12 गांवों से अधिक किसानों की फसल जलमग्न होने के बाद खाने तक के लाले, अफसरों ने कही ये बात
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ओपी मौर्य ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि किसान जब पानी कम हो जाता है तो सिंचाई करने के लिए वहां डलवाए गए ह्यूम पाइपों को तोड़ देते हैं और पानी का सिंचाई में उपयोग करते हैं।
कानपुर, जेएनएन। क्षेत्र के 12 गांव से अधिक किसानों की सैकड़ों बीघा धान की फसल जलमग्न होने से परेशानी बनी हुई है। गुरुवार को यहां पानी कम नहीं हुआ और किसान के माथे पर चिंता की लकीरें कम होने का नाम नहीं ले रही। अभी तक पुलिया टूटी व सिल्ट जमा होने की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
हिंजरी व उसरी के पास नाले की पुलिया टूटने के साथ ही चोक होने से जल निकासी बंबे में नहीं हो पा रही है। इससे इटैली, रिवरी, मनावा, उसरी, भगवंतपुर, दांती, हंसपुर, अडऩपुर, लक्ष्मणपुर ,जसवंतपुर,बड़ागांव समेत आसपास गांव के किसानों के धान के खेत जलमग्न हो गए। बुधवार को पानी भरने के बाद गुरुवार को भी यहां यही स्थिति रही। किसान परेशान रहे कि पानी कम नहीं हो रहा और फसल खराब हो जाएगी। ग्रामीणों ने सूपा नाला का पानी बंबे में डालने के लिए हंसपुरवा लक्ष्मणपुर के समीप साइफन बनवा कर उसका पानी आंट रजबहा में डलवाये जाने की मांग की थी।
जिसे पूरा न किए जाने का खामियाजा वर्षों से इन गांवों के ग्रामीण आज तक भुगत रहे हैं। करीब 10 वर्ष पूर्व किसानों की समस्या को समझ कर मौके पर गए तत्कालीन जिलाधिकारी एम. माहेश्वरी ने सिंचाई विभाग के लोगों को यहां साइफन बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हिंजरी के पूर्व प्रधान अजय पाल एडवोकेट ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व डीएम के साथ मौके पर आएसिंचाई विभाग के अधिकारियों ने भी महसूस किया था कि बिना साइफन के इस नाले का पानी आंट रजबहे तक जाना मुश्किल है और जलभराव की समस्या रहेगी। यहां पर समस्या का समाधान अधिकारियों को करना चाहिए।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ओपी मौर्य ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि किसान जब पानी कम हो जाता है तो सिंचाई करने के लिए वहां डलवाए गए ह्यूम पाइपों को तोड़ देते हैं और पानी का सिंचाई में उपयोग करते हैं। पाइप तोड़ दिए जाने एवं सिल्ट जमा हो जाने के कारण यह स्थिति आई है। इसके लिए नहर का पानी बंद करवाना पड़ेगा तब इसे खोदवा कर देखेंगे और नए पाइप डलवा देंगे। वैसे बिना साइफन बनवाए वहां इसी इस स्थिति से उबरा नहीं जा सकता है। साइफन बनाने पर किसान उसे तोड़ नहीं पाएंगे और यह समस्या नहीं आएगी।