निजी भागीदारी से विकसित होंगे रेलवे अस्पताल, सभी को भी मिलेगा उपचार
लोगो : जागरण एक्सक्लूसिव ::: - पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर विकसित होंगे रेलवे अस्पताल - डिज
लोगो : जागरण एक्सक्लूसिव
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- पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर विकसित होंगे रेलवे अस्पताल
- डिजिटल होंगे निजी भागीदारी के सभी रेलवे अस्पताल
- 125 बड़े और 586 छोटे रेलवे अस्पताल में होगी निजी भागीदारी
झाँसी : रेलवे ने अपने कर्मियों और उनके आश्रितों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए रेलवे अस्पताल खोले हैं। इसके अलावा रेलवे ने प्रत्येक मण्डल में निजी अस्पताल से अनुबन्ध भी किया है। लेकिन, अब रेलवे अपने इन अस्पतालों निजी भागीदारी से विकसित करने जा रहा है। इसके साथ ही इन अस्पतालों को डिजिटल प्लैटफॉर्म पर लाने की भी योजना है। यहाँ खास बात यह है कि पीपीपी मॉडल पर विकसित यह हॉस्पिटल रेलवे के साथ ही गैर रेलकर्मियों को भी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करेंगे।
भारतीय रेल देशभर में 125 बड़े अस्पताल और 586 छोटे अस्पताल/क्लिनिक संचालित करता है। इन रेलवे अस्पतालों की वर्तमान स्थिति की बात करें तो यहाँ चिकित्सक और अन्य मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। यही कारण है कि जटिल रोग का उपचार इन अस्पतालों में नहीं हो पा रहा है। भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय ने अपनी जाँच में पाया कि देशभर के रेलवे अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वालों की भारी कमी है। इसके बाद निर्णय हुआ है कि अब रेल मन्त्रालय द्वारा संचालित सभी रेल अस्पताल और पॉलिक्लिनिक को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर संचालित किया जाए। इन अस्पतालों में रेल कर्मियों के अलावा अन्य गैर रेलकर्मियों का भी इलाज किया जाएगा। इसके लिए प्राइवेट प्लेयर्स का सहयोग लिया जाएगा। केन्द्रीय सचिवालय ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि देशभर में संचालित हो रहे रेलवे के अस्पतालों में स्वास्थ्य सम्बन्धी काफी सुधार की आवश्यकता है। इन अस्पतालों को बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेवाएं और आधुनिक मशीनरी की दरकार है, जो निजी भागीदारी से बेहतर बनाई जा सकती है। रेलवे अस्पतालों को सुव्यवस्थित करने के लिए निजी भागीदारी की दरकार है, जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में इन अस्पतालों का उच्चीकरण हो सके। इसके साथ ही यह अस्पताल पूरी तरह डिजिटल होंगे। यहाँ ओपीडी (आउट पेशेण्ट डिपार्टमेण्ट) से लेकर सभी जाँच और पर्चा बनाने तक की सारी व्यवस्था डिजिटल होगी।
रेलवे अस्पतालों में अभी नहीं मिल पातीं यह सुविधा
भारतीय रेल ने अपने सभी मण्डल में रेलवे चिकित्सालय खोले हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश अस्पतालों में जटिल रोग और इमर्जेन्सी के दौरान इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है। कई बार तो मरी़ज अस्पताल जाता है और इलाज न मिलने के चलते रेलवे अस्पताल से वापस लौटना पड़ता है। रेलवे के कई अस्पतालों में सीटी-स्कैन, एमआरआइ सहित अन्य जाँच भी नहीं हो पाती हैं। यही कारण है कि रेलवे के अस्पताल पीपीपी मॉडल पर विकसित किए जा रहे हैं ताकि यहाँ उपचार से सम्बन्धित तमाम आधुनिक सुविधाएँ रेलकर्मियों को उपलब्ध हो सकें।
निजी अस्पतालों पर खर्च होते हैं करोड़ों रुपये
वर्तमान में भारतीय रेल अपने कर्मियों और उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए हरसम्भव प्रयास कर रहा है। इसके लिए निजी अस्पतालों से अनुबन्ध भी किए गए हैं। इस योजना में रेलवे को भारी-भरकम रकम चुकानी पड़ रही है। इसी खर्च को कम कर रेलवे अब अपने ही अस्पतालों को निजी भागीदारी से विकसित करने जा रहा है।
फाइल : वसीम शेख
समय : 07 : 10
21 सितम्बर 2021