कई बीमारियों को दूर करने वाले बेल को लगा रोग, कानपुर आसपास क्षेत्र में खत्म हो रहे पेड़, जानिए- दिव्य वृक्ष के फायदे

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने बले के पेड़ों को रोग से बचाने के लिए शोध शुरू कर दिया है। पेड़ों में खतरनाक बीमारी के चलते फल गिर रहे हैं और पत्तियां सूखने के साथ पेड़ ठूंठ बनते जा रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 01:58 PM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 05:33 PM (IST)
कई बीमारियों को दूर करने वाले बेल को लगा रोग, कानपुर आसपास क्षेत्र में खत्म हो रहे पेड़, जानिए- दिव्य वृक्ष के फायदे
सीएसए में कई पेड़ों में हुई खतरनाक बीमारी।

कानपुर, जेएनएन। दिल, गुर्दा और उदर के गंभीर रोगों को दूर करने वाला बेल खुद रोग्रस्त हो गया है। कानपुर और कानपुर देहात समेत अन्य जिलों में बेल के पेड़ों पर खतरनाक बीमारी का हमला हुआ है। फल कच्ची अवस्था में ही गिर रहे हैं, पत्तियां सूखने लगी हैं और पेड़ ठूंठ हो रहे हैं। इसे लेकर कृषि विशेषज्ञ खासा चितिंत हो गए हैं। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने पेड़ों को बचाने के लिए शोध शुरू कर दिया है।

सीएसए परिसर के पेड़ों में भी मिली दिक्कत

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय परिसर में लगे 150 से अधिक पेड़ों में इस तरह की दिक्कत मिल रही। यहां के विशेषज्ञों ने शोध करने का निर्णय किया है। शासन को भी प्रारंभिक रिपोर्ट भेजने की तैयारी है। कुलपति डॉ. डीआर ङ्क्षसह के निर्देश में अलग अलग विभागों के विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है। यह जल्द ही जल्द शोध कार्य शुरू करेगी। इसमें निदेशक शोध डॉ. एचजी प्रकाश, डॉ. वीके त्रिपाठी, डॉ. एसके विश्वास, डॉ. वाईपी मलिक, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. रविंद्र कुमार आदि शामिल हैं।

दिव्य वृक्ष कहा गया है बेल

डॉ. एचजी प्रकाश ने बताया कि बेल को भारतीय ग्रंथों में दिव्य वृक्ष कहा गया है। इसके अनगिनत औषधीय गुण हैं। देश में बेल के फलों का क्षेत्रफल 65.06 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 973.6 मीट्रिक टन है। उत्तर प्रदेश में बेल फल का क्षेत्रफल 4.77 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 10.5 लाख मीट्रिक टन है।

इसके वृक्ष क्षारीय एवं बंजर भूमि में, जिन का पीएच मान 10 तक होता है, आसानी से उगाए जाते हैं। पौधे 15 से 30 फीट तक की ऊंचाई व काफी मजबूत होते हैं। सहायक निदेशक शोध डॉ. मनोज मिश्र ने बताया की बेल के सौ ग्राम गूदे में 61.5 ग्राम नमी, 1.8 ग्राम प्रोटीन,0.39 ग्राम वसा, 31.8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.7 ग्राम खनिज लवण, 55 मिलीग्राम कैरोटीन, 0 .13 मिलीग्राम थायमीन, 1.19 मिलीग्राम रिबोफ्लेविन और आठ मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है।

इन बीमारियों में है सहायक पेट से जुड़े अन्य रोगों समेत दस्त और डायरिया की समस्या होने पर बेल काफी सहायक होता है। गर्मी के समय बेल का शर्बत शरीर को ठंडक देने के साथ लू से बचाता है। प्रसव के बाद प्रसूता के लिए बेल का सेवन काफी फायदेमंद होता है। हृदय रोग या बीपी आदि की समस्या में भी बेल का सेवन लाभप्रद होता है। बेल का शर्बत प्रतिदन पीने से गैस, कब्ज जैसी समस्या दूर हो जाती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में सहायक होता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी बचाव करता है। खून साफ करने के साथ त्वजा में भी निखार लाता है।

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