नहीं चेते तो बूंद-बूंद पानी को तरसेगा शहर

-शहर के हर क्षेत्र में जलस्तर में आ रही है गिरावट गर्मी के मौसम में बोरिग फेल हो रही हैं

By JagranEdited By: Publish:Sat, 01 Jun 2019 01:30 AM (IST) Updated:Mon, 03 Jun 2019 06:20 AM (IST)
नहीं चेते तो बूंद-बूंद पानी को तरसेगा शहर
नहीं चेते तो बूंद-बूंद पानी को तरसेगा शहर

जागरण संवाददाता, कानपुर :

पानी की कीमत न समझने वाले शहर के लोगों के लिए खतरे की घंटी बज रही है। पानी को बचाने और खर्च का तौर तरीका न बदला तो आने वाली पीढ़ी बूंद बूंद पानी को तरस जाएगी। क्योंकि शहर के कमोबेश हर इलाके में भूगर्भ जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। गर्मी के मौसम में बोरिग लगातार फेल होती जा रही हैं।

पानी की कमी वैश्विक चिंता है। भारत में यह चिंता गहराती जा रही है। नीति आयोग ने कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स के जो आंकड़े अब तक जारी किए हैं, उसके अनुसार उत्तर प्रदेश की हालत खस्ता है। इस इंडेक्स में दो साल के जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उनके अनुसार उत्तर प्रदेश जो पहले जल प्रबंधन में 14वें नंबर पर था, गलत नीतियों से 15वें नंबर पर पहुंच गया है। गंगा के किनारे बसे कानपुर जैसे शहर भी जलसंकट के खतरे से रूबरू होने वाले हैं। क्योंकि यहां जलस्तर लगातार घटता जा रहा है। यहां भूजल के पहले स्तर का पानी समाप्त हो चुका है और दूसरे स्तर का इस्तेमाल हो रहा है। माना जा रहा है कि भूजल का दोहन यों ही रहा तो एक दशक में दूसरे स्तर का जल भी समाप्त हो जाएगा। फिर सीधे चौथे स्तर के जल का ही प्रयोग हो सकेगा, क्योंकि तीसरे स्तर का जल प्रयोग के लायक नहीं है। यदि ये हालात पैदा हुए तो शहर में पानी का भारी संकट खड़ा हो जाएगा।

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एक वर्ष में इतना घटा जलस्तर

सिविल लाइंस - 45 सेमी.

कल्याणपुर - 58 सेमी.

हीरामन का पुरवा - 55 सेमी.

किदवई नगर - 13 सेमी.

हर्षनगर - 13 सेमी.

ख्यौरा नवाबगंज - 42 सेमी.

बिठूर - 45 सेमी.

नौबस्ता - 38 सेमी.

यशोदानगर - 45 सेमी.

(आंकड़े भूगर्भ जल विभाग के अनुसार)

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कारण

जरूरत का डेढ़ गुना पानी खर्च करता है शहर

- कुल जरूरत 510 एमएलडी पानी की, खर्च कर रहे 810

- दो लाख सबमर्सिबल पंप रोज उगलते 400 एमएलडी पानी नहीं है पानी की कीमत का अहसास

कानपुर को शायद पानी की कीमत का अहसास ही नहीं है। यही वजह है कि जरूरत का डेढ़ गुना पानी खर्च किया जा रहा है। इसका एक बड़ा हिस्सा सड़कों पर बहता है।

आबादी के अनुपात में जलकल विभाग पानी की सप्लाई नहीं कर पाता। शहर की जरूरत करीब 510 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) है। जलकल की सप्लाई महज 410 एमएलडी ही है। ऐसे में शहर के बड़े हिस्से में पानी आपूर्ति का साधन निजी सबमर्सिबल पंप बन गए हैं। करीब दो लाख सबमर्सिबल पंप लगे हैं। एक पंप से अनुमान के अनुसार औसतन दो हजार लीटर पानी निकाला जा रहा है। हालांकि यह आंकड़ा कहीं कहीं इससे काफी अधिक है। यह नजारा कल्याणपुर समेत शहर के नई बसावट वाले इलाकों में अधिक है। यही वजह है कि इन क्षेत्रों का जलस्तर बड़ी तेजी से नीचे जा रहा है। शहर की आबादी

2011 की जनगणना के अनुसार : 27.0 लाख

शहर की फ्लोटिंग पापुलेशन : 01.5 लाख

अब तक आबादी में अनुमानित इजाफा : 01.5 लाख

कुल आबादी : करीब 30 लाख पानी की प्रतिदिन की जरूरत

- एक व्यक्ति को पानी की जरूरत : 167 लीटर

- 30 लाख की आबादी को : 501 एमएलडी पानी की खपत

- जलकल की सप्लाई - 410 एमएलडी

- दो लाख सबमर्सिबल पंपों से आपूर्ति : 400 एमएलडी

- कुल खपत : 810

आंकड़ों की नजर में

शहर में भवनों की संख्या - 4.5 लाख

घरेलू पानी के कनेक्शन - 2.16 लाख

व्यावसायिक कनेक्शन - 30 हजार

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निवारण :::

वक्त पर जाग जाएं तो मुश्किल नहीं पानी बचाना

जल संरक्षण और संचयन के लिए अनेक योजनाएं काम कर रही हैं, लेकिन उनका असर जमीन पर नहीं दिख रहा है। शहर में बड़े पैमाने पर विशाल भवन बने हैं, जिसमें वर्षा जल संचयन का इंतजाम होना चाहिए। इसके बगैर कानपुर विकास प्राधिकरण को इन भवनों का नक्शा भी पास नहीं करना चाहिए। फिर भी अधिकांश भवनों में ये सिस्टम नहीं हैं। नक्शा पास करवाते समय तो ये सिस्टम कागजों में दिखा दिया जाता है, लेकिन असल में यह काम नहीं करता। शहरी क्षेत्र में जल संचयन के जो प्राकृतिक स्रोत थे, वे धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। उन्हें बचाने का प्रयास भी इस दिशा में फायदेमंद साबित हो सकता है।

सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी

-बड़े भवनों में वर्षा जल संचयन की योजना को सख्ती से लागू किया जाए।

-जल संरक्षण और उसके सीमित इस्तेमाल के लिए जनजागरूकता भी हो।

-नगर निगम, जलकल विभाग, नगर प्रशासन समन्वय बनाकर करें काम।

- पेयजल का दुरुपयोग करने वालों पर सख्ती बरती जाए।

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इस तरह पानी बचाने में सहयोग करें

- सबमर्सिबल पंप से पानी लगातार न चलाएं, ड्रम या टंकियों में स्टोर कर लें।

-सबमर्सिबल पंप के पानी से जानवर न नहलाएं या सड़कों को तर न करें।

-घरेलू आरओ के खराब पानी को स्टोर कर उसका अन्य इस्तेमाल कर सकते हैं।

- सड़क पर पानी बहता मिले तो जलकल को शिकायत करें।

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