उजाड़ बन गई गाँव की सियासी मण्डियाँ

फोटो : 12 एसएचवाई 9 ::: कैप्शन ::: गढ़मऊ मण्डी की 4 दुकानें जहाँ घास उग आयी। ::: फोटो :

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 01:02 AM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 01:02 AM (IST)
उजाड़ बन गई गाँव की सियासी मण्डियाँ
उजाड़ बन गई गाँव की सियासी मण्डियाँ

फोटो : 12 एसएचवाई 9

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गढ़मऊ मण्डी की 4 दुकानें जहाँ घास उग आयी।

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फोटो : 12 एसएचवाई 10

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जेनरेटर के आसपास उग आयीं झाड़ियाँ।

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धर्म काँटा पर छायी वीरानी, बच्चे खेलते हैं यहाँ।

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गोदाम में गाड़ियाँ आने का रास्ता दलदल हो गया।

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शौचालय के चारों ओर झाड़ियाँ उग आयी हैं।

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मण्डी के बगल में स्थित पहाड़ी पर होने लगा है ़कब़्जा।

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दृश्य 1 : महानगर से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर गढ़मऊ गाँव है। मुट्ठीभर आबादी वाले इस गाँव के मुहाने पर कौंग्रेस सरकार ने बुन्देलखण्ड विकास पैकेज से मण्डी का निर्माण कराया था। 1.56 करोड़ की भारी-भरकम राशि खर्च कर 2 गोदाम, पक्का चबूतरा, चार दुकानें, शौचालय व गार्ड रूम आदि बनाए गए थे। आधुनिक जेनरेटर व तुलाई के लिए महँगा धर्म काँटा भी लगाया गया था, लेकिन 8 साल में यहाँ धेलेभर का कारोबार नहीं किया गया। अब यह मण्डी उजाड़ व जंगल में तब्दील हो चुकी है।

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दृश्य 2 : रक्सा-अम्बावाय रोड पर महानगर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुनावली गाँव के व्यापारियों को कारोबार करने के लिए 8 साल पहले मण्डी की सौगात दी गई थी। लगभग 1.56 करोड़ की लागत से यहाँ 4 सी श्रेणी की दुकानों का निर्माण कराया गया। छायादार चबूतरा, 1 ह़जार मीट्रिक टन क्षमता का गोदाम, कार्यालय भवन, टॉयलेट ब्लॉक, गार्डरूम, चहारदीवारी आदि का निर्माण कराया गया। इस मण्डी का भी 6 साल में कोई उपयोग नहीं किया गया और अब यह मण्डी उजाड़ हो गई है।

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0 बुन्देलखण्ड पैकेज से जनपद में निर्मित की गयी थीं 24 छोटी मण्डियाँ

0 कबाड़ में तब्दील हो गए गोदाम व चबूतरे

0 जेनरेटर व धर्मकाँटा भी हो गए तबाह

0 कार्यालयों में आवारा पशुओं ने जमाया डेरा

दिनेश परिहार (झाँसी) : महानगर के ऩजदीक गढ़मऊ व पुनावली कला की मण्डियाँ तो सिर्फ उदाहरण हैं उस सरकारी सिस्टम का, जिसकी पटकथा सियासत की काली स्याही से लिखी जाती है। लगभग 11 साल पहले जब बुन्देलखण्ड भीषण सूखे की चपेट में था, तब तत्कालीन यूपीए सरकार ने यूपी व एमपी के 13 ़िजलों को 6,466 करोड़ के बुन्देलखण्ड विकास पैकेज की सौगात दी। इसमें 3,506 करोड़ का भारी-भरकम हिस्सा उत्तर प्रदेश वाले बुन्देलखण्ड के 7 जनपदों को मिला। यह धनराशि वास्तव में बुन्देलखण्ड के दर्द के लिए दवा बनती, लेकिन इसमें भी सियासत का ऐसा खेल खेला गया कि पैसा भी खर्च हो गया और ग्रामीणों के हाथ भी कुछ नहीं आया। गाँव में बनाई गई मण्डियाँ इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। बुन्देलखण्ड में 133 गाँव में मण्डियाँ बनाई गई थीं। पर, यहाँ बात जनपद के 24 गाँव में स्थापित की गई मण्डियों की हो रही है। 'जागरण' की पड़ताल में सामने आया कि 24 में से महज 7 मण्डियों में ही किसानों ने कारोबार किया है, जबकि शेष 17 मण्डियाँ खण्डहर बनने की ओर हैं। इनमें से कोई आवारा पशुओं की ऐशगाह बन गई है तो किसी पर जुआरियों व शराबियों ने ़कब्जा कर दिया है।

यह था उद्देश्य

गाँव के मुहाने पर मण्डियों का निर्माण इसलिए कराया गया था, ताकि किसानों को उपज बेचने के लिए उचित स्थान मिल सके और उन्हें शहरों तक की दूरी तय न करनी पड़े। उम्मीद थी कि व्यापारी यहाँ आकर किसानों की उपज ख़्ारीदते, जिससे किसानों का खर्च कम होता, लेकिन यह उद्देश्य दम तोड़ गया।

बिना सर्वे के खड़ी कर दी मण्डियाँ

किसी भी सरकारी योजना को ़जमीन पर उतारने से पहले उसकी आवश्यकता को लेकर सर्वे कराया जाता है, लेकिन बुन्देलखण्ड पैकेज से बनाई गई ग्रामीण मण्डियों की बुनियाद सियासी इच्छापूर्ति के लिए रख दी गई। पैसा भी ठिकाने लगाने की जल्दबाजी ने ऐसे गाँवों में मण्डियाँ बना दीं, जहाँ कोई आवश्यकता नहीं थी।

वर्तमान में 7 मण्डियाँ हैं क्रियाशील

जनपद में 24 मण्डियों के क्रियाशील होने का दावा किया जा रहा है, जबकि जागरण की पड़ताल में सच्चाई कुछ और ही ऩजर आ रही है। दरअसल, चिरगाँव की बमनुआँ, सेमरी, रामनगर, मोंठ की पूँछ मण्डी, झाँसी की अम्बावाय, गुरसराय की माधौपुरा, मऊरानीपुर की भँडरा मण्डी में ही कारोबारी गतिविधियाँ हो रही हैं। हालाँकि यहाँ भी कोरोना ने कारोबार की कमर तोड़ रखी है।

इन ब्लॉक में बनायी गयीं थी छोटी मण्डियाँ

झाँसी : अम्बावाय, गढ़मऊ, बाछौनी, मानपुर, पुनावली कलां, दिगारा।

गुरसराय : ककरबई, माधौगढ़, कुरैठा, बामौर, बैंदा, सिमरधा, मौजा इटवां।

मोंठ : पूँछ।

चिरगाँव : बघेरा, सेमरी, बमनुआँ, मुड़ई, रामनगर।

मऊरानीपुर : कटेरा, मगरवारा, रेवन, भण्डरा, सकरार।

फाइल : दिनेश परिहार

समय : 7:20

12 जनवरी 2020

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