Beware: सिलिंडर नहीं, इन्हें जिंदा बम कहिए जनाब.., हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संपर्क से रहता फटने का खतरा
मरीजों के तीमारदार की मजबूरी का फायदा उठाकर ठग हाइड्रोजन व कार्बाइड युक्त सिलिंडरों को बेच रहे हैं । इससे रीफिलिंग कराते समय हाइड्रोजन के संपर्क में आक्सीजन के आते ही सिलिंडर फटने का खतरा रहता है ।
कानपुर, जेएनएन। ऑक्सीजन सिलिंडर को लेकर इतनी मारामारी है कि ठगों ने इसको भी कमाई का धंधा बना लिया। आम आदमी को जानकारी न होने का फायदा उठाते हुए उन्हें ऑक्सीजन की जगह हाइड्रोजन और कार्बाइड के सिलिंडर पकड़ा दिए जा रहे हैं। इन सिलिंडरों में मौजूद हाइड्रोजन गैस ऑक्सीजन के भरते ही हादसे का कारण बन सकती है। इसके चलते बहुत से सिलिंडर प्लांट से वापस कर दिए जा रहे हैं, जिनको लेकर विवाद भी होते रहते हैं।
प्लांट संचालकों के मुताबिक पिछले एक माह में जिसे जहां सिलिंडर मिल गया वह उसमें ऑक्सीजन भरवाने चला आया। पुराने या कमजोर सिलिंडर तो खतरा होते ही हैं, उनसे भी बड़ा खतरा हाइड्रोजन व कार्बाइड के सिलिंडर होते हैं। इन सिलिंडरों के खाली होने पर भी उनमें हाइड्रोजन गैस बची रह जाती है। ऐसे में इन सिलिंडरों में ऑक्सीजन भरते ही दोनों गैस आपस में रिएक्शन करती हैं,जिससे सिलिंडर के ब्लास्ट होने का खतरा बना रहता है। इनकी पहचान उल्टी चूड़ी से होती है, लेकिन शातिरों ने इनके ऊपर का वाल्व भी बदल कर ऑक्सीजन सिलिंडर जैसी चूड़ी लगाना शुरू कर दिया है। प्लांट संचालकों के मुताबिक सिलिंडर इतने ज्यादा आ रहे हैं कि सभी की जांच करना मुश्किल है। जानकार कर्मचारी ही इस धोखे को पकड़ पाते हैं।
पुराने और डैमेज सिलिंडर भी आ रहे हैं। इस तरह के सिलिंडर भी हादसे का कारण बनते हैं। सामान्य तौर पर ऑक्सीजन सिलिंडर में 140 पौंड फोर्स पर स्कवायर इंच (पीएसआइ) के प्रेशर से ऑक्सीजन भरी जाती है, लेकिन इस समय इसे 120 से 130 पीएसआइ पर ऑक्सीजन भरी जा रही है। इसका नुकसान ऑक्सीजन सिलिंडर भरवाने वाले को होता है। उसमें ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। हालांकि प्लांट संचालक 130 पीएसआइ पर सिलिंडर भरा होने का दावा करते हैं।