बिटिया की शादी के 10 साल बाद बन गए अनुदान के पात्र
कानपुर में शादी अनुदान योजना में फर्जीवाड़ा।

कानपुर, [दिग्विजय सिंह]। शहर में किस तरह गरीबों की बेटियों के हाथ पीले करने की योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है, यह जानने के लिए नीचे दिए गए चार केस ही काफी हैं...। दलाल और राजस्वकर्मी की मिलीभगत से इस योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। भला हो सीडीओ का जिन्होंने कुछ फाइलों की जांच कराई तो भ्रष्टाचार परत दर परत सामने आने लगा। पता चला है कि जिसके 11 साल की बेटी है उस पिता को भी शादी अनुदान के लिए पात्र बना दिया गया, जिस दंपती को बेटी नहीं थी उनका भी फार्म भर दिया गया। पड़ताल में पता चला कि जिनकी बेटियों की शादी पांच से 10 साल पहले हो गई है, उनके आवेदन पत्र भी अनुदान के लिए स्वीकृत कर दिए गए हैं। बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन भी सामने आए हैं जो दर्ज कराए गए पते पर रहते ही नहीं हैं।

केस-1 : 243 कल्याणपुर- 2 निवासी अनीता सोनकर की कोई बेटी नहीं है। सिर्फ दो बेटे हैं। अनुदान सिर्फ उन्हें मिलता है, जिनकी बेटी हो और परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा हो, लेकिन बिना बेटी के ही आवेदन स्वीकृत हो गया।

केस-2 : 102 कल्याणपुर निवासी शिव रतन पासवान की बिटिया की शादी हुए 10 साल बीत गए, कोई अन्य बेटी परिवार में नहीं है, फिर भी उनका आवेदन पत्र मंजूर हो गया और रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग में पहुंच गई।

केस-3 : आरती कमल के यहां भी कोई बेटी शादी योग्य नहीं है। छह साल पहले बेटी की शादी हो चुकी है, लेकिन उनके नाम से भी फार्म भरा गया है और जरूरी कागजात उसके साथ लगाए गए हैं। लेखपाल ने इस आवेदन को भी आंख मूंदकर पात्र कर दिया।

केस-4 : 16-ए चंदारी सीओडी पते से राजबाबू के नाम से फार्म भरा गया है। इस पते पर इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता, जबकि आय प्रमाण पत्र समेत अन्य जरूरी कागजात आवेदन पत्र के साथ लगे हैं और उसे लेखपाल की ओर से स्वीकृत किया गया है।

मूल पते में नहीं मिले आवेदक

217 मख्दूम नगर निवासी विजेंद्र के नाम से आवेदन किया गया है, लेकिन संबंधित पते पर विजेंद्र नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता। नूरी रोड नई बस्ती अंबेडकर नगर के पते से आवेदन करने वाले अमर सिंह भी इस पते पर नहीं रहते। ऐसे एक-दो नहीं बल्कि दो दर्जन से अधिक लोग हैं, जिनके नाम का कोई व्यक्ति संबंधित पते पर नहीं मिला, लेकिन उन्हें भी पात्र घोषित किया गया है। इसी तरह दो दर्जन से अधिक मामले समाज कल्याण विभाग के ऐसे हैं जिनकी बेटियों की या तो शादी हो गई है या बेटी शादी योग्य नहीं है, लेकिन लेखपालों ने आंख मूंदकर जांच की और उन्हें भी पात्र कर दिया। एसडीएम ने उनकी रिपोर्ट को सच मानकर आगे भी बढ़ा दिया।

ये है अनुदान मिलने की प्रक्रिया

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला कोई भी व्यक्ति आय प्रमाण पत्र लगाकर बेटी की शादी के लिए मिलने वाले अनुमान के लिए आवेदन कर सकता है। ये प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। सत्यापन लेखपाल करता है और ये जांचता है कि पात्रता के मानक पूरे हो रहे हैं या नहीं। यदि आवेदक पात्र होता है तो एसडीएम डिजिटल हस्ताक्षर कर उसे समाज कल्याण विभाग को ऑनलाइन भेजते हैं। इसके बाद अनुदान स्वीकृत होता है।

ऐसे खुला मामला

बर्रा आठ के प्रदीप कुमार और रजनी की कोई बेटी नहीं है। इन दोनों के नाम से बिटिया की शादी के लिए अलग- अलग फार्म भरा गया। लेखपाल ने उन्हें पात्र घोषित किया। इसी तरह श्याम नगर के ओमप्रकाश दीक्षित की बेटी अभी शादी योग्य नहीं है। उन्हें पात्र बनाया गया। सीडीओ डॉ. महेंद्र कुमार को शक हुआ तो उन्होंने जांच कराई और मामला पकड़ में आ गया। इसी तरह सीडीओ द्वारा कराई गई जांच में ही पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के दो अपात्रों को पात्र बनाने का मामला पकड़ में आ चुका है।

विस्तृत जांच में खुलेगा बड़ा खेल

तीन अपात्रों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है। दो लेखपालों को निलंबित किया गया है। अब सभी फार्मों की विस्तृत जांच कराने के लिए एडीएम आपूर्ति को जांच अधिकारी नामित किया गया है। विस्तृत जांच होगी तो भ्रष्टाचार की परतें खुलेंगी और तमाम अपात्र सामने आएंगे।

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