भगवान राम के गुरु विश्वामित्र की तपस्थली है अड़ंगापुर

जागरण संवाददाता कन्नौज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के कुलगुरु तो वशिष्ठ मुनि थे लेकिन उ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 09:04 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 09:04 PM (IST)
भगवान राम के गुरु विश्वामित्र की तपस्थली है अड़ंगापुर
भगवान राम के गुरु विश्वामित्र की तपस्थली है अड़ंगापुर

जागरण संवाददाता, कन्नौज : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के कुलगुरु तो वशिष्ठ मुनि थे, लेकिन उन्हें मानवता, सदाचार और अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा देने वाले महर्षि विश्वामित्र थे, जो तपबल के कारण क्षत्रिय से ब्रह्मऋषि बने थे। विश्वामित्र के पिता महाराज गाधि कन्नौज के राजा थे और मोक्षदायिनी गंगा के किनारे अड़ंगापुर गांव में उनकी तपस्थली थी। कहा जाता है कि राक्षसों के अड़ंगा (बाधा उत्पन्न) लगाने के कारण इस गांव का नाम अड़ंगापुर हो गया। अड़ंगा कन्नौजी बोली का शब्द है, जिसका अर्थ है कि किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न करना।

कन्नौज शहर से तीन किमी दूर गंगा और काली नदी के किनारे बसे अड़ंगापुर गांव में अब विश्वामित्र से जुड़ा कोई अवशेष नहीं मिलता है, लेकिन ब्रह्मपुराण के अनुसार ऋषि बृहस्पति की पत्नी तारा का चंद्रमा ने अपहरण कर लिया, जिनसे बुध का जन्म हुआ। इन्हीं बुध के पुरुरवा और उर्वशी से सात पुत्र उत्पन्न हुए, जिसमें द्वितीय पुत्र का नाम कुशनाभ था। इन्ही के नाम पर कन्नौज का एक नाम कुशानगरी भी पड़ गया था। राजा कुशनाभ के उन्हीं के समान धार्मिक पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम गाधि था। बाद में गाधि कन्नौज के राजा बने। उनके पुत्र ऋषि विश्वामित्र हुए थे, जिन्होंने राजा त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेजा था। विश्वामित्र ने राजपाट का परित्याग कर मिथिला के राजा जनक के भाई कुशध्वज को कन्नौज का राजा बनाया था और गंगा के किनारे कुटिया बनाकर रहने लगे। यही स्थान आज अड़ंगापुर नाम से जाना जाता है। --------- कई ऐतिहासिक पुस्तकों में किया गया जिक्र उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल केएम मुंशी की पुस्तक 'कन्नौज की एक झलक' तथा इतिहासकार आरएस त्रिपाठी की पुस्तक 'कन्नौज का इतिहास में भी विश्वामित्र की तपस्थली अड़ंगापुर में होने का जिक्र हैं। कन्नौज के वैभवशाली अतीत पर शोध करने वाले उन्नाव के प्रसिद्ध इतिहासकार डा. करुणाशंकर शुक्ल भी विश्वामित्र की तपस्थली को गंगा के किनारे अड़ंगापुर गांव में ही बताते हैं। ---------- गांव में नहीं बचा कोई अवशेष

अड़ंगापुर गांव के मूल निवासी पूर्व ब्लाक प्रमुख नवाब सिंह यादव बताते हैं कि यह बात तो सत्य है कि त्रेतायुग में यहां महर्षि विश्वामित्र की तपस्थली थी, लेकिन अब कोई अवशेष नहीं बचा है। पहले गंगा नदी गौरीशंकर मंदिर के पास बहती थी, अब वहां से चार किमी दूर चलीं गईं और काली नदी भी कुसुमखोर से बढ़कर आगे आ गई। पूर्व में आई बाढ़ के कारण यहां तपस्थली का कोई अवशेष नहीं बचा। बताया कि उन्होंने गांव में जमीन को चिन्हित किया है। जल्द ही वहां गुरु विश्वामित्र का मंदिर निर्माण कराया जाएगा। ---------- कन्नौज का वैभवशाली इतिहास आदिकाल से चला आ रहा है। यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को मुगल आक्रांताओं ने विनष्ट कर दिया। अब भी कुछ अवशेष बचे हैं, जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। -डा. जीवन शुक्ल, इतिहासकार

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