धूमधाम से मना गुरु रामदास का प्रकाश पूरब

फोटो : 21 एसएलवाई 18 झाँसी : श्री गुरु सिंह सभा सीपरी बा़जार में कीर्तन करते रागी जत्था ::: -

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 07:53 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 07:53 PM (IST)
धूमधाम से मना गुरु रामदास का प्रकाश पूरब
धूमधाम से मना गुरु रामदास का प्रकाश पूरब

फोटो : 21 एसएलवाई 18

झाँसी : श्री गुरु सिंह सभा सीपरी बा़जार में कीर्तन करते रागी जत्था

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- देर रात तक चला गुरु का अटूट लंगर

झाँसी : सिखों के चौथे गुरु रामदासजी के जन्मोत्सव को प्रकाश पूरब के रूप में झाँसी में भी धूमधाम से मनाया गया।

गुरुद्वारा साहिब श्री गुरु सिंह सभा सीपरी बा़जार में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। सुबह वीर सतप्रीत सिंह द्वारा कीर्तन प्रारम्भ किया गया। रागी जत्था भाई बलविन्दर सिंह (अमृतसर वालों) द्वारा गुरवाणी कीर्तन किया गया। शाम को दीवान की आरम्भता ज्ञानी महेन्द्र सिंह ने की। उन्होंने रहरास साहिब जी का पाठ किया। इसके उपरान्त रागी जत्था बलविन्दर सिंह ने गुरवाणी कीर्तन किया। अन्त में गुरु के अटूट लंगर का भी आयोजन किया गया। बताया गया कि 22 अक्टूबर (शुक्रवार) को सुबह 8 बजे से गुरवाणी कीर्तन समागम होगा। उसके बाद अटूट लंगर बरतेगा। इस मौके पर दिलबाग सिंह, बलविन्दर कौर, कमलजीत सिंह, मल्कियत सिंह, त्रिलोचन कौर आदि उपस्थित रहीं।

अमृतसर शहर बसाया था गुरु रामदासजी ने

सिखों के चौथे गुरु रामदासजी ने सन् 1577 में अमृत सरोवर नामक नगर की स्थापना की थी। यह आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अमृतसर को सिफ्ती (प्रशंसा) का घर भी कहा जाता है। यहाँ 500 बीघा में सरोवर और गुरुद्वारे की नींव रखी गई। यह गुरुद्वारा सरोवर के बीच बना है। सिखों का सबसे बड़ा गुरुद्वारा स्वर्ण मन्दिर अमृतसर में ही है। यहाँ गुरु रामदास का डेरा हुआ करता था। उन्होंने कई धार्मिक व सामाजिक कुरीतियों को भी दूर किया था।

मदन यादव

समय- 7.40 बजे

21 अक्टूबर

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