..तो गायब हो गए अधिकारियों के छह आवास!

-गंगधरापुर मौजा में बनाए गए थे अफसरों के टाइप-4 आवास -कार्यदायी संस्था को कर दिया गया आवास

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 06:05 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 06:05 PM (IST)
..तो गायब हो गए अधिकारियों के छह आवास!
..तो गायब हो गए अधिकारियों के छह आवास!

-गंगधरापुर मौजा में बनाए गए थे अफसरों के टाइप-4 आवास

-कार्यदायी संस्था को कर दिया गया आवासों का पूरा भुगतान

जागरण संवाददाता, कन्नौज : अफसरों के टाइप-4 आवासों के निर्माण में जमकर गोलमाल किया गया। विशेष बात यह है कि यहां एक ब्लाक में छह आवास बनाए ही नहीं गए हैं और उनका पूरा भुगतान कर दिया गया है। जो आवास बने खड़े हैं, वह अनदेखी के कारण जर्जर हो गए हैं। आसपास पानी भरे होने से वह गिरने के कगार पर पहुंच गए हैं। जिला प्रशासन की अनदेखी से करोड़ों रुपये मिट्टी में मिल गए हैं।

सपा सरकार में अधिकारियों के रहने के लिए टाइप-4 आवासों का निर्माण 2012 में शुरू किया गया था। पाल चौराहा के पास गंगधरापुर मौजा की जमीन को चिह्नित कर यहां 30 आवासों का निर्माण दिखाया गया है, जबकि मौके पर केवल 24 आवास ही खड़े हैं। एक ब्लाक में छह आवास बनाए गए हैं, जिसमें एक पूरा ब्लाक ही गायब है। इस बारे में अधिकारी भी जानकारी नहीं दे पा रहे हैं कि आखिरकार छह आवास कहां बने हैं। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तीन आवास कलेक्ट्रेट परिसर में बनाए गए हैं, जबकि तीन अभी शेष हैं। खास बात यह है कि इन सभी आवासों का भुगतान कर दिया गया है। 18 करोड़ की लागत से इन आवासों का निर्माण किया गया है, जिसमें अब केवल 92 लाख रुपये ही शेष हैं। जो आवास बनकर तैयार हो गए हैं, वह बसने से पहले ही जर्जर हो चुके हैं। यहां जलनिकासी की व्यवस्था न होने से पानी आवासों के पास ही भरा रहता है, जिससे एक ब्लाक तो गिरने के कगार पर पहुंच गया है।

------- विधायक की शिकायत के बाद सामने आया मामला

अधिकारियों के आवासों में भ्रष्टाचार को लेकर तिर्वा क्षेत्र से भाजपा विधायक कैलाश सिंह राजपूत ने मुख्यमंत्री व अन्य उच्चाधिकारियों से शिकायत की है। इसके बाद ही यह मामला चर्चा में आया है। अब अफसर पत्रावलियां दुरुस्त कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है, जिसमें करोड़ों रुपये का गोलमाल किया गया है।

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टाइप-4 आवासों का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है। पीडब्ल्यूडी ने पुनरीक्षित एस्टीमेट बनाया था, जिसके आधार पर कार्य का भौतिक सत्यापन कर भुगतानों की जांच की जाएगी। यदि गोलमाल पाया गया तो दोषियों पर कार्रवाई होगी।

-गजेंद्र कुमार, अपर जिलाधिकारी

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