बेसिक विद्यालयों के बच्चों को अभी तक नहीं मिली यूनिफॉर्म
0 सर्दी ने दे दी दस्तक, स्वेटर मिलना दूर 0 सीधे बैंक खाते में पहुँचना है यूनिफॉर्म व स्वेटर की राश
0 सर्दी ने दे दी दस्तक, स्वेटर मिलना दूर
0 सीधे बैंक खाते में पहुँचना है यूनिफॉर्म व स्वेटर की राशि
0 बच्चों के अभिभावकों के खातों की जाँच में हो रही देरी
0 आधार कार्ड से किया जा रहा है लिंक
झाँसी : बेसिक स्कूल के बच्चों को यूनिफॉर्म, बैग, जूता-मौजा व सर्दियों में स्वेटर दिया जाता है। गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद सरकार ने अभिभावकों से ही यूनिफॉर्म आदि की खरीद कराने का निर्णय लिया। बैंक खाते में धनराशि नहीं पहुँच पाने से यूनिफॉर्म समय से वितरित नहीं हो पायी और सर्दी की दस्तक देने के बाद भी अभी स्वेटर मिलने में और देरी होना तय है। यह प्रक्रिया पहली बार शुरू होने से तकनीकि दिक्कतें अधिक आ रही हैं।
बेसिक स्कूल के बच्चों को दो जोड़ी यूनिफॉर्म, बैग, स्वेटर उपलब्ध कराया जाता है। स्कूल खुलते ही यूनिफॉर्म दिये जाते हैं, ताकि बच्चे ड्रेस पहनकर आएं। इसके बाद बैग, जूता-मौजा दिया जाता है और सर्दी के पहले स्वेटर उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए केन्द्र सरकार सर्व शिक्षा अभियान तथा राज्य सरकार राज्य योजना से धनराशि आवण्टित करता है। पिछले वर्षो में स्कूल ड्रेस व स्वेटर की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने पर सरकार ने अब खरीद की जिम्मेदारी अभिभावकों को दी है। अभी तक खरीद स्कूल के प्रधानाचार्य व स्कूल प्रबन्ध समिति के माध्यम से करायी जाती थी। कई विद्यालयों में स्कूल की बनी-बनायी ड्रेस का वितरण किया जाता था, जबकि शासन के निर्देश हैं हर बच्चे को ड्रेस सिलवाई जाए। इसी को देखते हुए इस बार सरकार ने अभिभावकों के बैंक खाते में धनराशि पहुँचाने की व्यवस्था करने को कहा, लेकिन तकनीकि दिक्कतों के चलते इस प्रक्रिया में देरी हो रही है।
1.41 लाख बच्चों के अभिभावकों के खाते में पहुँचनी है राशि
जनपद के बेसिक स्कूल में 1.41 लाख बच्चों को ड्रेस, स्कूल बैग, जूता-मौजा तथा स्वेटर के लिए एकमुश्त 1,100 रुपए दिए जाने हैं। इसके लिए प्रत्येक बच्चे के अभिभावक के बैंक खाते को लिंक किया जाना है। इसके पहले प्रेरणा ऐप पर बैंक खातों को अपलोड किया जाना है। इसके बाद इसे पीएफएमएस (पब्लिक फाइनैंशल मैनिजमेण्ट सिस्टम) पर अपलोड किया जाएगा। प्रेरणा ऐप में अपलोड करने का काम 90 फीसदी पूरा हो गया, लेकिन पीएफएमएस में 50 फीसदी बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते जुड़ पाए हैं। प्रेरणा ऐप में अपलोड करने का काम बीएसए कार्यालय से होना था और पीएफएमएस में अपलोड करने तथा आधार कार्ड से लिंक करने का कार्य लेखा विभाग को करना है। बीएसए वेदराम का कहना है कि यह प्रक्रिया प्रदेश में पहली बार अपनायी जा रही है इसीलिए तकनीकि दिक्कतें हैं। एक बार अभिभावकों के बैंक खाते लिंक हो जाने के बाद फिर दिक्कत नहीं आएगी। प्रेरणा ऐप में खातों को अपलोड करने का काम पूरा हो गया है। अब लेखा विभाग का कार्य रह गया है। बैंक से जाँच के बाद आधार कार्ड से लिंक होने से रह गए बैंक खातों को आधार से जोड़ा जाएगा। इसके बाद लखनऊ से सीधे धनराशि अभिभावकों के खाते में पहुँचायी जाएगी।
बैंक जाँच की प्रक्रिया धीमी
बच्चों के अभिभावकों के खाते को पीएफएमएस से अपलोड करने के बाद खातों की बैंक जाँच की जाती है। बैंक को जाँच के लिए लगभग 54 ह़जार खाते भेज दिए गए, लेकिन 6.50 ह़जार खातों की ही जाँच हो पायी है, जो इस समय क्रियाशील हैं और आधार नम्बर से जुड़े हैं। सभी 1.41 लाख खातों की बैंक द्वारा जाँच के बाद ही धनराशि अभिभावकों के खातों में पहुँच पाएगी। इसके बाद अभिभावक बच्चों के लिए यूनिफॉर्म व स्वेटर की खरीद करेंगे। इस प्रक्रिया से सर्दी में बच्चों को स्वेटर मिल पाना मुश्किल है।
फाइल-रघुवीर शर्मा
समय-6.50
25 अक्टूबर 21