आओ हँस लें : 17 अप्रैल 2021 के अंक के लिए
0 इस बार हिन्दी की परीक्षा में मात्र एक ही प्रश्न पूछा गया लेकिन फिर भी गप्पू फेल हो गया- प्रश्न-
0 इस बार हिन्दी की परीक्षा में मात्र एक ही प्रश्न पूछा गया लेकिन फिर भी गप्पू फेल हो गया-
प्रश्न- 'मेरे रूह का परिन्दा फड़फड़ाये, लेकिन सकून का जजीरा मिल न पाए'-इस कविता में कवि कहाँ है और क्या कर रहा है?
उत्तर- इस कविता में कवि वाइन शॉप के बाहर खड़ा है। वह अन्दर जाने के लिए बहुत बेचैन है लेकिन उसका नवरात्रि का व्रत है इसलिए वो अन्दर जाकर वाइन भी नहीं पी सकता..
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0 पत्नी (घमण्ड से)- हमारे गाँव में पहला 24 घण्टे बोलने वाला रेडियो भी मेरे पापा लाए थे।
पति- धीरे बोल पगली, अपनी माँ के बारे में ऐसी बातें नहीं करते।
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0 सोनू- पण्डित की कथा और बीबी की बातें बिल्कुल एक जैसी होती हैं।
मोनू- वो कैसे?
सोनू- दोनों की ही बातें समझ में नहीं आती, लेकिन फिर भी हमें ध्यान से सुनने का नाटक करना पड़ता है।
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0 अध्यापक- खुशी दिखाने और छिपाने में क्या अन्तर होता है?
मोहन- जब भी घर पर पड़ोसी आता है तो झूठा ही सही पर उसके सामने हमें खुश होने का नाटक करना पड़ता है। इसके विपरीत जब भी घर पर पड़ोसन आती है तो दिल में चाहे जितने लड्डू फूटे पर सबके सामने हमें अपनी खुशियों को छिपाना ही पड़ता है।
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0 अर्ज किया है
आसमान में काली घटा छाई है,
आज फिर से मैडम ने मार लगाई है।
दिल कहता हैं सुधर जा
और कितनी मार खायेगा।
पर क्या करें आज फिर से
मैडम कटरीना बनकर जो आई है।