हैरिटेज कैफेटेरिया के रूप में विकसित होगी दिगारा की गढ़ी

फोटो 5 एसएसवाइ 15 ::: 0 आवास विकास परिषद द्वारा तैयार किया जा रहा एस्टिमेट 0 पहाड़ी के चारों

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 01:00 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 01:00 AM (IST)
हैरिटेज कैफेटेरिया के रूप में विकसित होगी दिगारा की गढ़ी
हैरिटेज कैफेटेरिया के रूप में विकसित होगी दिगारा की गढ़ी

फोटो 5 एसएसवाइ 15

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0 आवास विकास परिषद द्वारा तैयार किया जा रहा एस्टिमेट

0 पहाड़ी के चारों ओर बाउण्ड्रीवॉल के साथ होगा जीर्णोद्वार

झाँसी : योजना परवान चढ़ी तो कुछ समय बाद आप अपने परिजनों के साथ ऐतिहासिक दिगारा गढ़ी के आँगन में बैठकर चाय पर बातचीत कर रहे होंगे। इस ऐतिहासिक धरोहर को हैरिटेज कैफेटेरिया के रूप में विकसित करने की योजना है। इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया गया है।

झाँसी-कानपुर मार्ग दिगारा की पहाड़ी पर बसी गढ़ी के दिन बहुरने वाले हैं। मण्डलायुक्त डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने इस गढ़ी को सहेजने और सँवारने की दिशा में कार्य कराना शुरू कर दिया है। गत दिनों उन्होंने गढ़ी का निरीक्षण कर इसके कायाकल्प के लिए आवास विकास परिषद को एस्टिमेट तैयार करने के निर्देश दिए थे। गढ़ी का जीर्णोद्वार कराने के बाद इसे हैरिटेज कैफेटेरिया के रूप में विकसित कराए जाने की योजना है, ताकि झाँसी और बुन्देलखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले पर्यटक इस गढ़ी में बैठकर बुन्देली भोजन के साथ ही विभिन्न ल़जी़ज पकवानों का लुत्फ उठा सकें।

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे ने बताया कि मराठा शासनकाल के समय इस गढ़ी का निर्माण कराया गया था। मराठा से लेकर अंग्रे़जी हुकूमत तक में इस गढ़ी का उपयोग चौकी के रूप में किया जाता रहा है। विशेषकर कानपुर की ओर से आने वाले लोगों पर इस गढ़ी के माध्यम से ऩजर रखी जाती थी। इसमें फौज की एक टुकड़ी 24 घण्टे रहती थी। इस गढ़ी के अन्दर प्रवेश करने पर एक बड़ा आँगन और इसके चारों ओर दालान देखने को मिलेंगी। इसकी सुरक्षा को लेकर गढ़ी के चारों कोनों पर बुर्ज बनाए गए थे जो आज भी हैं। गढ़ी का अधिकांश हिस्सा देखरेख के अभाव में जीर्णशीर्ण चुका है। गढ़ी को सजाने और सँवारने के साथ ही इसकी सुरक्षा को लेकर कड़े इन्तजाम किए जाने की तैयारी है। पहाड़ी पर बसी इस गढ़ी के चारों ओर बाउण्ड्रीवॉल का निर्माण कराया जाएगा। मुख्य द्वार पर एक प्रवेश द्वार का निर्माण होगा और गढ़ी के बिखरे पड़े हिस्से को एक बार फिर सँजोया जाएगा। गढ़ी के अन्दर पार्क के साथ ही आकर्षक साज-सज्जा, विद्युत प्रकाश, रंग-रोशन के साथ ही इसे बुन्देली संस्कृति और सभ्यता से परिपूर्ण बनाया जाएगा।

पहले बच्चों की जेल बनाए जाने की थी योजना

दिगारा गढ़ी को पहले बच्चों की जेल बनाए जाने की योजना थी। सब कुछ ओके हो चुका था, अधिकारियों ने स्थलीय निरीक्षण के दौरान पाया गया कि इस ऐतिहासिक विरासत को जेल में तब्दील करना ठीक नहीं होगा। इसे तो पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित होना चाहिए और सुरक्षा की दृष्टि से भी यह स्थान बच्चों की जेल के लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए फिलहाल जेल बनाने की योजना ठण्डे बस्ते में जा पहुँची। हालाँकि पुरातत्व विभाग ने इस गढ़ी को राजकीय संरक्षण में लेने की इच्छा जताई है। विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।

इन स्थलों का भी होगा विकास कार्य

संरक्षण नहीं मिल पाने के कारण मण्डल की तमाम ऐतिहासिक इमारतें जर्जर हालत में पहुँच गई हैं तो कई इमारतों का अस्तित्व ही संकट में आ गया है। ऐसे सभी स्थलों को स्थानीय व्यक्तियों, उद्यमियों, व्यावसायिक संस्थानों के सहयोग से संरक्षित किये जाने की जिला प्रशासन की योजना है। मण्डलायुक्त के निर्देश पर 'अडॉप्ट हेरिटेज' अभियान के माध्यम से ऐसी धरोहरों में बुनियादी सुविधाओं के साथ विकास कार्य कराया जाएगा। प्रथम चरण में दिगारा की गढ़ी, ठकरपुरा की गढ़ी, मऊरानीपुर के पास दौढ़ा का किला, टहरौली किला, बंगरा के पास महाराजा छत्रसाल का शिकारगाह स्थल, बाँधगाँव के पास के मन्दिर एवं स्यावरी का मन्दिर चिह्नित किया गया है।

उद्यमियों, व्यावसायिक संस्थानों को गोद दिए जाएंगे स्मारक

ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने के लिए मण्डल में अडॉप्ट हेरिटेज अभियान की शुरूआत कर दी गई है। इस अभियान के तहत उद्यमियों, व्यवसायिक संस्थानों को ऐसी धरोहरों को गोद दिया जाएगा। जो संस्था या व्यक्ति धरोहर को गोद लेकर विकास के कार्य कराएगा, उसके नाम का शिलापट भी धरोहर में स्थापित किया जाएगा। हालाँकि अभी तक विभाग को योजना से सम्बन्धित एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।

नरेन्द्र प्रताप सिंह

समय 7.20

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