सिपाही और उसके रिश्तेदारों से 17.61 लाख रुपये हड़पे

गोविद नगर क्षेत्राधिकारी दफ्तर में तैनात सिपाही और उसके रिश्तेदारों को कुछ लोंगों ने दिया था झांस।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 02:14 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 02:14 AM (IST)
सिपाही और उसके रिश्तेदारों से 17.61 लाख रुपये हड़पे
सिपाही और उसके रिश्तेदारों से 17.61 लाख रुपये हड़पे

जेएनएन, कानपुर : गोविद नगर क्षेत्राधिकारी दफ्तर में तैनात सिपाही और उसके रिश्तेदारों से कुछ लोगों ने प्लाट दिलाने का झांसा देकर 18 लाख रुपये हड़प लिए। चार साल बीतने के बाद भी अब सिपाही ने मैनेजर समेत छह लोगों के खिलाफ गोविंदनगर थाने अमानत में खयानत की धारा में रिपोर्ट दर्ज कराई है। औरैया निवासी कांस्टेबल जितेंद्र सिंह गोविद नगर सीओ दफ्तर में तैनात हैं। जितेंद्र ने बताया कि वर्ष 2016 में लखनऊ की एक कंपनी के मैनेजर तेज नारायण शुक्ल ने चौबेपुर में एक हजार स्क्वायर फीट का प्लाट दिखाया था। इसके लिए उन्होंने 5.61 लाख रुपये और पांच रिश्तेदारों ने मिलकर 12 लाख रुपये दिए थे, लेकिन न तो प्लाट मिला और न ही पैसे वापस मिले। थाना प्रभारी गोविद नगर अनुराग मिश्र ने बताया कि मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। संदिग्ध हालात में फैक्ट्री कर्मी की मौत, शव छोड़कर भागे, कल्याणपुर : कल्याणपुर में संदिग्ध हालात में एक फैक्ट्री कर्मी की मौत हो गई। रावतपुर गांव निवासी 33 वर्षीय मुन्ना दादा नगर की एक बिस्कुट फैक्ट्री में काम करते थे। बुधवार की शाम फैक्ट्री में काम के दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। सहकर्मियों ने सुपरवाइजर को घटना की जानकारी दी। इस पर सुपरवाइजर ने सहकर्मियों की मदद से घर भेजा। कार से लेकर आते वक्त मुन्ना की रास्ते में ही मौत हो गई। मौत की जानकारी होने पर सहकर्मियों के हाथ पांव फूल गए। अपने सिर से बवाल टालने के लिए सहकर्मी मुन्ना के शव को रामलला गेट पर छोड़कर भाग निकले। पुलिस ने स्थानीय दुकानदारों की मदद से मृतक के पिता सुखई को सूचना दी। सुखई के शव की शिनाख्त करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। थाना प्रभारी अजय सेठ का कहना है कि मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। कंजरनपुरवा में छापेमारी कर चरस तस्कर दबोचे, कानपुर : दक्षिण क्षेत्र में कंजरनपुरवा को नशे की मंडी के नाम से जाना जाता है। यहां तीन दर्जन से अधिक तस्कर मादक पदार्थो की बिक्री करते हैं। बुधवार को सीओ बाबूपुरवा की अगुवाई में पुलिस ने यहां छापेमारी कर दस लोगों को पकड़ा। उनके पास से स्मैक, चरस, गांजा और नकदी बरामद हुई।

कंजरनपुरवा में महिलाएं और बच्चे भी चरस, गांजा और स्मैक की बिक्री करते हैं। लगातार शिकायतें मिलने पर एसपी साउथ दीपक भूकर ने सीओ बाबूपुरवा को छापेमारी की कमान दी थी। सीओ शाम को कंजरनपुरवा पहुंचे। पुलिस टीमों ने चारो तरफ से घेराबंदी करके छापेमारी की। पांच महिलाएं और पांच पुरुष खुले आम बिक्री करते हुए मिले। तलाशी में दो झोलों में स्मैक, गांजा और चरस बरामद की। उनके पास से कुछ नकदी भी मिली। सीओ आलोक कुमार ने बताया कि पकड़े गए लोगों से पूछताछ की जा रही है। आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। एसपी साउथ ने बताया कि कंजरनपुरवा में अभियान चलाकर छापेमारी की जाएगी।

शातिर चरस तस्कर गिरफ्तार : एसपी पश्चिम की सर्विलांस टीम और बजरिया पुलिस की संयुक्त टीम ने बुधवार को सिविल लाइंस लाल इमली के पास रहने वाले अजीज को आधा किलो चरस के साथ गिरफ्तार कर लिया। सोनू सरदार के साथी टोनी की जमानत खारिज, कानपुर : सट्टा किग सोनू सरदार के साथी विनोद कुमार छाबड़ा उर्फ टोनी की जमानत अर्जी बुधवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन कुमार श्रीवास्तव ने खारिज कर दी। फजलगंज पुलिस ने सट्टा मामले में सोनू सरदार उर्फ भूपिदर सिंह अरोड़ा के साथ रंजीत सिंह, विनोद कुमार छाबड़ा, ईशान भाटिया, हरप्रीत सिंह बेदी, रिशू अरोड़ा, गुरमीत सिंह के खिलाफ जुआ अधिनियम के साथ गैंगस्टर की कार्रवाई की थी। इसी मामले में एक आरोपित विनोद ने दो दिन पहले सरेंडर किया था। अधिवक्ता सर्वेंदु विक्रम सिंह ने बताया कि बुधवार को सुनवाई को दौरान रिपोर्ट विलंब से दर्ज कराने का तर्क दिया गया। इसके साथ ही पुलिस ने मैच में रन बनने की बात का हवाला दिया है, लेकिन उस दिन कोई मैच नहीं था। पुलिस ने जिस नोट बुक की बात कही वह भी पेश नहीं की। पुलिस ने जिस मोबाइल नंबर को सट्टा खेलने के लिए प्रयोग करने की बात कही है, वह मोबाइल नंबर टायर व्यापार के लिए प्रयोग किया जाता है। अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्क सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि 7,43,740 रुपये का कोई स्त्रोत नहीं बताया गया है। एंजियोग्राफी में रोग के कोई साक्ष्य पेश नहीं किए गए। गैंग चार्ट में दर्शाए गए अपराध आरोपित ने न किए हों और वह पुन: इसमें शामिल नहीं होगा, ऐसा विश्वास नहीं किया जा सकता है। उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए जमानत के पर्याप्त आधार नहीं है।

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