रम़जान : इन्सानियत के लिए इन्सानों का इम्तहान
फोटो : 11 एसएचवाई 1 ::: झाँसी : रम़जान में सहरी के लिए सेवई की ख़्ारीदारी करते लोग। -जागरण :::
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झाँसी : रम़जान में सहरी के लिए सेवई की ख़्ारीदारी करते लोग। -जागरण
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- रम़जान के माह-ए-मुबारक में ना़िजल (अवतरित) हुई ़कुरान, इंजील तौरेत और ़जुबूर
- जिस्म और रूह के गुनाहों से तौबा कर अपने रब की तरफ जाने का रास्ता है रम़जान
झाँसी : कमोवेश 1400 साल पहले और आज पूरी दुनियाँ में फैले इस्लाम म़जहब को मनाने वाले मुसलमानों के लिए अल्लाह ने अपने फरिश्ते के जरिये ़कुरान उल करीम को ़जमीन पर ना़िजल किया। यह वही ़कुरान म़जीद है, जिसका हर एक पारा (पन्ना) हिदायत करता है कि इन्सानियत और हर हाल में अल्लाह पर यकीन ही आपके ईमान की मजबूती है। इसी यकीन और इन्सानियत की कसौटी पर खुद को परखने वाला रम़जान का महीना 14 अप्रैल से शुरू हो रहा है। अल्लाह चाहता है कि रो़जा रखने वाला अपने साथ ही उन लोगों की भूख और प्यास की शिद्दत को महसूस कर सके, जिन्हें एक निवाला और एक बूँद पानी नसीब न हुआ।
इन्सानियत को याद कराने का नाम इस्लाम म़जहब में रो़जा या रम़जान है। 14 अप्रैल से शुरू होने जा रहा रम़जान का महीना इस बार झुलसा देने वाली गर्मी में रो़जादारों के लिए ठीक उसी तरह होगा, जिस तरह जलती हुई भट्टी में चमकता सोना रह जाता है। लेकिन यह बात भी रो़जादारों को जान लेनी चाहिए कि सिर्फ भूखा-प्यासा रहने भर से इम्तेहान पूरा नहीं होता। उलेमा (इस्लाम के जानकार) बताते हैं कि उस भूख प्यास में भी अपने रब को राजी करने के लिए हर उस बुरी आदत को दिल से दूर कर खुशी-खुशी सजदे में गिर जाने का नाम रो़जा है। धर्मगुरू बताते हैं कि ये तो इम्तेहान की पहली सीढ़ी है, असल में रो़जा इसलिए भी है कि अल्लाह ने दुनिया में अमीर-गरीब दोनों को पैदा किया। एक इन्सान को गुरबत इसलिए दी कि उसके ईमान की आजमाइश हो सके कि वह गरीबी में भी अपने रब की इबादत और शुक्र अदा करता है या नहीं? वहीं, अमीर इसलिए बनाया कि उसका इम्तेहान इस बात से लिया जा सके कि वह अल्लाह की दी हुई दौलत पर उसका शुक्र अदा करते हुए म़जलूम की मदद करता है या नहीं?
़जकात के बिना अधूरा है इम्तेहान
़जकात यानी, ़गरीब की आर्थिक मदद करना भी रो़जा का हिस्सा है। हालाँकि यह ़जकात उन लोगों पर ला़िजम नहीं है, जिनके पास ़जरूरत से अधिक दौलत नहीं है। लेकिन उन लोगों के लिए ये फ़र्ज है जिनके पास पैसा या सोना-चाँदी है। धर्मगुरु बताते हैं कि ़जकात हर साहिब ए निसाब (सम्पन्न व्यक्ति) पर देना फ़र्ज है।
दिल और दिमाग से भी रहना होगा रो़जा
उलेमा बताते हैं कि रो़जा खुद को गुनाहों से पाक-साफ रखने का नाम है। यानी, आपको रम़जान के पहले दिन से ही पिछली ़िजन्दगी में किये गलत काम छोड़कर उन्हें दोबारा न करने का अहद (प्रण) करना होगा। इसके साथ ही किसी के लिए दिल और दिमाग मे रखी गई गलतख़्याली भी निकालनी होगी।
रो़जादारों को अल्लाह का इनाम है ईद
अधिकाश मुसलमानों को यह जानकारी है कि ईद उल फितर रम़जान के 29 या 30 रो़जा पूरे होने और ईद का चाँद दिखने पर ईद मनाई जाती है। लेकिन ईद रो़जादार के लिए ही है। धर्मगुरु कहते हैं ईद उल फितर अल्लाह का अपने रो़जादार बन्दों के लिए इनाम है, जिन्होंने पूरे माह पूरी पाबन्दी से रो़जा रखा।
इसलिए होती हैं तराबीह
रम़जान को माह-ए-मुबारक कहा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि इस माह में ़कुरान ना़िजल हुई। यही वजह है कि रम़जान के पूरे महीने शहर के अलग-अलग मस्जिदों में इंशा की नामा़ज (रात की आखरी नमा़ज) के बाद मुस्लिम मर्द ़कुरान सुनने जाते हैं और घरों में औरतें अपना अधिक से अधिक वक्त ़कुरान की तिलावत में लगाती हैं। इसके अलावा ़कुरान में जिन 3 आसमानी किताब इंजील, तौरेत ़जुबूर का ़िजक्र आता है वह किताब भी इसी माह में ना़िजल हुई।
शुरू हुई रम़जान की खरीदारी
14 अप्रैल से शुरू होने जा रहे रम़जान माह के लिए महानगर के बा़जारों में सहरी (सूरज निकलने से पहले का नाश्ता) और इफ्तार के लिए खाने की चीजों की ख़्ारीदारी शुरू हो गई है। हालाँकि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार बा़जार पहले की तरह गुल़जार नहीं दिख रहे। बिसाती बा़जार में सेवई और खजूर की बिक्री जमकर की जा रही है।
ये कहते हैं उलेमा
फोटो : 11 जेएचएस 7
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मुफ्ती साबिर ़कासमी
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'रम़जान अल्लाह की तरफ से मुसलमानों को दिया जाने वाला सबसे बेहतरीन तोहफा है। लिहाजा रो़जादार को चाहिए कि पूरी पाबन्दी से अल्लाह के तोहफे (रो़जा) की हिफा़जत करें और बुरे आमाल से बचें। साथ ही कोरोना के अ़जाब से पूरी दुनिया की निजात के लिए दुआ भी करें।'
मुफ्ती साबिर ़कासमी
सुन्नी धर्मगुरु
फोटो : 11 जेएचएस 8
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मुफ्ती इमरान नदवी
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'रो़जा वह नेमत है, जिससे इन्सान अपनी पिछली ़िजन्दगी में किए गए गुनाहों से तौबा कर फिर से एक मासूम बच्चे की तरह हो सकता है। इस मुबारक माह में अल्लाह अपने बन्दे की कोई जायज दुआ खाली नहीं जाने देता। लेकिन शर्त यह है कि पिछले गुनाह को दोबारा न दोहराया जाए।'
मुफ्ती इमरान नदवी
सचिव, पयाम-ए इन्सानियत फोरम
फोटो 11 जेएचएस 9
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सैयद शान ए हैदर ़जैदी
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रो़जा अल्लाह से बन्दे को करीब करने का रास्ता है। यही वह अमल है, जिसमें इन्सान अपने अन्दर की हर बुराई से जद्दोजहद कर उसे पूरी तरह खत्म कर बेहतर इन्सान बनाता है। रो़जा ही वह अमल है, जिसमें हमें पता चलता है कि भूख और प्यास की शिद्दत क्या है?'
सैयद शान ए हैदर ़जैदी
- शिया धर्मगुरु
फाइल : वसीम शेख
समय : 07 : 00
11 अप्रैल 2021