कानपुर: धान की फसल को रोग से बचाने के लिए कृषि विभाग तैयार, एडवायजरी जारी कर बताए उपाय
रोग के लक्षण बालियां निकलने के बाद पता चलते हैं। यह हवा द्वारा एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता चला जाता है। इसमें धान की बाली के दाने पीले और काले रंग के आवरण से ढक जाते हैं जिनको छूने पर पाउडर जैसा महसूस होता है।
कानपुर, जेएनएन। धान की फसल में फॉल्स स्मट (मिथ्या कण्डुआ) के खतरे को दूर करने के लिए कृषि विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। किसानों को उनकी फसल को प्रभावित होने से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। बता दें कि यह फफूंद जनित रोग है। इसका असर कुछ जिलों में देखने को मिला है। पिछले वर्ष बिधनू के कुछ खेत इस समस्या से प्रभावित हुए थे। जिला कृषि रक्षा अधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में ही इसको रोकने से फसलों पर किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। किसानों को कुछ सावधानियां रखनी होंगी।
बालियां निकलने पर होती पहचान: रोग के लक्षण बालियां निकलने के बाद पता चलते हैं। यह हवा द्वारा एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता चला जाता है। इसमें धान की बाली के दाने पीले और काले रंग के आवरण से ढक जाते हैं, जिनको छूने पर हाथ में पीले, काले, हरे रंग के पाउडर जैसा महसूस होता है। बीज के अंकुरण में कमी आती है ।
नमी की अधिकता से खतरा: 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान, नमी हल्की वर्षा में रोग फैलता है। अत्यधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग इसके फैलाव में सहायक है।
रोग का प्रबंधन