सावधान! महिलाओं को गर्भाशय में हो सकती है टीबी
जागरण संवाददाता कन्नौज टीबी केवल फेफड़े में ही नहीं होती है बल्कि महिलाओं के प्रजनन अंगों को प्रभावित कर सकती है।
जागरण संवाददाता, कन्नौज: टीबी केवल फेफड़े में ही नहीं होती है, बल्कि महिलाओं के प्रजनन अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली टीबी को पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस का नाम दिया गया है। क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिला अस्पताल के मेटरनिटी विग में महिलाओं को जांच की सुविधा मिल रही है। समय से जांच होने पर यह ठीक भी हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने का नारा दिया है। इसके लिए जिले में सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान चलाया गया, जिसमें टीबी के 58 नए रोगी मिले हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. जेजे राम ने बताया कि नए रोगियों का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण किया जा रहा है और उन्हें प्रतिमाह 500 रुपये पोषणभत्ता भी दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि टीबी एक ऐसी बीमारी है, जो बैक्टीरिया की वजह से होती है। लोगों को जानकारी है कि टीबी केवल फेफड़ों में ही होती है, लेकिन चिकित्सीय अनुसंधानों से पता चला है कि महिलाओं के गर्भाशय में भी टीबी का संक्रमण हो सकता है, जिसे पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस का नाम दिया गया है।
मेटरनिटी विग में मिलेगी इलाज की सुविधा
जिला अस्पताल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मनप्रीत कौर ने बताया कि पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस की पहचान थोड़ी जटिल है। टयूबरकुलीन स्किन टेस्ट से यह पकड़ में आ जाता है, लेकिन अल्ट्रासाउंड से इसकी सटीक जानकारी हो जाती है। यदि संक्रमण अधिक है तो सर्जरी की जा सकती है, वरना यह नियमित इलाज से भी ठीक हो जाती है। मेटरनिटी विग में जांच व इलाज की सुविधा है। उन्होंने बताया कि इस टीबी के कारण महिलाओं को मां बनने में भी दिक्कत होती है, इसलिए समय से इलाज कराना भी जरूरी है। पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण
-दिन भर शरीर में थकान रहना।
-शरीर में नियमित हल्का बुखार रहना।
-पेट के निचले हिस्से में हमेशा दर्द रहना।
-योनि से सफेद पानी का लगातार निकलना।
-मासिक धर्म अनियमित रूप से होना। बचाव के तरीके
-टीबी के रोगी से दूर रहें।
-रोगी का जूठा भोजन न खाएं।
-खांसी या छींक आने से बचें।
-मास्क पहनें और शारीरिक दूरी का पालन करें।
-लगातार खांसी आने पर जांच कराएं।