संशोधित ::: शिक्षक पिता का बेटा बना स्नातक विधायक

- 10 ह़जार शिक्षक नियुक्ति के लिए कर चुके हैं संघर्ष - सपा शिक्षक सभा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके है

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 01:00 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 01:00 AM (IST)
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- 10 ह़जार शिक्षक नियुक्ति के लिए कर चुके हैं संघर्ष

- सपा शिक्षक सभा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं

झाँसी : 24 साल बाद इलाहाबाद-झाँसी खण्ड स्नातक चुनाव में समाजवादी पार्टी को सफलता दिलाने वाले डॉ. मान सिंह यादव ने अपने जीवन के पहले ही चुनाव में जीत दर्ज की है। डॉ. मान सिंह ऐसे परिवार से आते हैं, जिसमें पढ़ाई-लिखाई को अधिक महत्व दिया जाता है। यही कारण है कि वर्ष 2005 से ही वह शिक्षकों के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं।

बता दें कि वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव से मिलकर उन्होंने 10 ह़जार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नियम में संशोधन करा दिया था। यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई और वह आगे बढ़ते चले गए। मनोविज्ञान विषय में पीएचडी करने के बाद से ही वह शिक्षकों की मनोदशा को समझने का प्रयास करते रहे और उनके लिए निरन्तर संघर्ष भी किया। शिक्षकों के प्रति उनके रुझान को देखते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने वर्ष 2017 में उन्हें समाजवादी शिक्षक सभा का अध्यक्ष बनाया था। कौशाम्बी ़िजले के गाँव बेरमपुर के रहने वाले पेशे से शिक्षक डॉ. मानसिंह यादव के पिता कृष्ण सिंह यादव और उनकी पत्‍‌नी प्रभा यादव भी शिक्षक हैं। उनके करीबी दिनेश यादव बताते हैं कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए भी वह समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रहे हैं। यही वजह है कि पढ़ाई के बाद वह सक्रिय राजनीति में आ गए। 'जागरण' से बातचीत करते हुए नवनिर्वाचित शिक्षक विधायक डॉ. मान सिंह यादव ने अपनी जीत का श्रेय समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव,राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, पिता कृष्ण सिंह यादव, स्थानीय नेता व कार्यकर्ताओं को दिया। वह कहते हैं कि उनके पिता ने हमेशा से यही बात कही कि शिक्षित व्यक्ति को अन्य लोगों की आवा़ज बुलन्द करनी चाहिए, तभी उसकी शिक्षा का मोल है।

आइएएस बनना चाहते थे

डॉ. मानसिंह यादव आइएएस बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही इण्डियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आइएएस) की तैयारी शुरू कर दी थी। बताते चलें कि वह सिविल सेवा परीक्षा में मेन्स तक पहुँच चुके हैं, लेकिन राजनीति में रुझान बढ़ने के चलते अपना सपना साकार नहीं कर सके।

फाइल : वसीम शेख

समय 07 :00

4 दिसम्बर 2020

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