किसानों को पांच गुना मुआवजा न मिलने पर रद हुआ भाऊपुर इंडस्ट्रियल कारिडोर
लाजिस्टिक पार्क डिफेंस से जुड़ी इकाई लेदर और फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े उद्योग लगेंगे। यहां वैसे तो भाऊपुर समेत 22 गांवों की 20 हजार एकड़ भूमि अधिसूचित की गई थी लेकिन पहले चरण में 2724 एकड़ भूमि पर क्लस्टर स्थापित होगा।
कानपुर, जेएनएन। भाऊपुर में इंवेस्टमेंट मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (इंडस्ट्रियल कारिडोर) की स्थापना अब नहीं होगी। वैसे भी यह प्रोजेक्ट 2019 से ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, क्योंकि भाऊपुर व आसपास के गांवों के किसान बाजार रेट और सॢकल रेट में जो अधिक हो उसका पांच से छह गुना तक मुआवजा मांग रहे थे। उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण प्रबंधन (यूपीसीडा) पांच साल की किश्तों में सात गुना मुआवजा देने को तैयार था, लेकिन सहमति नहीं बन पायी। अब इसे शासन स्तर से रद कर दिया गया है। चूंकि भूमि अधिसूचित है, ऐसे में भविष्य में जब कभी आवश्यकता होगी तो यहां औद्योगिक क्षेत्र बसाने के लिए फिर से किसानों से बात की जाएगी। लुधियाना से कोलकाता के लिए बनाए जा रहे इस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर के किनारे यूपी में 18 जगहों पर पांच साल पहले औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए भूमि अधिसूचित की गई थी।
तब तय किया गया था कि भाऊपुर में इंवेस्टमेंट मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना की जाएगी। इसमें लाजिस्टिक पार्क, डिफेंस से जुड़ी इकाई, लेदर और फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े उद्योग लगेंगे। यहां वैसे तो भाऊपुर समेत 22 गांवों की 20 हजार एकड़ भूमि अधिसूचित की गई थी, लेकिन पहले चरण में 2724 एकड़ भूमि पर क्लस्टर स्थापित होगा। इस भूमि में 402 एकड़ भूमि ग्राम समाज की है। ऐसे में यह भूमि प्राधिकरण को निश्शुल्क या सॢकल रेट पर मिल जाती।
ग्राम समाज की भूमि के पुनग्र्रहण का प्रस्ताव भी प्रबंधन ने प्रशासन को दिया था और फिर किसानों से मुआवजे को लेकर बात शुरू की थी। इस पर किसान पांच से छह गुना मुआवजा मांगने लगे। प्रबंधन ने उन्हेंं सात गुना तक मुआवजा देने की बात कही पर शर्त रखी कि यह राशि उन्हेंं किस्तों में दी जाएगी, लेकिन किसान तैयार नहीं हुए। परिणाम स्वरूप 2018 में प्रोजेक्ट की फाइल बंद हो गई और तब से इसे खोला ही नहीं गया। अब भारत सरकार को इस क्लस्टर के लिए प्रयागराज के नैनी स्थित सरस्वती हाईटेक सिटी और आगरा में थीम पार्क की एक हजार एकड़ भूमि का प्रस्ताव भेजा गया है।
किस गांव की है कितनी भूमि : रायपालपुर में 1605 एकड़, गुरगांव की 257 एकड़, रामपुर गजरा की 223 एकड़, आंट गांव की 604 एकड़, संभलपुर बिठूर गांव की 35 एकड़ भूमि ली जानी थी। इस तरह कुल कुल 2724 एकड़ भूमि का अधिग्रहण व पुनग्र्रहण होना था। इसमें 2323 एकड़ भूमि किसानों की और 302 एकड़ ग्राम समाज की भूमि है।
ये लाभ होता : तीन से चार लाख लोगों को रोजगार मिलता। साथ ही कानपुर के औद्योगिक विकास को पंख लग जाते। लाजिस्टिक पार्क बनने से शहर के उद्यमी भी अपना माल वहां रख सकते थे और वहीं से कोलकाता या मुंबई के बंदरगाहों तक भेज देते।