जय अकैडमि की छात्रा कृति बनी आइएएस, पायी 106वीं रैंक

फोटो : 25 बीकेएस 2 झाँसी : बेटी कृति का मुँह मीठा कराती माँ सरोज। पास में बैठे हैं पिता राजेन्द्र

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 07:07 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 07:23 PM (IST)
जय अकैडमि की छात्रा कृति बनी आइएएस, पायी 106वीं रैंक
जय अकैडमि की छात्रा कृति बनी आइएएस, पायी 106वीं रैंक

फोटो : 25 बीकेएस 2

झाँसी : बेटी कृति का मुँह मीठा कराती माँ सरोज। पास में बैठे हैं पिता राजेन्द्र कुमार।

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फोटो : 25 बीकेएस 3

प्रसन्न मुद्रा में कृति राज

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0 आइएएस बनने के सपने को निराश्रित महिला व बच्चों की सेवा ने दी प्रेरणा

0 घर पर पढ़कर की तैयारी, 7 से 8 घण्टे रो़ज की पढ़ाई

झाँसी : 'सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं - सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।' देश के 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की इस सीख को गाँठ में बाँधकर कैसे साकार किया जाता है, जय अकैडमि की छात्रा रही कृति से जानिये-समझिये और सीखिये। तीसरे प्रयास में उसने जिस तरह यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा में 106वीं रैंक हासिल की, वह उदाहरण है उन लोगों के लिए जो लक्ष्य को भूलते नहीं। कृति उदाहरण है उन लोगों के लिए जो यह मान बैठते हैं कि यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी के लिए बन्द कमरे और बड़े शहरों की कोचिंग आवश्यक है। जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि कृति ने सामाजिक कार्य करते हुए यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता पायी है। समाज, विशेषकर महिला व बच्चों के साथ जुड़ाव उसकी प्रेरणा बनी।

सर्वनगर निवासी ग्रासलैण्ड से सेवानिवृत्त राजेन्द्र कुमार व सरोज गौड़ की पुत्री कृति राज ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पायी है। जय अकैडमि से इण्टर करने के बाद कृति ने बीआइईटी के कम्प्यूटर साइंस में बीटेक किया। कृति कहती हैं- 'इसके बाद आसानी से नौकरी मिल सकती थी, लेकिन उसने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देने की तैयारी का मन बनाया और लोक प्रशासन विषय से घर पर रहकर ही तैयारी शुरू की।' उसके द्वारा की जा रही तैयारी की खास बात यह थी कि उसने समाज के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनने और समझने का काम शुरू किया। कल्पवृक्ष वेलफेयर फाउण्डेशन के माध्यम से झाँसी की मलिन बस्तियों में कार्य किया। इससे उसे परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिली। वह रो़ज 7 से 8 घण्टे पढ़ाई करती थी। इस बीच समय निकालकर लोगों से मिलने, कविता, पेण्टिंग का रचनात्मक कार्य भी करती रही। परीक्षा के समय पढ़ाई की अवधि 12 से 14 घण्टे हो जाती थी। उसने वर्ष 2017 व 2018 में यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दी और अपनी कमी को दूर कर वर्ष 2020 की परीक्षा पास कर ली। कृति बताती हैं- 'बचपन में उसने आइएएस बनने का सपना देखा था, लेकिन समय के साथ वह इसे भूल-सी गयी। बीटेक के अन्तिम वर्ष में आइएएस बनने का निश्चय कर लिया।' इसके बाद उसने घर पर ही रहकर तैयारी की। उसने ऑनलाइन टेस्ट सीरि़ज ली और इससे प्रैक्टिस की। दिल्ली जाकर वह नोट्स की फोटोस्टेट लाती और तैयारी करती रही। तैयारी करने के बाद वह उत्तर पुस्तिकाओं को एक्सपर्ट से चेक कराती थी। इसके साथ ही उसने अपने परिवार व रिश्तेदारों के 10वीं बच्चों को भी पढ़ाना शुरू कर दिया। कृति कहती हैं- 'इससे सवाल का स्पष्टता से उत्तर देने में मदद मिली।' कृति बताती है कि मम्मी-पापा के साथ उसके भाई तुषाग्र राज ने उसे प्रोत्साहित किया। वह यूरोप में एक कम्पनि में कार्य कर रहा है। कृति ने तमाम बाधाओं का सामना कर अपने सपने को पूरा किया हैं। वह कहती हैं- 'कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। जब वह मेन्स इक़्जैम देने जनवरी 2020 में भोपाल गयी, तो क‌र्फ्यू लग गया। उसे होटल वालों ने गलियों से किसी प्रकार शहर से बाहर निकाला। इसके बाद साक्षात्कार के पहले अप्रैल में उसके पिता को कोविड हो गया, तो वह ़िजला अस्पताल में पिता के साथ रही। वह महिला सुरक्षा, सशक्तिकरण व शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करना चाहती है।

जय अकैडमि पढ़ने के दौरान सपने को लगे पंख

कृति का कहना है कि इण्टर की पढ़ाई करते समय जय अकैडमि के शिक्षकों के मार्गदर्शन तथा निदेशक यशोवर्धन गुप्त के प्रोत्साहन से उसे आइएएस बनने के सपने को पंख लगने लगे थे। इसके बाद बीटेक करते समय इस सपने को पूरा करने का मन बना लिया। दैनिक जागरण के साथ बात करते हुए वह जय अकैडमि के शिक्षकों व निदेशक का नाम लेना नहीं भूलीं।

फाइल : रघुवीर शर्मा

समय : 5.20

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