किसानों को 'भाव' नहीं दे रहा सब्जियों का राजा

कामन इंट्रो आलू बेल्ट में इस वर्ष पहली बार हुई बंपर पैदावार ने किसानों को मुश्किल में डा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:54 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:54 PM (IST)
किसानों को 'भाव'  नहीं दे रहा सब्जियों का राजा
किसानों को 'भाव' नहीं दे रहा सब्जियों का राजा

कामन इंट्रो : आलू बेल्ट में इस वर्ष पहली बार हुई बंपर पैदावार ने किसानों को मुश्किल में डाल दिया है। भाव कम होने के कारण लागत नहीं निकल रही है। इस कारण कोल्ड से निकासी की रफ्तार बेहद धीमी है और 85 फीसद आलू डंप है। ऐसे में किसान पिछले वर्ष कोरोना काल की तरह इस बार भी आलू के भाव बढ़ने का इन्तजार कर रहे हैं। नवंबर तक सभी कोल्ड किसानों को खाली करने होंगे। इसलिए तेजी से निकासी होगी और भाव कम ही मिलेंगे, जो घाटे का सौदा बताया जा रहा है।

--

जागरण संवाददाता, कन्नौज : जिले की मुख्य फसल आलू है। घाटा हो या मुनाफा ज्यादातर किसान पैदावार करते हैं। वर्ष 2019-20 में जिले में 46,200 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बोआई का लक्ष्य था, लेकिन 48,000 हेक्टेयर में बोआई की गई थी, जिसमें 10,35,300 मीट्रिक टन पैदावार हुई थी, जो पिछले वर्षो की अपेक्षा बारिश और झुलसा रोग के कारण पैदावार कम थी। कम पैदावार का असर बाजार की उपलब्धता और भाव पर पड़ा था। इस कारण अक्टूबर से दिसंबर तक थोक भाव एक पैकेट (55 किलो) 2,000 से 2,200 रुपये, जबकि फुटकर आलू 30 से 50 रुपये किलो बिका था। यह भाव 22 वर्षो में सबसे अधिक थे। किसानों को फायदा हुआ तो इसी मकसद से वर्ष 2020-21 में पिछले वर्षो की अपेक्षा सबसे अधिक 50,250 हेक्टेयर में बोआई की गई, जिसमें अब तक के वर्षो में सबसे अधिक करीब 14 लाख मीट्रिक टन तक पैदावार हुई थी। भंडारण के लिए कोल्ड कम पड़ गए थे। फिर भी 12,00,600 मीट्रिक टन आलू जिले के सभी 142 कोल्ड स्टोरेज में मार्च तक भंडारित किया गया था। इस समय थोक एक पैकेट अधिकतम 350 रुपये व फुटकर दस रुपये किलो आलू का भाव है। एक पैकेट पर 150 रुपये कोल्ड भाड़ा, बारदाना, सफाई, छटनी, पल्लेदार व गाड़ी का भाड़ा भी देना पड़ रहा है। इस वजह से अब तक 15 फीसद निकासी हो सकी है, जबकि अब तक 30 फीसद तक कोल्ड खाली हो जाने थे।

देश व राज्यों के लिए आपूर्ति धीमी

जिले का आलू नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका व देश के दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में जाता है, जो निकासी कम होने के कारण न के बराबर पहुंच रहा है, जबकि सबसे ज्यादा आलू जिले से इन देश व राज्यों में जाता है।

chat bot
आपका साथी