स्वदेशी तकनीकि से हादसामुक्त होगा झाँसी-बीना रेलवे ट्रैक

- लोको पायलट को होगी ट्रैक पर होने वाली हर गतिविधि की जानकारी - कहीं से भी टक्कर होने की सम्भावना

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Dec 2020 01:00 AM (IST) Updated:Mon, 07 Dec 2020 01:00 AM (IST)
स्वदेशी तकनीकि से हादसामुक्त होगा झाँसी-बीना रेलवे ट्रैक
स्वदेशी तकनीकि से हादसामुक्त होगा झाँसी-बीना रेलवे ट्रैक

- लोको पायलट को होगी ट्रैक पर होने वाली हर गतिविधि की जानकारी

- कहीं से भी टक्कर होने की सम्भावना नहीं रहेगी

झाँसी : रेलवे हादसों को रोकने के लिए सिग्नल प्रणाली को अपडेट करने में जुटा है। इस महत्वपूर्ण तकनीकि को मण्डल के झाँसी-बीना रेल खण्ड पर स्थापित करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस तकनीकि की खास बात यह है कि रेलवे के कण्ट्रोल रूम के साथ ही लोको पायलट को भी ट्रैक पर होने वाली हर एक गतिविधि की पूर्व में ही सूचना मिल जाएगी, जिससे रेल हादसा आसानी से टाला जा सकेगा।

मण्डल के झाँसी-बीना सेक्शन को इस प्रणाली से लैस करने की योजना भी का़ग़जी कार्यवाही पूरी कर चुकी है और रेलवे द्वारा इस कार्य के लिए टेण्डर भी निकाल दिया गया है। रेलवे ने पहले मुम्बई-दिल्ली और दिल्ली-हावड़ा के प्रस्तावित 160 किलोमीटर प्रति घण्टे के रूट पर यूरोपियन ट्रेन कण्ट्रोल सिस्टम लेवल-2 को शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह विदेशी तकनीकि काफी महँगी पड़ रही थी। वहीं, अब इसे अपने देश में ही विकसित करने का फैसला लिया गया। 5 साल के अनुसन्धान के बाद अब यह सिस्टम बनकर तैयार है।

ऐसे काम करती है तकनीकि

यूरोपियन ट्रेन संचालन प्रणाली की तरह विकसित की जा रही यह स्वदेशी तकनीकि ट्रेन कोलि़जन ऐण्ड अवॉयडेंस सिस्टम (टीसीएएस) टक्कर रोधी प्रणाली है। यह सिस्टम एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन डिवाइस है, जो ट्रेन को लाल सिग्नल पार करने या इसी तरह की कोई मानवीय चूक होने से बचाता है।

ऐसे कार्य करती है स्टेशन कण्ट्रोल यूनिट

देश में विकसित यह प्रणाली रियल टाइम माध्यम से लोको पायलट को सहायता प्रदान करती है, जो सीधे लोको कैब में सिग्नलिंग, परिचालन अथॉरिटि, स्पीड रिस्ट्रिक्शन्स, दूरी, सिग्नल आदि पहलुओं के बारे में जानकारी पहुँचाती है।

सिग्नल देंगे संकेत

आधुनिक प्रणाली का काम एसपीएडी (सिग्नल पास्ड ऐट डेन्जर) का पता लगाना और उसकी रोकथाम करने के साथ लोको पायलट को मूवमेण्ट अथॉरिटी की जानकारी देना, निरन्तर ट्रेन नियन्त्रण, (कण्टिनुअस ट्रेन कण्ट्रोल) इन-कैब सिग्नलिंग, ट्रैक के सिग्नल को यन्त्र में दर्शाना, लूपलाइन की गति नियन्त्रण को दर्शाना, स्पीड रिस्ट्रिक्शन्स को दर्शाना और उस अनुसार गति को नियन्त्रित करना, ट्रेन के सामने और पीछे से टक्कर की रोकथाम करना आदि है।

आगरा तक होगा विस्तार

देश की सबसे तेज गति की ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस का संचालन शुरूआत में आगरा से ह़जरत नि़जामुद्दीन के बीच होने के बाद इसे बढ़ाकर झाँसी तक कर दिया गया है। इस ट्रेन की गति को ध्यान में रखते हुए रेलवे द्वारा आगरा-दिल्ली के बीच टक्कर निरोधी तकनीकि का प्रयोग किया गया, जिसे अब मण्डल तक विस्तारित करने की योजना पर काम किया जा रहा है। झाँसी-बीना खण्ड के बाद आगरा तक इस तकनीकि को विस्तारित कर दिया जाएगा।

हाइ स्पीड ट्रेन को मिलेगी रफ्तार

झाँसी से भोपाल, मुम्बई, बैंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों के लिए शताब्दी, राजधानी और दूरन्तो एक्सप्रेस जैसी तेज गति से चलने वाली वीआइपी ट्रेन का संचालन किया जाता है। ऐसे में इन ट्रेन की सुरक्षा रेलवे की पहली प्राथमिकता में शामिल है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि झाँसी-बीना खण्ड में स्थापित होने जा रही यह तकनीकि हाइ स्पीड ट्रेन के लिए काफी उपयोगी होगी। इस तकनीकि से संचालन में तो सुधार होगा ही, साथ ही उक्त ट्रेन की गति बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकेगा।

फाइल : वसीम शेख

समय :06 : 20

6 दिसम्बर 2020

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