झाँसी ने पहली बार देखा कर्फ्यू
0 पुलिस को देखकर मचती भी भगदड़ 0 30 अक्टूबर 1990 की दोपहर में हुआ था आदेश झाँसी : राम मन्दिर निर्
0 पुलिस को देखकर मचती भी भगदड़
0 30 अक्टूबर 1990 की दोपहर में हुआ था आदेश
झाँसी : राम मन्दिर निर्माण के लिए उमड़ी निहत्थे राम भक्तों की भीड़ पर अयोध्या व झाँसी में गोलीबारी के बाद प्रदेशभर में कर्फ्यू लगा दिया गया। 30 अक्टूबर 1990 की दोपहर कर्फ्यू की घोषणा की गई। लोगों को घर में रहने के आदेश दिए गए। सेना ने महानगर को सुरक्षा में ले लिया तो भारी संख्या में पुलिस बल लगा दिया गया। झाँसी की जनता ने पहली बार कर्फ्यू देखा, इसलिए समझ ही नहीं पाई कि कर्फ्यू का मतलब होता क्या है? लोग घर के बाहर घूमते थे और जब पुलिस दौड़ाती थी, तभी घर में रहते थे। गलियों में तो पुलिस व लोगों के बीच लुका-छिपी का खूब खेल चलता था। शुरूआती 2 दिन सख़्ती रही। 2 नवम्बर को कर्फ्यू में थोड़ी ढील दी गई। नवाबाद, सदर, प्रेमनगर तथा सीपरी बा़जार थाना क्षेत्र में प्रात: 9 से 12 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई, जबकि कोतवाली क्षेत्र में अपराह्न 3 से शाम 5 बजे तक छूट दी गई। सेना को भी वापस लौटा दिया गया। प्रदेशभर में स्थितियाँ सामान्य होती गई, जिसके बाद 6 नवम्बर को 14 घण्टे की छूट दी गई। प्रात: 6 से शाम 8 तक छूट के बाद 7 नवम्बर को कर्फ्यू समाप्त कर दिया गया। कर्फ्यू में ढील के दौरान तो बा़जार में अफरा-तफरी मच जाती थी। ग्राहक महीनेभर का सामान इकट्ठा करने की कोशिश करते, ताकि किसी भी संकट से निपटा जा सके।
कर्फ्यू का उल्लंघन करने में 104 फँसे
झाँसी में लगभग 9 दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा, लेकिन शुरूआती 3 दिन तक काफी सख़्ती रही। इस दौरान कर्फ्यू में ढील भी नहीं दी गई। लोगों को कर्फ्यू के बारे में जानकारी नहीं थी, इसलिए उल्लंघन कर बाहर निकल आते थे। पुलिस ने इन 3 दिन में 104 लोगों पर कर्फ्यू का उल्लंघन करने की कार्यवाही की थी। इसमें 25 लोगों को तो शान्तिभंग में कार्यवाही कर जेल भी भेज दिया था।
सभी फोटो हाफ कॉलम
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यह बोले प्रत्यक्षदर्शी
0 .. ने बताया कि तब वह लगभग 15 साल के थे। कर्फ्यू क्या होता है, किसी को नहीं पता था। लोग सड़क पर आ जाते थे, जिसके बाद पुलिस लाठियाँ बरसाती थी। दहशत का माहौल बन गया था।
0 .. ने बताया कि कर्फ्यू के बारे में सुना था, लेकिन कभी ऐसा माहौल देखा नहीं था। हर तरफ आर्मी और पुलिस कर्मी ऩजर आते थे, जिससे डर भी लगता था और कौतुहल भी होता था।
0 .. ने बताया कि झाँसी में जब कर्फ्यू लगा तो लोगों में दहशत का माहौल बन गया, लेकिन बच्चे इसका खूब आनन्द लेते थे। गलियों में बच्चे इकट्ठा होकर खेलते थे, लेकिन जैसे ही पुलिस के बूटों की आवा़ज आती थी, चारों ओर सन्नाटा पसर जाता था।
0 खण्डेराव गेट निवासी हरिराम ओझा ने बताया कि कर्फ्यू के दौरान पुलिस लोगों को खूब परेशान करती थी। घर के दरवा़जे पर खड़े होने पर भी लाठियों से बुरी तरह पीटा जाता था। 2 नवम्बर को वह दरवा़जे पर बैठे थे, तभी पुलिस आ गई। सभी लोग भाग गए। वह अपने दरवा़जे पर बैठे थे, इसलिए नहीं भागे। इसके बाद पुलिस ने लाठी से हमला कर दिया। यह चोट अब भी दर्द देती है।
0 खातीबाबा निवासी संजीव तिवारी ने बताया कि खण्डेराव गेट पर पुलिस ने गोलियाँ चलाई तो उनके मित्र ह़जारी प्रसाद को गोली लगी। ़िजला अस्पताल में उनकी देखरेख कर रहे थे। अगले दिन सुबह घासमण्डी में रहने वाले प्रमोद जैन के घर किसी तरह पहुँचे और चाय-नाश्ता लेकर ़िजला अस्पताल लौट रहे थे, तभी खोआ मण्डी पर पुलिस ने रोक लिया और चाय-नाश्ता छीन कर दौड़ा दिया। ह़जारी प्रसाद को जब दिल्ली में भर्ती कराया तब भी वह साथ थे। अटल बिहारी वाजपेयी मिलने आए तो 10 मिनट तक झाँसी का हाल भी बताया था।
बीच में बॉक्स
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ऐसा भी हुआ था कर्फ्यू के दौरान
0 झाँसी की जनता ने पहली बार कर्फ्यू के बारे में सुना था। लोग घर से निकलकर सड़क पर आने की कोशिश करते थे। पुलिस पूछती थी कहाँ जा रहे हो तो कहते थे कर्फ्यू देखने। इसके बाद पुलिस लाठियाँ मारकर कर्फ्यू के ऩजारे दिखाती थी।
0 गन्दीगर टपरा पर एक 70 साल की महिला घर से निकली तो पुलिस कर्मियों ने आवा़ज लगाई- 'ऐ अम्मा कहाँ जा रही, पता नहीं कर्फ्यू लगा है?' इस पर अम्मा ने कहा- 'भैया, सड़क पर कर्फ्यू लगा रहने दो वो तो किनारे-किनारे निकल जाएंगी।'
0 बड़ागाँव गेट की ओर जाने वाली रोड पर एक बुजुर्ग सिर पर तौलिया बाँधकर घर के बाहर नल से पानी भर रहा था। पुलिस के टोकने पर भी वह घर में नहीं गया तो पुलिस उसे जीप में बिठाकर ले गई। हालाँकि अगली गली में हिदायत देकर छोड़ दिया।
फाइल : राजेश शर्मा
4 अगस्त 2020
समय : 4.50 बजे