125 करोड़ रुपए खर्च, पानी का पता नहीं!

लोगो : जागरण एक्सक्लूसिव ::: महानगर पेयजल महायोजना 0 जल निगम व सिंचाई विभाग के बीच अब तक साइन

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 01:00 AM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 01:00 AM (IST)
125 करोड़ रुपए खर्च, पानी का पता नहीं!
125 करोड़ रुपए खर्च, पानी का पता नहीं!

लोगो : जागरण एक्सक्लूसिव

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महानगर पेयजल महायोजना

0 जल निगम व सिंचाई विभाग के बीच अब तक साइन नहीं हो पाया एमओयू

0 डेढ़ साल से चल रहा पत्राचार

झाँसी : महानगर की प्यास बुझाने के लिए शुरू की गई पेयजल महायोजना पर अब तक 125 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन पानी को लेकर कोई समझौता नहीं हो पाया है। जल निगम ने शुरूआत में 35 एमएलडी (मिलियन लिटर्स पर-डे) पानी का प्रस्ताव भेजा था। इस पर सिंचाई विभाग में डेढ़ साल से पत्राचार ही चल रहा है। सिंचाई विभाग द्वारा जल उपलब्धता व प्रभावित होने वाली सिंचाई का डेटा शासन को उपलब्ध करा दिया है, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ पा रही है।

महानगर की अगले 30 साल की प्यास बुझाने के लिए जल निगम ने लगभग 800 करोड़ रुपए की लागत से पेयजल महायोजना को ़जमीन पर उतारने का काम शुरू कर दिया गया है। योजना के तहत महानगर की लगभग 6 लाख की आबादी को पाइप लाइन से पानी उपलब्ध कराया जाना है। इसका ठेका इ़जरायल की कम्पनि को दिया गया है। जल निगम द्वारा महायोजना का काम दो चरणों में कराया जा रहा है। यहाँ महानगर में पाइप लाइन बिछाने के साथ टंकी बनाने का काम किया जा रहा है तो दूसरे चरण में माताटीला से कच्चा पानी लेकर बबीना लाया जाना है। पानी को यहाँ शोधित करने के बाद झाँसी तक लाया जाना है। 6 लाख की आबादी को पानी उपलब्ध कराने के लिए अगले 30 साल में 195 एमएलडी पानी की आवश्यकता पड़ेगी, लेकिन जल निगम ने फिलहाल 35 एमएलडी पानी की डिमाण्ड की है। इसके लिए जल निगम व सिंचाई विभाग के बीच एमओयू (मेमोरेण्डम ऑफ अण्डरस्टैण्डिंग) साइन होना है, लेकिन डेढ़ साल से इसकी का़ग़जी प्रक्रिया ही चल रही है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। उधर, पानी को लेकर समझौता हुआ नहीं है, लेकिन ़जमीन पर अन्य कार्य करा लिए गए हैं और अब तक 125 करोड़ रुपए खर्च भी कर दिए गए हैं।

35 एमएलडी पानी से प्रभावित होगी 3 ह़जार हेक्टेयर ़जमीन की सिंचाई

झाँसी में सिंचाई व पेयजल के लिए अधिकांश पानी माताटीला बाँध से मिलता है। महानगर पेयजल योजना के लिए भी जल निगम ने फिलहाल शुरूआत में 35 एमएलडी पानी की माँग की है। सिंचाई विभाग ने शासन को भेजी रिपोर्ट में बताया है कि जल निगम को 35 एमएलडी पानी उपलब्ध कराने में लगभग 3 ह़जार हेक्टेयर ़जमीन की सिंचाई प्रभावित होगी।

1963 में हुए जल समझौते के अभिलेख भी भेजे

माताटीला बाँध से महानगर की जलापूर्ति के लिए सिंचाई विभाग के साथ पहला समझौता वर्ष 1963 में हुआ था। उस समय 45 एमएलडी पानी के लिए एमओयू साइन किए गए थे। इसके बाद 110 एमएलडी पानी और लिया जाने लगा। महानगर पेयजल योजना के लिए जल निगम व सिंचाई विभाग के बीच अब नए सिरे से एमओयू होना है। शासन ने पुरानी शर्तो का अवलोकन करने के लिए वर्ष 1963 के समझौते के प्रपत्र भी तलब किए, लेकिन उस समय के प्रपत्र में सिंचाई विभाग की ओर से किसी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं। इसके बाद इसी मामले को लेकर बार-बार पत्राचार किया जा रहा है।

30 साल तक का होगा इन्त़जाम

पेयजल महायोजना अगले 30 वर्षो में महानगर की आबादी व आवश्यकता का आकलन करते हुए तैयार की गई है। महायोजना में प्रति व्यक्ति को प्रति दिन 135 लिटर पानी की व्यवस्था का खाका खींचा गया है। इस अवधि में महानगर की आबादी बढ़कर 13 लाख से अधिक होने की सम्भावना है, तब महानगर को 200 एमएलडी पानी की ़जरूरत होगी। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए तैयार की गई महायोजना में 60 वॉर्ड को 28 ़जोन में बाँटा गया है।

फोटो हाफ कॉलम

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इन्होंने कहा

'महानगर पेयजल योजना के लिए फिलहाल 35 एमएलडी पानी की आवश्यकता है। इसके लिए सिंचाई विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था। दोनों विभागों के बीच पानी को लेकर एमओयू साइन किया जाना है, लेकिन डेढ़ साल से प्रशासन व जनप्रतिनिधियोंद्वारा पत्र लिखने के बाद भी एमओयू साइन नहीं हो पाया है। यह पूरी प्रक्रिया शासन स्तर पर पूरी की जानी है।'

0 हिमांशु नेगी

प्रोजेक्ट मैनेजर, जल निगम

'जल निगम को 35 एमएलडी पानी देने से जनपद की लगभग 3 ह़जार हेक्टेयर ़जमीन की सिंचाई प्रभावित होगी। इसका आलेख शासन को भेज दिया गया है। एमओयू की प्रक्रिया शासन स्तर पर पूरी की जानी है। इसके लिए जो भी आँकड़े माँगे गए थे, सभी उपलब्ध करा दिए गए हैं।'

0 मोहम्मद फरीद

अधिशासी अभियन्ता, माताटीला प्रखण्ड

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