सिख विरोधी दंगा : एसआइटी की जांच में 67 दंगाई चिह्नित, कभी भी हो सकती गिरफ्तारी

कानपुर में सिख विरोध दंगे की जांच कर रही एसआइटी ने पुन विवेचना वाले 11 मामलों में 146 आरोपित चिह्नित किए थे। इसमें 79 की मौत हो चुकी है और 69 में केवल 45 ही गिरफ्तारी की स्थिति में हैं। इनमें कई प्रतिष्ठित लोग और जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 08:58 AM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 08:58 AM (IST)
सिख विरोधी दंगा : एसआइटी की जांच में 67 दंगाई चिह्नित, कभी भी हो सकती गिरफ्तारी
एसआइटी सिख विरोधी दंगे की जांच कर रही है।

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शहर में हुए दंगों को लेकर गठित एसआइटी (विशेष जांच दल) ने पुन: विवेचना वाले 11 मामलों में अब तक 67 आरोपित चिह्नित किए हैं। एसआइटी ने शासन को इन नामों की सूची सौंप दी है। आदेश मिलते ही आरोपितों की गिरफ्तारी होगी। हालांकि अफसरों का मानना है कि चिह्नित आरोपितों में से केवल 45 ही गिरफ्तारी लायक हैं। इसमें कुछ नामचीन लोग और जनप्रतिनिधि हैैं। बाकी लोगों की अधिक उम्र और गंभीर बीमारियों के चलते गिरफ्तारी मुश्किल होगी।

कानपुर में हुुए दंगों में 127 सिखों की हत्या हुई थी। उस दौरान कानपुर नगर में हत्या, लूट और डकैती आदि धाराओं में 40 मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने इनमें से 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। 27 मई 2019 को इस मामले में प्रदेश सरकार ने एसआइटी गठित की थी। एसआइटी ने विभिन्न राज्यों में रह रहे पीडि़त परिवारों के लोगों से मिलकर बयान दर्ज किए और अभिलेख तलाशे थे।

एसआइटी के एसपी बालेंदु भूषण ने बताया कि फाइनल रिपोर्ट लगे 20 मुकदमों को अग्रिम विवेचना के लायक माना गया और जांच शुरू की गई, जिसमें से 11 की विवेचना पूरी हो गई है। पुन:विवेचना में इन 11 नए मामलों में 146 दंगाई चिह्नित हुए, लेकिन इनमें से 79 की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में जीवित बचे दंगाइयों की संख्या 67 रह गई है। हालांकि इनमें से भी 20-22 आरोपित ऐसे हैं, जिनकी आयु 75 वर्ष से ज्यादा है या गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। गिरफ्तारी के सवाल पर उन्होंने बताया कि शासन को रिपोर्ट दी है। अनुमति मिलते ही बाकी बचे 45 आरोपितों की गिरफ्तारी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

दिल्ली से तेज निकली कानपुर की एसआइटी

कानपुर की एसआइटी से लगभग पांच वर्ष पहले दिल्ली दंगों की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया था। दिल्ली में सिख विरोध दंगों में लगभग 2700 सिख मारे गए थे। गंभीर धाराओं में 323 मुकदमे पंजीकृत हुए थे। सात सालों में दिल्ली की एसआइटी केवल आठ मामलों को ही चार्जशीट की स्थिति में पहुंचा पाई है, जबकि वहीं कानपुर में ढाई साल में 11 मुकदमों में चार्जशीट की स्थिति है।

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