CSJMU Kanpur: एनसीटीई ने बीएड-एमएड काॅलेजों से मांगा शिक्षकों और जमीन का ब्योरा
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से दो सौ बीएड कॉलेज जुड़े हैं इसके साथ ही बीपीएड व एमएड कॉलेजों की संख्या भी 50 के करीब है। अब विश्वविद्यालय कॉलेज प्रशासन ने कालेजों को एनसीटीई के निर्देश से अवगत कराया है।
कानपुर, जेएनएन। सीएसजेएमयू समेत राज्य के अन्य विवि व इनसे संबद्ध बीएड कॉलेजों से नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने शिक्षकों की संख्या, जमीन व इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी मांगी है। कॉलेजों को 15 दिन में यह ब्योरा उपलब्ध कराना है। एनसीटीई रेगुलेशन के अनुसार बीएड का समयांतराल एक साल से बढ़ाकर दो साल किया गया था। इसके अनुसार कॉलेज प्रबंधन को शिक्षकों की संख्या दोगुनी करने के साथ जमीन भी बढ़ानी थी। एनसीटीई की उत्तर क्षेत्रीय कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया था। बीएड के अलावा एमएड व बीपीएड कॉलेजों को भी इस नए रेगुलेशन के तहत बढ़ाए गए संसाधनों के प्रपत्र देने होंगे। मानक पूरे न करने वालों में स्ववित्तपोषित शिक्षक प्रशिक्षक कालेजों के अलावा राज्य विवि व अनुदानित कॉलेज भी शामिल हैं।
सीएसजेएमयू से दो सौ बीएड कॉलेज जुड़े हैं। इसके अलावा बीपीएड व एमएड कॉलेजों की संख्या भी 50 के करीब है। इन कॉलेजों में 25 हजार से अधिक छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं। इस मामले में उप्र स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी का कहना है कि एनसीटीई लगातार बीएड, बीपीएड व बीटीसी कालेजों को एक के बाद एक नोटिस जारी कर रहा है। इससे कालेजों में अनिश्चितता की स्थिति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत जब एनसीटीई को बंद किये जाने का निर्णय लिया जा चुका है। ऐसे में वह अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी कमियों का ठीकरा कालेजों पर फोड़ रहा है।
यह प्रपत्र मांगे गए हैं -अतिरिक्त निर्मित भवन, अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षक संख्या, रिजर्व फंड, अपग्रेड वेबसाइट (हाइपरलिंक करके), शिक्षक, जमीन व स्टाफ