PPP Model के औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए 15 से मांगे जाएंगे आवेदन, इस प्रोजेक्ट पर होगी चर्चा
प्रदेश सरकार की कोशिश है कि अब लोग खुद औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना करें और भूखंड काटकर उप्र लघु उद्योग निगम की निगरानी में बेचें। ऐसे लोगों को सरकार प्रोत्साहित करेगी और विभिन्न तरह की मदद भी देगी। उप्र लघु उद्योग निगम ऐसे समूह जो औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करना चाहेंगे
कानपुर, जेएनएन। प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी माडल) पर औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उप्र लघु उद्योग निगम 15 सितंबर से औद्योगिक क्षेत्र बसाने के इच्छुक कंपनियों, संस्थाओं और औद्योगिक घरानों से आवेदन मांगेगा। प्रबंधन इसके साथ ही इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, फिक्की, प्राविशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन समेत अन्य औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों से भी संपर्क साधेगा और उनसे औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना में मदद मांगेगा। ऐसा इसलिए ताकि हर जिले में कम से कम औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हो सके। ये औद्योगिक क्षेत्र पांच से 25 एकड़ क्षेत्रफल में बसाए जा सकेंगे।
प्रदेश सरकार की कोशिश है कि अब लोग खुद औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना करें और भूखंड काटकर उप्र लघु उद्योग निगम की निगरानी में बेचें। ऐसे लोगों को सरकार प्रोत्साहित करेगी और विभिन्न तरह की मदद भी देगी। उप्र लघु उद्योग निगम ऐसे समूह जो औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करना चाहेंगे उनके प्रस्तावित क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण से अधिसूचित कराएगा। लेआउट बनाएगा और जरूरत पडऩे पर विकास कार्य में वित्तीय मदद भी करेगा। किसी भी औद्योगिक क्षेत्र में कम से कम चार भूखंड काटे जाएंगे। इन कार्यों के बदले में निगम प्रबंधन कुल क्षेत्रफल का पांच फीसद भूमि लेगा। औद्योगिक क्षेत्र बसाने के लिए तीन पार्टनर होंगे। एक पार्टनर भू स्वामी, दूसरा विकासकर्ता और तीसरा उप्र लघु उद्योग निगम होगा। भू-स्वामी और विकासकर्ता की भूमिका में हो सकता है बशर्ते उसके पास विकास कार्य कराने का अनुभव हो।
इसलिए पड़ी जरूरत : अभी औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए भूमि का अधिग्रहण करना मुश्किल हो गया है। कई जिलों में भूमि अधिग्रहण में विवाद हो चुका है। उन्नाव में ही ट्रांसगंगा सिटी की स्थापना के लिए किसानों ने एक बार मुआवजा लेने के बाद दोबारा मुआवजा लिया। साथ ही विकसित भूमि ली। मंधना में एक बार मुआवजा लेने के बाद दोबारा मुआवजा मांग रहे हैं। ऐसे ही कई और जिलों में भूमि विवादों में फंसी हुई है।