कठेरुआ में एक माह में 15 तो करबिगवां में 20 दिन में 14 की मौत
जासं कानपुर ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार हो रही मौतों से ग्रामीण दहशत में हैं।
जासं, कानपुर : ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार हो रही मौतों से ग्रामीण दहशत में हैं। स्थिति यह है कि सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, लेकिन गांवों में कोई मेगा स्वास्थ्य कैंप नहीं लगाया जा रहा है। बिधनू क्षेत्र के कठेरुआ गांव की बात करें तो यहां एक माह में 15 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, सरसौल क्षेत्र के करबिगवां में 20 दिन में 14 लोग जान गंवा चुके हैं। सभी बुखार से पीड़ित थे, लेकिन किसी भी ग्रामीण की कोविड जांच नहीं हुई थी। परिणाम स्वरूप इन मौतों की गिनती कोरोना संक्रमितों में नहीं होती। बिधनू ब्लाक क्षेत्र में हुई मौतों की बात करें तो सर्वाधिक मौतें जामू गांव में हुई। यहां एक माह में 50 लोगों की मौत हुई तो शिवगंज और चौराई में 20-20 लोग, कठेरुआ गांव में 15, हरबसपुर, खेरसा व बिधनू में पांच-पांच लोगों की मौत हो चुकी है। रमईपुर और कठोरा गांव में भी एक माह में 10-10 लोगों की मौत हुई है। इसी तरह मझावन व सेन पश्चिमपारा में पांच- पांच लोग बुखार की भेंट चढ़ चुके हैं। सरसौल ब्लाक के करबिगवां गांव में 20 दिन में 14 लोगों की मौत हुई है।
ग्रामीण मानते हैं कोरोना से हुई मौत
ग्रामीण इन मौतों की वजह कोरोना को मानते हैं। हालांकि इनमें से किसी की कोरोना की जांच नहीं हुई थी। ऐसे में प्रशासन किसी भी मौत की वजह कोरोना को नहीं मानता है। सलेमपुर, भदासा, करबिगवां आदि आधा दर्जन गांवों में बुखार व सांस लेने में दिक्कत के बाद मरने वालों की संख्या करीब 50 है। करबिगवां निवासी अमरपाल रैदास, केतकी , रामश्री,राजरानी, चंपा, राजेन्द्र चौहान, रामकेशनी, मिश्रीलाल यादव, छत्रपाल सिंह,बाबूलाल, देववती, दुल्ली,पूसा व मंजू की बुखार व सांस लेने में दिक्कत के कारण मौत हुई तो सरसौल में सुशील जायसवाल, मुन्ना, लता यादव, पुरवामीर में धर्मेंद्र गुप्ता , सलेमपुर में लगभग एक दर्जन , भदासा में सात व पतारी में भी चार लोगों की मौत हुई है। करबिगवां में गुरुवार को रैपिड रिस्पांस टीम ने कैंप लगाकर 65 लोगों की एंटीजन जांच की। इनमें से सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। हाथीपुर में मिले पांच कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में हैं।
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फिर भी सैनिटाइजेशन के नाम पर खानापूरी : गांवों में प्रधानों और प्रशासकों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे सैनिटाइजेशन कराएं, लेकिन इस कार्य में भी लापरवाही हो रही है। सिर्फ कहने के लिए सैनिटाइजेशन कराया जा रहा है। ग्राम निगरानी समितियां भी कोई काम नहीं कर रही हैं। रामनगर जैसे गांव में तो ग्रामीण खुद ही सैनिटाइजेशन कर रहे हैं।