स्टेशन पर बिकेंगे पॉकिट पीकदान, गुटखा और पान के दाग से मिलेगा छुटकारा

लोगो : जागरण विशेष ::: - स्टेशन पर थूक के धब्बों को सा़फ करने के लिए रेलवे को खर्च करने पड़ते है

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 01:01 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 01:01 AM (IST)
स्टेशन पर बिकेंगे पॉकिट पीकदान, गुटखा और पान के दाग से मिलेगा छुटकारा
स्टेशन पर बिकेंगे पॉकिट पीकदान, गुटखा और पान के दाग से मिलेगा छुटकारा

लोगो : जागरण विशेष

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- स्टेशन पर थूक के धब्बों को सा़फ करने के लिए रेलवे को खर्च करने पड़ते हैं करोड़ों रुपये

- एक पॉकिट पीकदान में 15 से 20 बार थूक सकते हैं यात्री, फेकने के बाद मिट्टी में घुल जाएगा पाउच

झाँसी : देशभर में स्वच्छता अभियान को लेकर लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है और सरकार भी लोगों से अपने आसपास सफाई रखने की अपील करती रहती है। लेकिन शहर से लेकर रेलवे स्टेशन तक कुछ लोग गन्दगी फैलाने से बाज नहीं आते हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी सार्वजनिक स्थान पर गुटखा और पान थूकना आम बात है। रेलवे के कार्यालय से लेकर ट्रेन और प्लैटफॉर्म पर लोगों द्वारा थूके गए गुटखा और पान के दाग सा़फ करने के लिए रेलवे को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसके साथ ही पानी भी बर्बाद होता है। इसी को देखते हुए रेलवे ने अब स्टेशन पर पॉकिट पाउच उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय रेलवे हर साल गुटखा और पान थूकने से हुई गन्दगी को सा़फ करने में लगभग 1,200 करोड़ रुपये और लाखों लिटर पानी खर्च करता है। रेलवे ने इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए अलग तरीका खोज लिया है। रेलवे स्पिटून (पीकदान) की वेण्डिंग मशीन/कियोस्क लगाने जा रहा है। जहाँ से आप थूकने के लिए पीकदान पाउच खरीद सकते हैं। इसकी कीमत 5 से 10 रुपये के बीच होगी। फिलहाल यात्रियों के इस्तेमाल के लिए देश के 42 स्टेशन पर ऐसे स्टॉल शुरू करने की योजना है। यह स्टेशन कौन से होंगे अभी फिलहाल इसका निर्धारण नहीं किया गया है।

इस्तेमाल के बाद मिट्टी में घुल जाते हैं पाउच

इसके लिए नागपुर के एक स्टार्ट-अप ईजीपिस्ट को कॉण्ट्रैक्ट दिया है। इस पीकदान को कोई भी शख्स आसानी से अपनी जेब में रख सकता है। इन पाउच की मदद से यात्री बिना किसी दाग के कहीं भी कभी भी थूक सकते हैं। इन बायोडिग्रेडेबल पाउच को 15 से 20 बार इस्तेमाल किया जा सकता है। यह थूक को ठोस पदार्थ में तब्दील कर देता है। एक बार पूरी तरह से इस्तेमाल करने के बाद इन पाउच को मिट्टी में डाल दिया जाता है, जिसके बाद ये पूरी तरह से घुल जाते हैं।

फाइल : वसीम शेख

समय : 06 : 00

17 अक्टूबर 2021

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