विश्व पटल पर बढ़ाया देश का मान, कानपुर के अंकित बने संयुक्त राष्ट्र के यंग लीडर
184 देशों के अट्ठराह हजार से अधिक युवाओं के बीच हुआ चयन। आइआइटी संग शुरू किए स्टार्टअप का न्यूयार्क में सम्मान। फोब्र्स ने अपने 30 युवा उद्यमियों की सूची में भी शामिल किया है।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। रविवार का दिन का विदेशी धरती पर शहर का डंका बजाने वाला रहा। कानपुर के लाल आशीष आर्यन की फीचर फिल्म को वाशिंगटन और कैलीफोर्निया में बेस्ट फिल्म और बेस्ट स्टोरी का अवार्ड मिला तो शहर के अंकित अग्रवाल को संयुक्त राष्ट्र संघ ने यंग लीडर अवार्ड से नवाजा। 184 देशों के 18 हजार से अधिक युवाओं के बीच अंकित अग्रवाल को उनके स्टार्टअप के लिए यंग लीडर चुना गया।
करोड़ों युवाओं का करेंगे प्रतिनिधित्व
अंकित अगले दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र की शिक्षा योजना से जुड़कर युवाओं को अपना लक्ष्य पाने के लिए प्रेरित करेंगे। वह पांच महाद्वीप और 17 देश के करोड़ों युवाओं, जिसमें वैज्ञानिक, कहानीकार, डॉक्टर, शिक्षाविद् आदि शामिल हैं, का प्रतिनिधित्व करेंगे। आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने अंकित को उनकी सफलता पर बधाई दी है।
मिलेगा गोलकीपर अवार्ड, फोब्र्स ने भी किया था शामिल
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से कंपनी को गोलकीपर अवार्ड और यूएन मूवमेंट ऑफ चेंज अवार्ड से नवाजा जाएगा। यह सम्मान उन्हें इस महीने न्यूयार्क में मिलेगा। अंकित और करण को फोब्र्स ने अपने 30 युवा उद्यमियों की सूची में भी शामिल किया है। उनकी प्रसिद्धि पर उन्हें कई पुरस्कार हासिल हुए हैं।
हेल्पअस ग्रीन ने दिलाई प्रसिद्धि
अंकित और उनके मित्र करण ने हेल्पअस ग्रीन कंपनी बनाकर मंदिरों से निकलने वाले फूलों का इस्तेमाल थर्माकोल, जैविक खाद और इत्र बनाने में किया। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए इस स्टार्टअप में आइआइटी ने तकनीकी और टाटा ट्रस्ट ने आर्थिक सहयोग दिया था। इस विचार को हाथोंहाथ लिया गया। यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली के 73वें अधिवेशन में कंपनी के सह-संस्थापक अंकित अग्रवाल को यंग लीडर चुना गया। उनके साथ विश्व के कुल 17 युवा यंग लीडर चुने गए हैं।
2005 में बनाई थी कंपनी
शहर के रहने वाले अंकित अग्रवाल और करण रस्तोगी ने आइआइटी से बीटेक करने के बाद 2005 में कंपनी बनाई। सबसे पहले परमट मंदिर और जागेश्वर मंदिर से फूल और पूजा सामग्री एकत्रित की। यह सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ता चला गया। उनकी टीम में कई और आइआइटियंस जुड़ते चले गए। उन्होंने सचेंडी के पास औद्योगिक इकाई स्थापित की। इसमें 70 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया गया। अब तक 11000 टन से अधिक फूलों से गंगा को बचा चुके हैं।