कानपुर में आल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन ने संघर्ष जारी रखने का किया एलान, यहां पढ़िए पूरी खबर
आर्डेनेंस फैक्ट्रियों का इतिहास 220 वर्ष पुराना है।रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा सात निगमों की मनमोहक छवि देश के समक्ष प्रस्तुत की गई जबकि पहले से मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर भवन मशीनें कार्यबल अफसर और कर्मचारी सभी कुछ पुराना है सिर्फ नया नामकरण कर दिया गया है।
कानपुर, जेएनएन। आयुध निर्माणियों में अधिकारी वहीं हैं और इंफ्रास्ट्रक्चर भी पुराना है लेकिन नाम बदल दिए गए हैं।सरकार ने राष्ट्रीय संपत्ति को एक बार फिर राष्ट्र को समर्पित कर दिया।सोमवार को आल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष एसएन पाठक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह बात कही।उन्होंने कर्मचारियों के विरोध की सराहना करते हुए कहा कि सतत विरोध आगे भी जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि आर्डेनेंस फैक्ट्रियों का इतिहास 220 वर्ष पुराना है।रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा सात निगमों की मनमोहक छवि देश के समक्ष प्रस्तुत की गई जबकि पहले से मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर, भवन, मशीनें, कार्यबल, अफसर और कर्मचारी सभी कुछ पुराना है सिर्फ नया नामकरण कर दिया गया है। पहले से राष्ट्रीय संपत्ति को पुनः राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया।आर्डेनेंस फैक्ट्री बोर्ड के समय आइओएफएस अधिकारी जो दशकों से मौजूद थे, नाम बदलते ही अचानक प्रोफेशनल मैनेजर बन गए।इन्हीं के बीच से ही सीएमडी और निदेशक बनाए गए हैं जबकि कुछ समय पहले तक इन्हीं अधिकारियों और कर्मचारियों पर उत्पादन से संबंधित तरह-तरह के आरोप प्रत्यारोप किए जाते थे। आल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 1962, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध जब भी देश पर विपत्ति आयी, कर्मचारियों ने हमेशा ही अपने आप को साबित किया।उन्होंने कहा आर्डेनेंस फैक्ट्रियों का विखंडन शासकीय संपत्ति तथा देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।निजी कारपोरेट घरानों को राष्ट्रीय संपदा सौंपने की तैयारी की जा रही है। बावजूद इसके सरकार निगमीकरण के विरोध में कर्मचारियों का मनोबल नहीं तोड़ पाई है। कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध की मशाल को लगातार जलाए रखा है। आर्डेनेंस फैक्ट्री कर्मचारियों का संघर्ष आगे भी निरंतर जारी रहेगा।