कानपुर के नर्वल में कानूनगो ने कूटरचित दस्तावेजों से किया था सरकारी भूमि का उपयोग परिवर्तन
भूउपयोग परिवर्तन के लिए रिश्वत मांगने का ऑडियो वायरल होने पर निलंबित हुआ कानूनगो पहले से भी कई मामलों में संदेहस्पद रहा है। उसपर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे लेकिन कार्रर्वा न होने से मनमाना रवैया जारी रहा।
कानपुर, जेएनएन। नर्वल में कानूनगो शिवकिशोर तिवारी की छवि बहुत अच्छी नहीं है। उस पर पहले से भी भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त होने का आरोप लगता रहा है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। विवादित होने के बाद भी उसके पास दो-दो सर्किल का चार्ज था।
कुछ माह पहले तीन ऐसे मामले आए थे जिनमें कूटरचित दस्तावेजों से सरकारी जमीन का भू उपयोग परिवर्तन किया गया था। शिकायत पर जब तहसील के बड़े अधिकारी फंसते नजर आए तो तत्कालीन एसडीएम रिजवाना शाहिद ने तीनों आदेश निरस्त किए थे। जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद शिवकिशोर तिवारी को अभयदान दे दिया गया था।
नर्वल के घुरवाखेड़ा में खतौनी वर्ष 1424-1429 फसली की खाता संख्या 00264 व आराजी नंबर 425 पर दर्ज जमीन रकबा 0.4610 हेक्टेयर का भू उपयोग परिवर्तन कर दिया गया था, जबकि उक्त भूमि जलावनी लकड़ी के नाम दर्ज है। इसी तरह नर्वल के पारा में चरागाह की जमीन आराजी संख्या 214 के खाता संख्या 00090 का भूउपयोग परिवर्तन कर अकृषि घोषित कर दिया गया, जबकि इस जमीन का डीएम के यहां पट्टा निरस्तीकरण का वाद भी चल रहा था।
अंधेर ऐसी कि बिना वाद निस्तारित हुए ही धारा 80 की कार्रवाई करते हुए चरागाह की जमीन का भू उपयोग परिवर्तन कर दिया गया। नगवां में भी एक मामला प्रकाश में आया था। नायब तहसीलदार की जांच में कानूनगो शिवकिशोर तिवारी को कूटरचित दस्तावेज लगाकर भूपरिवर्तन कराने का दोषी पाया गया था, लेकिन आरोपित कानूनगो का रसूख ऐसा कि कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पाली सर्किल में होता है लाखों का सौदा
घूसखोरी के आरोप में निलंबित किए गए कानूनगो शिवकिशोर तिवारी के पास नर्वल व पाली दोनों सर्किल थे। पाली सर्किल चकेरी सीमा से जुड़ी हुई है। इस सॢकल के गांवों में प्लाटिंग होने के चलते जमीनों की खरीद-फरोख्त व भू उपयोग परिवर्तन के मामलों में राजस्व अधिकारियों का लाखों का सौदा होता है।
प्लाटिंग के लिए कराया जा रहा भू उपयोग परिवर्तन
नर्वल तहसील के पाली सर्किल में बड़े पैमाने पर प्लाटिंग हो रही है। भू उपयोग परिवर्तन कराने के लिए ही कालोनाइजर्स मुंहमांगी कीमत देते हैं। पिछले एक साल में पाली ही नहीं बल्कि प्रयागराज हाईवे और उसके आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भू उपयोग परिवर्तन किया जा रहा है। भू उपयोग परिवर्तन में कानूनगो और लेखपाल की रिपोर्ट पर ही भू उपयोग परिवर्तन होता है। इसी मजबूरी का वे लाभ उठाते हैंं।
पाली सर्किल में आने वाले गांव
नगवां, पिपरगवां, घुरवाखेड़ा, कोरियां, कठोंगर, उचटी, कसिगवां, जरकला, बघारा आदि गांव शहरी सीमा चकेरी व रामादेवी से जुड़े हैं। यहां की जमीनों की कीमत प्रति बीघा पचास लाख से एक करोड़ रुपये तक है। इन गांवों में प्लाटिंग का कारोबार फल -फूल रहा है। प्लाटिंग के चलते जब भू उपयोग परिवर्तन कराने के लिए आवेदन किया जाता है तभी से ही खेल शुरू हो जाता है। नाम न छापने की शर्त पर एक लेखपाल ने बताया कि साधारण जमीन के भू परिवर्तन का रेट एक से तीन लाख, जबकि हाईवे के नजदीक व लिंक रोड से लगी जमीनों का पांच से दस लाख रुपये में सौदा होता है।
रिश्वत लेने वाला कर्मचारी हुआ सेवामुक्त
गोविंदनगर स्थित नगर निगम जोनल कार्यालय में प्रमाण पत्र के नाम पर रिश्वत लेने वाले कर्मचारी को नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने सेवामुक्त कर दिया गया है। जोनल कार्यालय के अंदर प्रमाण पत्र के नाम पर लोगों से वसूली की जाती थी। सोमवार को इंटरनेट मीडिया में रिश्वत लेने का वीडियो वायरल हो गया था। मामले में नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय संखवार ने नोटिस देकर जवाब मांगा था। उसमें लिखा था कि क्यों ना आपकी सेवा समाप्त कर दी जाए। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर डॉ. अजय संखवार ने कर्मचारी को सेवामुक्त कर दिया है।