आतंकियों के पास से मिले रक्षा प्रतिष्ठानों के नक्शे, अंसार गजवातुल हिंद के जरिए युवा भर्ती कर रहा अलकायदा
एटीएस द्वारा लखनऊ में पकड़े गए अलकायदा के दो आतंकियों ने रेकी के दौरान कानपुर से खरीदे गए मोबाइल व सिम का प्रयोग किया था। उनके पास कानपुर के रक्षा प्रतिष्ठानों के नक्शे मिलने के बाद सुरक्षा और बढ़ा दी गई है।
कानपुर, जेएनएन। लखनऊ में पकड़े गए आतंकी संगठन अलकायदा के दोनों सदस्यों ने कानपुर का भी दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने प्रमुख रूप से कानपुर के रक्षा प्रतिष्ठानों को लेकर जानकारियां जुटाईं। एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने इन आतंकवादियों के पास से कानपुर के रक्ष प्रतिष्ठानों के नक्शे भी बरामद किए हैं। इसके बाद रक्षा प्रतिष्ठानों में भी सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए गए हैं।
कानपुर में भी सदस्यों की मौजूदगी के संकेत
आतंकवादी संगठन अलकायदा समर्थित अंसार गजवातुल हिंद ने लखनऊ के अलावा उन्नाव, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, मेरठ और बरेली जैसे शहरों में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं। इन सभी शहरों में इसके सदस्यों की मौजूदगी सामने आई है। एटीएस सूत्रों के मुताबिक मुख्य रूप से धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने के अलावा गिरोह के सदस्यों की नजर देश के रक्षा प्रतिष्ठानों की ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करना है। इसके सबूत आतंकवादियों के पास से मिले नक्शों से होता है। अधिकांश दस्तावेज रक्षाप्रतिष्ठानों से जुड़े सूचनाओं के हैं। इनमें कानपुर के रक्षाप्रतिष्ठानों के नक्शे भी शामिल हैं। कानपुर में सेना की छावनी के अलावा, एयरबेस, आयुध निर्माणियां और डीएमएसआरडीई जैसे प्रतिष्ठान भी हैं।
कानपुर में रेकी के समय की गई मदद
सूत्रों के अनुसार जेहटा बरावन कला दुबग्गा निवासी मिनहाज अहमद और मोहिबुल्लापुर सीतापुर रोड लखनऊ निवासी मसीरूद्दीन उर्फ मुशीर ने कानपुर आकर रक्षा संस्थानों की रेकी भी की थी। इस दौरान करीब आधा दर्जन लोगों ने उनकी मदद की। यहां तक कि इस दौरान उन्होंने जिस मोबाइल व सिम का प्रयोग किया, वह स्थानीय स्तर से ही मुहैया कराए गए थे। बताया जा रहा है कि मोबाइल का इंतजाम पेचबाग निवासी युवक ने किया था। एटीएस की टीम ने सूचनाओं के आधार पर चकेरी, चमनगंज, बेकनगंज समेत आधा दर्जन स्थानों पर छापेमारी की है।
अंसार गजवातुल हिंद के जरिए भर्ती किए जा रहे युवा
अंसार गजवातुल हिंद युवाओं को भ्रमित करके जिहाद के नाम पर आतंकी संगठन अलकायदा से जोड़ रहा है। इन युवाओं को बम बनाने व हथियार चलाने की ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है। राजधानी लखनऊ में दो आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद यही जानकारी मिली है। यह संगठन वर्ष 2019 से सक्रिय है। सूत्रों ने बताया कि उसने इस्लामिक स्टेट (आइएस) के खुरासान मॉड्यूल के खत्म होने के बाद उसमें जुड़े युवकों को भी बरगला कर अपने गिरोह में शामिल किया था। ये गिरोह धीरे-धीरे तमाम इलाकों में अपनी जड़ें जमा रहा है। गिरोह को खुरासान मॉड्यूल की तर्ज पर फंड व ट्रेनिंग उपलब्ध कराने की भी जानकारी मिली है। बता दें कि वर्ष 2017 में लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में मुठभेड़ में मारा गया जाजमऊ चकेरी का निवासी सैफुल्लाह भी खुरासान मॉड्यूल का ही सक्रिय सदस्य था।
उसके मारे जाने के बाद एटीएस व अन्य खुफिया टीमों ने सर्च अभियान चलाकर जाजमऊ व अन्य स्थानों से सैफुल्लाह के चार और साथियों को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा था। कुछ समय बाद ही खुरासान मॉड्यूल की गतिविधियां बंद हो गई थीं। अब लखनऊ एटीएस के साथ ही कमिश्नरेट पुलिस भी चकेरी, चमनगंज, बेकनगंज में निगरानी कर रही हैं।
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