प्रधानमंत्री रोजगार कार्यक्रम से मुंह चुरा रहे बैंक, ग्रामोद्योग के लिए नहीं दिखा रहे संवेदनशीलता

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के खादी ग्रामोद्योग कमीशन योजना के तहत अबतक कानपुर में बैंकों के पास 38 आवेदन आए जिसमें नौ माह में सिर्फ छह लोगों को ही लाभ दिया गया है। कई बैंकों में एक भी आवेदन नहीं आया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 09:56 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 09:56 AM (IST)
प्रधानमंत्री रोजगार कार्यक्रम से मुंह चुरा रहे बैंक, ग्रामोद्योग के लिए नहीं दिखा रहे संवेदनशीलता
खादी ग्रामोद्योग कमीशन योजना को पलीता लगा रहे हैं बैंक।

कानपुर, जेएनएन। किसी योजना में अगर 38 में मात्र छह लोगों को ही लाभ दिया गया हो तो उस योजना के संबंध में तस्वीर अपने आप साफ होने लगती है। यह लाभ भी अगर नौ माह में दिया गया हो तो हालात और अच्छे से समझे जा सकते हैं। यह स्थिति है प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के केवीआइसी (खादी ग्रामोद्योग कमीशन) योजना की, जो ग्रामीण क्षेत्रों में खादी ग्रामोद्योग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए है।

बैंकों ने स्वीकृत नहीं किए ऋण

आंकड़े बता रहे हैं कि बैंक योजना में आए आवेदनों के लिए बहुत संवेदनशील नहीं हैं। हालांकि इस योजना में ऋण के लिए आवेदन भी बहुत ज्यादा लोगों ने नहीं किया था। इस योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में कानपुर को 38 लोगों को ऋण देने का लक्ष्य रखा गया था। वैसे बैंक चाहें तो इससे भी ज्यादा आवेदकों को ऋण दे सकते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में धूप बत्ती, अगरबत्ती, साबुन, डिटरजेंट आदि बनाने के लिए 47 लोगों ने आवेदन किया। ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने की वजह से बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक नौ लोगों को ऋण देने के लिए कहा गया था लेकिन बैंक ने जो चार आवेदन उसे मिले उसे रद कर वापस कर दिया और अब तक एक भी ऋण ना तो स्वीकृत किया ना ही वितरित किया।

कई बैंकों में एक भी आवेदन नहीं

इस योजना के तहत चार बैंक यूको बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और आइडीबीआइ को एक भी आवेदन नहीं हुआ लेकिन 12 में से नौ बैंक एक भी ऋण वितरित नहीं कर सके हैं। इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, बड़ौदा यूपी ग्रामीण बैंक उस श्रेणी में हैं जिन्हें आवेदन तो किए गए लेकिन वे अप्रैल 2020 से अभी तक एक भी ऋण वितरित नहीं कर पाए हैं। इसमें बैंक आफ इंडिया की स्थिति सबसे अच्छी है, उसे तीन का जो लक्ष्य दिया गया था, वह उसे पूरा कर चुका है।

इसके अलावा सिर्फ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने दो और यूनियन बैंक ने एक ऋण दिया है। इसके ठीक विपरीत खादी ग्रामोद्योग बोर्ड (केवीआइबी) योजना में बैंकों ने काफी उदारता बरती है। इसमें 35 के लक्ष्य के मुकाबले अब तक 24 को ऋण वितरित हो चुके हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा ने इसमें पांच के लक्ष्य के मुकाबले 15 को ऋण दिया है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने तीन के मुकाबले चार, यूनियन बैंक ने दो के मुकाबले तीन को ऋण दिया है। हालांकि इस योजना में भी हाथ बांध कर बैठे रहने वाले बैंकों की संख्या कम नहीं है। सरकार की मंशा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग बढ़ें। खासतौर पर खादी ग्रामोद्योग क्षेत्र में लेकिन बैंक ऋण देने में आवेदकों को काफी परेशान करते हैं। इसके लिए बैठकों में आवाज उठाते हैं, शिकायत भी करते हैं लेकिन कुछ हो नहीं रहा। ज्यादातर आवेदन रद कर वापस करने की मंशा ज्यादा नजर आती है। उनकी कमियों को दूर कराने के प्रयास नहीं होते। - सुरेश गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष, खादी ग्रामोद्योग महासंघ।

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