अर्थशास्त्र खोलता है रो़जगार के ढेरों रास्ते

प्रवेश - बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का बैंकिंग, अर्थशास्त्र एवं वित्त विभाग है सेण्टर ऑफ ऐक्सिलन्स

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 07:38 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 07:38 PM (IST)
अर्थशास्त्र खोलता है रो़जगार के ढेरों रास्ते
अर्थशास्त्र खोलता है रो़जगार के ढेरों रास्ते

प्रवेश

- बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का बैंकिंग, अर्थशास्त्र एवं वित्त विभाग है सेण्टर ऑफ ऐक्सिलन्स

झाँसी : अर्थशास्त्र ऐसा विषय है, जो सीमित साधनों में असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति के उपाय सुझाता है। वाणिज्य प्रबन्ध, वित्त प्रबन्ध, अकाउण्ट, जोखिम, बीमा सभी अर्थशास्त्र की शाखायें हैं। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का बैंकिंग, अर्थशास्त्र एवं वित्त विभाग के विभागाध्यक्ष एवं कला संकायाध्यक्ष प्रो. सीबी सिंह ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का 57 प्रतिशत योगदान है। आज हर विभाग में अर्थ, वित्त, वाणिज्य, व्यापार, अकाउण्टिंग, बैंकिंग एवं इंश्योरेंस की माँग है। उन्होंने बताया कि विभाग को वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद द्वारा सेण्टर ऑफ ऐक्सिलन्स से सम्मानित किया गया है। विश्वविद्यालय का यह विभाग विगत 21 वर्षो से उत्कृष्ट छात्रों को तैयार कर विभिन्न संस्थानों में प्लेसमेण्ट कर रहा है। पिछले तीन-चार वर्षो से यह सबसे अधिक जेआरएफ और नेट निकालने वाला विभाग है।

इन पाठ्यक्रमों में ले सकते हैं प्रवेश

वर्तमान में स्नातक स्तर पर बीकॉम ऑनर्स तथा बीए ऑनर्स इन इकनॉमिक्स, परास्नातक स्तर पर बि़जनेस इकनॉमिक्स बैंकिंग ऐण्ड इंश्योरेंस एवं बैंकिंग ऐण्ड इंश्योरेंस विषय में एमबीए, एमकॉम फाइनैंस और एमए अप्लाइड इकनॉमिक्स का संचालन किया जाता है। इसके साथ ही इकनॉमिक्स मैनिजमेण्ट एवं कॉमर्स विषय में पीएचडी भी यहाँ से कर सकते हैं।

प्रवेश प्रक्रिया

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करने के बाद आयोजित प्रवेश परीक्षा और शैक्षणिक अंकों की मेरिट के आधार पर यहाँ प्रवेश मिलता है।

यहाँ हैं रो़जगार के अवसर

- भारतीय आर्थिक सेवा, केन्द्रीय वित्त मन्त्रालय व आर्थिक मामले मन्त्रालय के विभिन्न विभागों, नीति आयोग और सीएसओ, आर्थिक सलाहकार ग्रामीण विकास, पूँजी बा़जार, मुद्रा बा़जार, कमॉडिटि बा़जार और म्युच्व्ल फण्ड सेवा क्षेत्र में निवेश सलाहकार के रूप में काम कर सकते हैं।

- विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे प्रतिष्ठित अन्तर्राष्ट्रीय संगठन, मार्केट रिसर्च, एनजीओ एवं सर्वे और शोध क्षेत्र में रोजगार में भी अपार सम्भावनाएं हैं।

- इकनॉमिक्स और स्टेटिस्टिक्स से पीजी व पीएचडी करने के बाद आर्थिक शोध संस्थानों जैसे नैशनल काउन्सिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक्स ऐण्ड रिसर्च, सोशल साइन्स रिसर्च संस्थान और इंस्टिट्यूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ आदि के साथ शैक्षणिक क्षेत्र में भी अप्लाई कर सकते हैं।

- आर्थिक पत्रकारिता, बि़जनेस इकनॉमिस्ट, इनवेस्टमेण्ट इकनॉमिस्ट, डेटा एनालिस्ट, फाइनैंशल प्लैनर और कण्ट्रोलर के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।

प्रेमचन्द ने भारतीय समाज को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया : प्रो. लोहनी

- बीयू के हिन्दी विभाग में प्रेमचन्द जयन्ती आयोजित

झाँसी : 'मुंशी प्रेमचन्द ने भारतीय जनता के संस्कारों, उसके सुख-दु:ख, आदर्श, मूल्य और समस्याओं को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का कार्य किया। जिन समस्याओं की चर्चा उन्होंने आज से 100 साल पहले की, वे आज भी मौजूद हैं। अगर हम इन समस्याओं को दूर कर पाते तो शायद यह प्रेमचन्द को सच्ची श्रद्धाजलि होती।' उक्त विचार चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नवीन लोहनी ने बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रेमचन्द जयन्ती समारोह में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि जिस तरह रूस में मैक्सिम गोर्की और चीन में ल्यू शुन ने वहाँ के समाज को दुनिया के सामने लाने का कार्य किया, भारत में यही काम उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द ने किया। होरी, धनिया, जुम्मन, अलगू चौधरी, हामिद, जालपा जैसे पात्र भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं। पूरी दुनिया में हिन्दी पढ़ने वाले विदेशी विद्यार्थी प्रेमचन्द की कहानियों और उपन्यासों से भारत को पहचानने का प्रयास करते हैं। कार्यक्रम में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के अलावा केरल विश्वविद्यालय, मुम्बई विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। इससे पहले हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पुनीत बिसारिया ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. श्रीहरि त्रिपाठी ने अतिथि परिचय दिया तथा नवीन चन्द पटेल ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मुम्बई से प्रो. सन्तोष येरावर, त्रिवेन्द्रम से प्रो. सजीत शशि, प्रयागराज से प्रो. हिमांशु शेखर सिंह और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के डॉ. डीके भट्ट, डॉ. सौरभ श्रीवास्तव, डॉ. अनु सिंगला, डॉ. मुहम्मद नईम, डॉ. कौशल त्रिपाठी, डॉ. अनुपम व्यास, पल्लवी श्रीवास्तव समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

फाइल : हिमांशु वर्मा

समय : 7.15 बजे

1 अगस्त 2021

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