अभिनेता राजेंद्र गुप्ता ने वीडियो भेजकर सुनाई कविता, मेघना ने सुनाई मां की कहानी

जाने-माने अभिनेता और थिएटर कलाकार राजेन्द्र गुप्ता अभिनय के साथ कविताएं भी लिखते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 01:48 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 01:48 AM (IST)
अभिनेता राजेंद्र गुप्ता ने वीडियो भेजकर सुनाई कविता, मेघना ने सुनाई मां की कहानी
अभिनेता राजेंद्र गुप्ता ने वीडियो भेजकर सुनाई कविता, मेघना ने सुनाई मां की कहानी

जासं, कानपुर : जाने-माने अभिनेता और थिएटर कलाकार राजेन्द्र गुप्ता अभिनय के साथ कविताएं भी लिखते हैं। लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे सत्र में शनिवार शाम उन्हें उपस्थित होना था, लेकिन वह किसी कारण से शामिल नहीं हो सके। उन्होंने कानपुर पर लिखी अपनी कविता 'शहर और मजदूर' वीडियो के माध्यम से भेजी और समारोह में मौजूद दर्शकों से रूबरू हुए।

तीसरे सत्र में टीवी व फिल्म जगत की अदाकारा मेघना मलिक मुंबई से आईं। उन्होंने हरियाणा हिदी साहित्य एकेडमी की ओर से सर्वश्रेष्ठ महिला रचनाकार के पुरस्कार से सम्मानित हो चुकीं अपनी मां डा. कमलेश मलिक की लिखी कहानी 'जीना सीख जाओगे' सुनाई तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सभागार गूंज उठा। मेघना ने बताया कि उनकी मां प्रधानाचार्य थीं। मेघना का साक्षात्कार थिएटर आर्टिस्ट सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ ने लिया। समारोह के दौरान सीएसजेएमयू के फाइन आ‌र्ट्स विभाग के छात्र-छात्राओं ने पेंटिग व फाइन आ‌र्ट्स की और संस्था के छात्र-छात्राओं ने फोटोग्राफी, इंस्टालेशन आर्ट की प्रदर्शनी भी लगाई। बुक स्टाल भी लगाया गया।

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पहली बार सुर व ताल में किया शंख और डमरू का प्रयोग

लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी सत्र में बिहार के दरभंगा से आए डा. विपिन कुमार मिश्रा ने शंख और डमरू के माध्यम से शिव स्त्रोत की मनमोहक प्रस्तुति दी। विभिन्न आकार व प्रकार के शंख बजाकर विपिन मिश्रा ने स्वरों का संगम उत्पन्न किया तो विभिन्न डमरुओं को बजाकर उन्होंने ताल दीं। उनका साथ अर्जुन ने दिया। विपिन कुमार ने बताया कि वह यज्ञ कार्यक्रमों में जाते थे, वहीं पर डमरू व शंख को बजाया। चूंकि वह संगीत के छात्र रहे हैं, इसलिए उन्होंने इन दोनों वाद्य यंत्रों का संगीत में प्रयोग शुरू किया। नेपाल के जनकपुर में होने वाले रामजानकी विवाह महोत्सव में पूरी रात वादन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत है कि इन्हें कोर्स में शामिल किया जाए और रोजगार से जोड़ा जाए। इससे युवा भी इन शास्त्रीय वाद्ययंत्रों की अहमियत जानेंगे।

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कारपोरेट जगत के नामचीन लोगों पर बनाएंगे डाक्यूमेंट्री : ब्रह्मानंद एस सिंह

जगजीत सिंह पर डाक्यूमेंट्री बनाने से पहले फिल्म निर्देशक ब्रह्मानंद एस सिंह आरडी बर्मन पर भी डाक्यूमेंट्री का निर्माण कर चुके हैं। यह फिल्म भी दो घंटे की थी और इसे बनाने में उन्हें दो वर्ष लगे थे। उन्होंने बताया कि उन्होंने एक फीचर फिल्म झलकी भी बनाई थी, जिसमें बमन ईरानी, संजय सूरी जैसे अभिनेता थे। इस फिल्म ने बाल श्रम को रोकने में अहम भूमिका निभाई। कैलाश सत्यार्थी ने खुद इस फिल्म को छोटे कस्बों व गांवों में जाकर दिखाया। फिल्म में बाल श्रम कराने वाले एक किरदार को दिखाकर पूछते थे कि कहीं आपके आसपास भी ऐसा करने वाला कोई व्यक्ति तो नहीं रहता था। तब बाल श्रम कराने वाले कई लोग पकडे़ गए। उन्होंने बताया कि अब कारपोरेट जगत की कुछ हस्तियों पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का विचार कर रहे हैं। सह निर्देशक तन्वी जैन ने बताया कि वह जयपुर की रहने वाली हैं। जगजीत सिंह पर डाक्यूमेंट्री बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। शूटिग के बाद 4000 घंटे तक एडिटिग कार्य किया।

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हर शहर में लिटरेचर फेस्टिवल की जरूरत : मेघना मलिक

मूलरूप से हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली नेशनल स्कूल आफ ड्रामा की पूर्व छात्रा मेघना मलिक ने 'ना आना इस देश लाडो' धारावाहिक में अम्मा जी का किरदार निभाया था। इससे उन्हें लोकप्रियता मिली। उन्होंने बताया कि साइना नेहवाल के जीवन पर आधारित फिल्म में उन्होंने बचपन की साइना की मां ऊषा रानी का किरदार निभाया था। हाल ही में रवीना टंडन और आशुतोष राणा जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ वेब सीरीज आरण्यक में भी अभिनय किया है। यह एक थ्रिलर वेब सीरीज है। हरियाणा में दादा लखमीचंद की बायोपिक मूवी में उन्होंने बचपन के लखमीचंद की मां का किरदार निभाया और लखनऊ में बनी शहर फिल्म में अभिनय किया, जो एक प्रोफेसर के अंतद्र्वद्व की कहानी है। अभिनेत्री काजल अग्रवाल की फिल्म उमा में उन्होंने विदेश से आई बहू का और अनफेयर एंड लवली फिल्म में एक लड़की की बुआ का किरदार निभाया। उन्होंने बताया कि लिटरेचर फेस्टिवल सभी शहरों में होने चाहिए। तभी युवा संस्कृति व कला से जुड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म पर आ रही फिल्मों में सेंसरशिप एक हद तक जरूरी है, लेकिन लोगों को सेल्फ रेगुलेट होना चाहिए।

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