शव वाहन के लिए घंटों करना पड़ता इंतजार
अपनों की मौत के बाद स्वजन शव वाहनों के लिए दर दर भटक रहे हैं।
केस एक
वाई-ब्लाक किदवई नगर निवासी अतुल कोरोना संक्रमित हुए थे। घर पर उनका इलाज चल रहा था। हालत बिगड़ने पर मशक्कत के बाद स्वजन ने उन्हें रामा अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां दूसरे दिन उनकी मौत हो गई। शाम को करीब पांच बजे मौत होने के बाद अस्पताल की ओर से सूचना दी गई, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची थी। इसके बाद स्वजन ने नोडल अधिकारी को कई बार फोन मिलाया, लेकिन फोन नहीं उठा। देर रात करीब 11 बजे एंबुलेंस के पहुंचने पर शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया था।
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केस दो
श्याम नगर निवासी शिवम कोरोना संक्रमित हुए थे। उन्हें एलएलआर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां एक सप्ताह से अधिक समय चले उपचार के बाद उनकी मौत हो गई थी। मामले की जानकारी पर स्वजन शव लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे। जहां वाहन न मिलने से दो दिन पुराने शवों का अंतिम संस्कार न हो पाने की बात सामने आयी थी। स्वजन का कहना था। शव वाहन न पहुंचने से पहले के शवों को नहीं निकाला जा सका था। मौत के दो दिन बाद शव का अंतिम संस्कार हुआ था।
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जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर में कोरोना संक्रमण ने तेजी से पैर फैलाए हैं। इसकी चपेट में आने से कई अपनी जान गवां चुके है। कोरोना संक्रमित मरीजों के देहांत के बाद अस्पताल से घाट तक शव पहुंचाने के लिए प्रशासन की ओर से निश्शुल्क व्यवस्था की गई है। लोगों का कहना था कि कई बार नोडल अधिकारी भी फोन नहीं उठाते हैं। कोरोना संक्रमितों के शवों को घाट तक पहुंचाने के लिए करीब 15 वाहनों को लगाया गया है।
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अगर किसी को शव घाट तक पहुंचवाने में दिक्कत आती है या फिर एंबुलेंस चालक शव ले जाने के बदले किराये की मांग करता है तो कंट्रोल रूम में शिकायत दर्ज कराएं। अब तक दो एंबुलेंस चालकों पर कार्रवाई की गई है। कहीं भी अगर लापरवाही मिलती है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
- आलोक तिवारी, जिलाधिकारी