डीएपी के अधिक दामों से बढ़ी फसलों की लागत
संवाद सहयोगी तिर्वा किसानों के लिए डीएपी व एनपीके की परेशानी का सबब बन गई। बारिश से फ
संवाद सहयोगी, तिर्वा : किसानों के लिए डीएपी व एनपीके की परेशानी का सबब बन गई। बारिश से फसल बर्बाद हुई तो और खाद की किल्लत और बढ़ गई है। समिति से लेकर दुकान तक खाद नहीं मिल रही। तहसील क्षेत्र में साधन सहकारी समितियों पर डीएपी पर आठ दिन से खाद नहीं है। दुकानों पर डीएपी 1200 की बजाय 1500 से 1800 रुपये तक बोरी मिल रही है। इससे लागत अधिक आ रही है। किसानों को एक बीघा आलू बोआई में छह से सात हजार रुपये लगते थे, जो नौ से दस हजार लग रहे हैं। दो बार खेतों में फसलों को बारिश ने बर्बाद कर दिया। तीसरी बार किसानों ने तैयारी की तो डीएपी नहीं मिल रही। क्या कहते हैं किसान सबसे बड़ी परेशानी डीएपी व एनपीके हो गई। खाद के बिना खेतों में फसल की पैदावार करना मुश्किल है। लगातार समितियों के चक्कर काट रहे, लेकिन खाद नहीं मिल रही। -अखिलेश कुमार निवासी आसकरनपुर्वा
उमर्दा, खैरनगर, बलनपुर समेत कई समितियों पर जाकर डीएपी के लिए चक्कर काट चुके हैं, लेकिन कहीं पर नहीं मिल पा रही। करीब दस बोरी डीएपी की जरूरत है।-रिकू सिंह निवासी पनेपुर्वा
किसानों को बारिश ने बर्बाद कर दिया। खेतों में पानी सूखा तो फसल की तैयारी शुरू कर दी है। अब खाद डालने के लिए नहीं मिल रही। खाद के लिए बची फसल भी नष्ट हो जाएगी। - बबलू निवासी पनेपुर्वा ठठिया, पट्टी, जनखत व औसेर में समितियों पर जाकर खाद के लिए जानकारी कर चुके हैं। कहीं पर खाद नहीं मिल रही। दुकानों पर 15 से 18 सौ तक रुपये वसूले जा रहे हैं।-विनोद कुमार निवासी सिंहपुर