अमेरिकियों को चूना लगाने वाले जसराज और टॉड का सच सामने आया, स्पेनिश नागरिकों को भी ठगा

बारह हजार अमेरिकी नागरिकों से करोड़ों की ठगी के मुख्य सूत्राधार जसराज ने ही टॉड को कंपनी खुलवाई थी। टॉड तीस फीसद कमीशन काटने के बाद बाकी रकम भेजता था पुलिस ने अब उसे भी मुकदमे में शामिल करने की तैयारी की है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 08:59 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 01:31 PM (IST)
अमेरिकियों को चूना लगाने वाले जसराज और टॉड का सच सामने आया, स्पेनिश नागरिकों को भी ठगा
फर्जी कॉल सेंटर मामले में खुल रहीं जालसाजी की परतें।

कानपुर, जेएनएन। फर्जी काल सेंटर के जरिए आनलाइन ठगी करने वाले गिरोह में शामिल अमेरिकी नागरिक टाड को भी क्राइम ब्रांच मुकदमे में शामिल कर सकती है। मंगलवार को अफसरों ने उसको आरोपित किए जाने को लेकर विधिक सलाह ली। हालांकि, अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।

क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया है कि जसराज काफी समय पहले आनलाइन कपड़ों का कारोबार करता था। वह अमेरिका में भी अपना सामान भेजता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात टाड एल. थामस से हुई थी। जब जसराज ने मोहिंद्र के साथ आनलाइन ठगी का काम शुरू किया तो उसने अपना पैसा लगाकर टाड की एक कंपनी स्थापित कराई और गेटवे के जरिए पैसा भारत मंगाने लगा। अफसरों के मुताबिक, इस तरह गेटवे से पैसा मंगाने पर अमूमन 10 से 15 फीसद कमीशन होता है, लेकिन टाड इसके 30 फीसद कमीशन ले रहा था। यानी वह इस बात से वाकिफ था कि जसराज एंड कंपनी साइबर ठगी से पैसा बना रही है।

स्पेनिश नागरिकों को भी लगाया चूना

जसराज और मोहिंद्र ने सिर्फ अमेरिकी नागरिकों को ही नहीं, दो दर्जन से ज्यादा स्पेनिश नागरिकों को भी ठगा। क्राइम ब्रांच को कई स्पेनिश नागरिकों के खाते भी मिले हैं, जिनसे ठगी हुई है। इसलिए बाकी देशों को लेकर पड़ताल की जा रही है कि वहां भी ठगों का जाल था या नहीं।

अब तक अमेरिकन बैंकों से नहीं मिला रिकार्ड

साइबर ठगी के इस अंतरराष्ट्रीय मामले में अमेरिकन बैंकों से क्राइम ब्रांच को मदद नहीं मिल रही है। जसराज के तीन बैंक अकाउंट का ब्योरा मांगा गया था, लेकिन अब तक नहीं मिला है। इससे जांच अटक गई है।

शिक्षित बेरोजगार भी बने शिकार

जालसाजी के इस गिरोह में दर्जन भर शिक्षित युवा भी शिकार बने। गिरोह को अपने काल सेंटर के लिए ऐसे युवाओं की जरूरत थी जो कि फर्राटेदार अमेरिकन अंग्रेजी बोलते हों। इनको नहीं पता था कि वह साइबर ठगी से जुड़े हैं। काल सेंटर में फर्राटेदार अमेरिकन अंग्रेजी बोलने वाले 10 कर्मचारियों को 20 से 50 हजार रुपये महीने के वेतन पर रखा गया था। हालांकि, पुलिस ने सभी कर्मचारियों को छोड़ दिया है, लेकिन उनकी आइडी ले ली गई है, जिससे जरूरत पडऩे पर उन्हें बुलाकर पूछताछ की जा सके।

फर्जी वेबसाइट बनाने वाले तीन की तलाश

फर्जी वेबसाइट और पापअप मैसेज तैयार करने वाले जसराज के तीन साथियों की तलाश अभी पुलिस को है। तीनों ने ठगी के लिए अलग-अलग नाम से एक दर्जन से अधिक फर्जी वेबसाइट बनाईं और उन्हें अमेरिकी नागरिकों के कंप्यूटरों पर भेजा। तीनों की तलाश के लिए उनके नाम-पते भेजकर क्राइम ब्रांच ने दिल्ली और नोएडा पुलिस से मदद मांगी है।

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