गुब्बारा करेगा जंगल और वन्यजीवों की निगरानी, टीकाकरण के लिए भी नहीं जाना पड़ेगा करीब

प्रदेश सरकार के अनुरोध पर आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग ने शुरू की तैयारी।

By AbhishekEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 11:43 AM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 04:06 PM (IST)
गुब्बारा करेगा जंगल और वन्यजीवों की निगरानी, टीकाकरण के लिए भी नहीं जाना पड़ेगा करीब
गुब्बारा करेगा जंगल और वन्यजीवों की निगरानी, टीकाकरण के लिए भी नहीं जाना पड़ेगा करीब

कानपुर, [शशांक शेखर]। जंगल और वन्यजीवों की निगरानी अब और आसान हो गई है। अब जीवों की हर गतिविधि कैमरे में कैद की जा सकेगी। किसी प्रकार का टीका लगाने या ट्रैंकुलाइज करने के लिए भी जीव के पास नहीं जाना होगा। यह संभव होगा एयरोस्टेट बैलून गुब्बारा और उससे लिंक ड्रोन की मदद से। प्रदेश सरकार के अनुरोध पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आइआइटी के एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

हवा में बांधे गए एयरोस्टेट बैलून में लगेंगे थर्मल सेंसिंग कैमरे

जंगल और जीवों की निगरानी के लिए जो एयरोस्टेट बैलून लगाया जाना प्रस्तावित है, उसे एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके घोष और प्रो. सुब्रमण्यम सडरेला ने तकरीबन डेढ़ साल पहले तैयार कर लिया था। इसमें चारों ओर 30 मेगा पिक्सल जूम की क्षमता वाले कैमरे लगाए गए हैं, जो दिन और रात किसी भी समय की हर गतिविधि को रिकॉर्ड कर कंट्रोल रूम तक भेज सकते हैं। प्रो. एके घोष ने बताया कि एयरोस्टेट बैलून सैकड़ों फीट ऊपर निगहबानी करने में सक्षम है। इसमें थर्मल सेंसिंग कैमरे लगे हैं। इन्हें ड्रोन से लिंक किया जाएगा। ये ड्रोन ऑटोमैटिक तरीके से न सिर्फ जानवरों का टीकाकरण करने में सक्षम होंगे बल्कि उन्हें ट्रैंकुलाइज (बेहोश) भी कर सकते हैं।

पहले भी हो चुका है प्रयोग

एयरोस्टेट बैलून का प्रयोग सर्वप्रथम प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में हुआ था। कानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के दौरान और यतीमखाना क्षेत्र में सीएए के विरोध में हुए बवाल के दौरान भी उपद्रवियों की निगरानी के लिए इसे लगाया गया था।

क्या है एयरोस्टेट बैलून

एयरोस्टेट बैलून में हीलियम गैस भरी जाती है। एक बार गैस भरने पर यह 100 मीटर की ऊंचाई पर पांच से छह दिन तक रहता है। जरूरत पडऩे पर इसे 300 मीटर ऊपर तक लगाया जा सकता है।

हीट सेंसर भेजेंगे एलर्ट

प्रो. सडरेला के मुताबिक बैलून में हीट सेंसर डिवाइस लगाई जाएगी, ताकि किसी भी हरकत पर यह अलर्ट मैसेज दे। ये सेेंसर ड्रोन से लिंक होंगे। जरूरत पडऩे पर ड्रोन जानवर के पास जाएगा और उन्हें आसानी से ट्रैंकुलाइज कर देगा। टीकाकरण के लिए भी यही विधि अपनाई जाएगी।

इनका ये है कहना

एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग जीव संरक्षण और जंगलों की निगरानी पर काम रहे हैं। अन्य विभाग भी जानवरों और पर्यावरण की सुरक्षा करेंगे।

-प्रो. अभय करंदीकर, निदेशक आइआइटी कानपुर  

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