400 साल पुरानी पद्धति से निखारा जा रहा किला

फोटो : 23 बीकेएस 5, 7 व 11 झाँसी : किले के अन्दर मसाला तैयार करता कारीगर व दीवार, फर्श की मरम्मत क

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 08:09 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 09:31 PM (IST)
400 साल पुरानी पद्धति से निखारा जा रहा किला
400 साल पुरानी पद्धति से निखारा जा रहा किला

फोटो : 23 बीकेएस 5, 7 व 11

झाँसी : किले के अन्दर मसाला तैयार करता कारीगर व दीवार, फर्श की मरम्मत करते मिस्त्री। -जागरण

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0 बाहर से आये पुरातत्व विशेषज्ञ कारीगर कर रहे काम

0 किले की छोटी-मोटी टूट-फूट को किया जा रहा ठीक

झाँसी : महानगर के गौरवशाली इतिहास का गवाह महारानी लक्ष्मीबाई का किला 400 से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी सीना ताने खड़ा है। वक्त के थपेड़ों को झेलते हुए इसके कुछ हिस्से जरूर प्रभावित हो गए हैं। अब उनको वही वैभवशाली स्वरूप दिया जा रहा है। इसके लिए बाहर से एक्सपर्ट कारीगरों को बुलाकर काम कराया जा रहा है।

सैनानियों के ़कदम झाँसी में थामने के लिए प्रयास तो लम्बे समय से चले आ रहे हैं, लेकिन महानगर में किला का दीदार करने के बाद अधिकांश लोग मध्य प्रदेश के ओरछा और खजुराहो की तरफ चले जाते हैं। महारानी लक्ष्मीबाई की जयन्ती पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी झाँसी आ रहे हैं। उनके आने से पहले किले के चारों तरफ चल रहे विकास कार्यो में भले ही आधुनिकता का उपयोग किया जा रहा हो, लेकिन बुन्देला राजा वीरसिंह जूदेव द्वारा सन् 1613 में बनाए गए झाँसी किले के अन्दर आज भी पुरानी पद्धति की निर्माण सामग्री और कला का उपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं, टूट-फूट को ठीक करने के लिए पुरातत्व विभाग ने ऐसे कारीगरों को बाहर से बुलाया है, जो ऐतिहासिक इमारतों के पुनरोद्धार का काम करते हैं। किले के अन्दर काम कर रहे कारीगरों ने बताया कि वह ज्यादातर गढ़ी, किला और महल की मरम्मत का काम करते हैं। इससे पहले वह खजुराहो के किले में काम कर रहे थे।

निर्माण में अलग प्रकार के मसाले का होता उपयोग

किले के अन्दर जो भी टूट-फूट है, उसके निर्माण के लिए एक अलग तरह का मसाला बनाया जा रहा है। यह पुरानी पद्धति है। इसमें चूना, ईट को पीसकर सुर्खी बनायी जा रही है। बेल फल का गुदा, गुड़ का सीरा, गोन्द, बारीक गिट्टी व बालू को मिलाकर मसाला बनाया जा रहा है।

फोटो : 23 बीकेएस 8,9,10

यह बोले कारीगर

0 ़िजला फतेहपुर के थाना बिनकी, ग्राम खजबूहा निवासी मिस्त्री शहजाद अली ने बताया कि वह वर्षो से ऐतिहासिक इमारतों का ही काम कर रहे हैं। इसमें इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि जो भी मरम्मत कार्य किया जाए, वह पुराने स्वरूप में हो।

0 मसाला बना रहे सुलेमान ने बताया कि मसाले में इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि इसमें सभी चीजों का मिश्रण मानक के अनुरूप हो। इसे अधिकारी अपनी देखरेख में बनवाते हैं और वह उसको फिर उसी तरह से तैयार करता है।

0 फतेहपुर के कारीगर राजकुमार ने बताया कि वह लम्बे समय से ऐतिहासिक इमारतों की मरम्मत का काम कर रहे हैं। जहाँ भी काम होता है, अधिकारी बुला लेते हैं तो वह टीम बनाकर चले जाते हैं।

0 फतेहपुर के राधेलाल ने बताया कि वह टीम के साथ ही काम करते चले आ रहे हैं। जब कऐतिहासिक इमारत का काम नहीं मिलता है तो गाँव में खेती करने लगते हैं। वर्तमान में उनके बच्चे घर पर खेती कर रहे हैं।

0 फतेहपुर के ही सुरेश कुमार ने बताया कि वह गाँव के कारीगरों के साथ फिलहाल निर्माण सामग्री को ढोने के साथ काम सीख रहा है।

23 इरशाद-1

समय : 7.35 बजे

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