गांव में घुसा संक्रमण, मगर नहीं पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं

संवाद सूत्र ठठिया (कन्नौज) कोरोना की दूसरी लहर गांवों में इतना कहर न बरपा पाती अगर स्व

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 07:09 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 07:09 PM (IST)
गांव में घुसा संक्रमण, मगर नहीं पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं
गांव में घुसा संक्रमण, मगर नहीं पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं

संवाद सूत्र, ठठिया (कन्नौज): कोरोना की दूसरी लहर गांवों में इतना कहर न बरपा पाती, अगर स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त होतीं। सबसे अधिक मौतें अव्यवस्थाओं और बदइंतजामी के कारण हुईं। अप्रैल माह में अचानक गांवों में बुखार ने पैर पसार लिए। लोगों को लगा सामान्य बुखार है, मगर जब तकलीफ बढ़ी तो कोई प्राइवेट अस्पताल भागा तो कोई सरकारी। मगर यहां भी उन्हें अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ा। बेपटरी स्वास्थ्य सेवा के कारण लोगों ने अपनों को खो दिया। ग्रामीणों का दावा है अगर समय रहते स्वास्थ्य टीमें गांव-गांव में जाकर शिविर लगाती तो शायद मौत का आंकड़ा कम होता। अपनों को खो चुके ग्रामीण बताते हैं कि एंबुलेंस कभी मिली तो कभी तीन-चार घंटे बाद आई। ऑक्सीजन के लिए अस्पताल में डॉक्टर और नर्स के पैर तक पकड़े, मगर नहीं मिली। ठठिया के गांव भदौसी में पिछले 15 दिन तक मौत नाचती रही। बुखार से 15 लोगों की जान चली गई। लोगों को दवाइयां तक महंगे दामों में खरीदनी पड़ीं। इसके बाद भी उनके अपने आज उनके बीच नहीं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पांच से नौ मई तक विशेष अभियान चला था। इसके तहत भी आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता कोई गांव नहीं पहुंचा। हां, शुक्रवार को जरूर टीम पहुंची। जिसने 20 लोगों की जांच की। ----- इनकी हुई मौत

श्रीकांत दीक्षित, रामबिहारी पाल, रामचन्द्र तिवारी, चमेली देवी, शिव दयाल, रामबली, आजाद कुशवाहा, दीनदयाल कुशवाहा, जगनू दोहरे, रामकुमारी, सूरजमुखी, जल देवी, निर्मला देवी, नारायण पाल, जिगर। ------------- एक वर्षीय पुत्र जिगर को पहले डायरिया हुआ। बाद में बुखार आने लगा। किसी तरह रात को एंबुलेंस मिली, तो मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। वहां डॉक्टर ने इलाज तो दूर की बात किसी स्वास्थ कर्मी ने छुआ तक नहीं। नतीजन पुत्र को लेकर गुरसहायगंज में एक निजी चिकित्सक को दिखाने जा रहे थे, कि रास्ते में मौत हो गई। रमेश दोहरे निवासी भदौसी

------------- पिता रामबिहारी पाल को नहीं बचा सके। दो दिन बुखार आया। मेडिकल कॉलेज में जगह न होने की बात कहकर भर्ती नहीं किया। मजबूरन हरदोई में एक नर्सिग होम में भर्ती कराया। लेकिन राहत न मिलने पर कानपुर लेकर गए। हजारों रुपये का ब्लैक में ऑक्सीजन सिलिडर खरीदा, लेकिन पिता को नहीं बचा सके। बृजेश कुमार पाल निवासी भदौसी ------------- पिता श्रीकांत दीक्षित को 19 अप्रैल को बुखार आना शुरू हुआ। 20 अप्रैल को हालत बिगड़ने पर एंबुलेंस को कॉल की। तीन घंटे बाद एंबुलेंस मिली। मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने के बाद ऑक्सीजन के लिए पैर पकड़े। 500 रुपये का ऑक्सीजन मास्क खरीद लाए और तब ऑक्सीजन मिली। नर्स ने पिता जी को इंजेक्शन लगा दिया। इसके तुरंत बाद उनकी मौत हो गई। विकास दीक्षित उर्फ राजू निवासी भदौसी ------------- पिता रामचंद्र तिवारी की मौत पुत्री के विवाह के दिन हुई। नातिन के पैर पूजने की अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो सकी। जीवन भर अफसोस रहेगा। पिता को तेज बुखार आया था। गांव के डॉक्टर से दवाई ली। पूरे घर मे बारात आने की खुशी चल रही थी लेकिन बारात आने के बाद रात करीब नौ बजे पिता की मौत हो गई। शशिकांत तिवारी निवासी भदौसी

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