सूखे झील कीे मेजबानी से रूठे 'मेहमान'

संवाद सहयोगी तिर्वा इसे प्रशासनिक लापरवाही कहें या अधिकारियों की उदासीनता। मेहमान परिदो

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Nov 2020 11:07 PM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2020 11:07 PM (IST)
सूखे झील कीे मेजबानी से रूठे 'मेहमान'
सूखे झील कीे मेजबानी से रूठे 'मेहमान'

संवाद सहयोगी, तिर्वा: इसे प्रशासनिक लापरवाही कहें या अधिकारियों की उदासीनता। 'मेहमान परिदों' की अगवानी में बरती गई लापरवाही कहें या बजट का परंपरागत रोना। कारण तो यही है जिससे विदेशी पक्षी इस झील में नहीं आ रहे। कारण, करीब-करीब सूख चुकी इस झील की मेजबानी पक्षियों को रास नहीं आ रही। लाख बहोसी पक्षी विहार आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है। इस मौसम में जहां कभी 50 हजार से अधिक विदेशी पक्षियों से यह मशहूर झील गुंजायमान रहती थी। आज यहां उनकी संख्या रत्ती मात्र ही रह गई है। कह सकते हैं, लाख बहोशी पक्षी विहार की झील अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। तहसील क्षेत्र के लाख बहोसी पक्षी विहार की स्थापना वर्ष 1988-89 में हुई थी। 80 वर्ग किलोमीटर के दायरे में पक्षी विहार का क्षेत्रफल है। यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा रहता है। सर्दी की शुरुआत होने पर स्वदेशी व विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता था। लेकिन इस वर्ष बहुत ही कम संख्या में पक्षी आए हैं। इसमें विदेशी परिदों की संख्या बेहद कम है। स्वदेशी पक्षियों की प्रजातियां भी नहीं दिखाई दे रही। कारण, इस वर्ष पक्षी बिहार की झील में पानी नहीं रहा। झील सूखी पड़ी है। जहां-तहां झील के कुछ हिस्सों में मुश्किल से एक-एक फुट का पानी भरा है। इससे परिदों का ठहराव भी नहीं हो सका। पक्षी विहार की झील प्रतिवर्ष निचली गंग नहर से भरी जाती थी। इस वर्ष गंग नहर में भी पानी अधिक नहीं है। इससे झील तक पानी नहीं पहुंचा। ट्यूबवेल में बिजली कनेक्शन नहीं

झील में पानी भरे जाने के लिए दो ट्यूबवेल वर्ष 2016-17 में लगाए गए थे। कुछ दिन तक ट्यबवेल चले, लेकिन दो विदेशी परिदे ट्यूबवेल की हाईटेंशन लाइन में चिपक गए मर गए थे। इससे बिजली की लाइन को काट दिया गया था। तब से अभी तक लाइन जोड़ी नहीं जा सकी। इन देशों से आते हैं पक्षी

चाइना से कूट, साइबेरिया से गर्गनी टील, श्रीलंका से कूट, सेंट्रल एशिया से सोबलर, यूरोप से नार्दन, दक्षिण भारत से स्पोट बिल डक, कोमक डक, स्नेक वर्ड, कारवोरेंट, ई-ग्रेट, हेरान, पेनटड, स्ट्रोक व स्पोनबिल समेत कई देशों से परिदे आते हैं। नहर विभाग से बात की गई। एक हफ्ते में पानी छोड़ा जाएगा। इसके बाद झील में पानी भर दिया जाएगा। ट्यूबवेल चालू करने के लिए भूमिगत केबल का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन मंजूरी नहीं मिली।

-ज्ञान चंद्र पटेल, प्रभारी वन दारोगा

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