फिर सवालों में जल संस्थान का महाप्रबन्धक कार्यालय

0 उप्र जल संस्थान कर्मचारी संघ ने शासन को लिखा पत्र 0 कहा- 'कर्मचारियों के लिए आ रहे पैसे से बनाए

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 01:00 AM (IST)
फिर सवालों में जल संस्थान का महाप्रबन्धक कार्यालय
फिर सवालों में जल संस्थान का महाप्रबन्धक कार्यालय

0 उप्र जल संस्थान कर्मचारी संघ ने शासन को लिखा पत्र

0 कहा- 'कर्मचारियों के लिए आ रहे पैसे से बनाए जा रहे वर्क ऑर्डर'

झाँसी : घोटाले को लेकर विजिलेंस जाँच का सामना कर रहे जल संस्थान में अब भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कर्मचारी तनाव में हैं, क्योंकि उनकी देनदारियाँ बढ़ती जा रही हैं, जबकि विभाग द्वारा ठेकेदारों के वर्क ऑर्डर धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं। उप्र जल संस्थान कर्मचारी महासंघ ने अपर मुख्य सचिव नगर विकास को पत्र लिखकर पूरे मामले की जाँच कराने की माँग की है।

जल संस्थान का महाप्रबन्धक कार्यालय अपनी कार्यशैली को लेकर हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। पिछले सालों में यह विभाग 500 करोड़ के घोटाले में उलझ गया था, जिसकी जाँच विजिलेंस द्वारा की गई। विजिलेंस द्वारा फाइलें पलटने के बाद सामने आया कि 12 साल में 106 करोड़ रुपए की सामग्री ख़्ारीदी गई, जबकि 173 करोड़ के पाइप लाइन मरम्मत व अन्य कार्यो के ऐस्टिमेट बनाए गए। विजिलेंस द्वारा कई बार माँगने के बावजूद ऐस्टिमेट सम्बन्धी प्रपत्र व फाइल जल संस्थान के अधिकारियों ने उपलब्ध नहीं कराई। इसके बाद विजिलेंस ने 106 करोड़ से की गई सामग्री ख़्ारीद की जाँच शुरू कर दी। डेढ़ लाख पन्ने पलटने के बाद जाँच अधिकारी ने 48.23 करोड़ का घोटाला उजागर कर दिया। 28 अधिकारियों व 5 फर्म को आरोपी बनाते हुए मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी। विजिलेंस के तत्कालीन इंस्पेक्टर राजेश कुमार सिंह ने इन सभी के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने की संस्तुति भी कर दी। इतना बड़ा घोटाला उजागर होने के बाद माना गया था कि विभाग अब पटरी पर आ जाएगा, लेकिन अन्दरखाने से निकलीं शिकायतों ने संकेत दे दिए हैं कि महाप्रबन्धक कार्यालय में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। उप्र जल संस्थान कर्मचारी महासंघ के महामन्त्री राजेन्द्र यादव द्वारा अपर मुख्य सचिव नगर विकास को लिखे पत्र में बताया गया है कि शासन द्वारा कर्मचारियों का वेतन व पेंशन देने के लिए नियमित रूप से धनराशि दी जा रही है, लेकिन विभाग द्वारा इस धनराशि से पाइप लाइन मरम्मत के काम कराए जा रहे हैं। आरोप तो लगाया गया है कि वर्क ऑर्डर फर्जी तरीके से बनाए जा रहे हैं। इससे कर्मचारियों की देनदारियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। महामन्त्री का कहना है कि विभाग में चल रहे इस गोरखधन्धे से कर्मचारियों को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है। उन्होंने पूरे प्रकरण की जाँच कराते हुए कार्यवाही की माँग की है।

फाइल : राजेश शर्मा

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