जुनून और लगन हो तो उम्र मायने नहीं रखती..., कुछ ऐसे हैं 73 वर्षीय रामगोपाल Kanpur News
बुजुर्ग खिलाड़ी ने दक्षिण कोरिया व वियतनाम में ताइक्वांडो पूमसे प्रतियोगिता में पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है।
कानपुर, [अंकुश शुक्ल]। यदि जुनून और लगन हो तो उम्र मायने नहीं रखती। कुछ ऐसा ही जज्बा नौबस्ता के बसंत विहार निवासी 73 वर्षीय रामगोपाल में है। जिस उम्र में लोग दूसरों का सहारा लेकर चलने लगते हैं, उस आयु में वह ताइक्वांडो जैसे खेल में पदक जीतने के लिए खुद को निखार रहे हैं।
2007 में उपमंडल अभियंता टेलीफोन विभाग से सेनानिवृत्त रामगोपाल ने ब्लैक बेल्ट की डॉन परीक्षा पास की थी। वह कई युवाओं को निश्शुल्क प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। वह बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। इस बुजुर्ग खिलाड़ी ने दक्षिण कोरिया व वियतनाम में हुई ताइक्वांडो पूमसे प्रतियोगिता में पदक जीत कर देश का नाम रोशन किया। लॉकडाउन में समय का सदुपयोग करते हुए वह खेल की बारीकियों को समझ रहे हैं। वह बताते हैं, ताइक्वांडो अनुशासन व आत्मनिर्भरता का बेहतर तालमेल है। इस खेल से शरीर फिट रहने के साथ जीवन में अनुशासन का महत्व समझ आता है। उनका लक्ष्य कानपुर का नाम विश्व भर में उम्रदराज खिलाड़ी के पदक से ख्याति दिलाना है।
ताइक्वांडो की दो प्रमुख स्पर्धा
ताइक्वांडो में पूमसे व क्योरूगी वर्ग की स्पर्धा होती है। पूमसे में खिलाडिय़ों को कलात्मक कौशल दिखाना होता है, जबकि क्योरूगी में फाइट से जीत-हार होती है।
ये हैं उपलब्धियां 2016 में हुगली नेशनल ताइक्वांडो में स्वर्ण पदक जीता। 2017 में कोलकाता नेशनल में पूमसे का स्वर्ण जीता। 2017 में दक्षिण कोरिया अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में सराहनीय प्रदर्शन के कारण विशेष पदक झटका। 2018 में वियतनाम एशियन में कांस्य पदक मिला। 2019 में महाराष्ट्र नेशनल में स्वर्ण पदक पूमसे स्पर्धा में जीता।